सोशल मीडिया पर फालतू बैठे लोग जाने कब, क्या गदर काट दें कहा नहीं जा सकता। आज सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए अंग्रेजी में एक चिट्ठी लिखी। चिट्ठी लिखते ही सोशल मीडिया वैसे ही सक्रिय हो चुका था। कारण चिट्ठी का मजमून यानी मैटर नीले कलर के पेन से लिखा गया था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्ताक्षर काले कलर की स्याही से थे।
यहां तक तो ठीक था, लेकिन दोपहर होते-होते नया तमाशा खड़ा हो गया। प्रधानमंत्री की इस चिट्ठी में अंग्रेजी के कुछ जानकारों ने स्पेलिंग की गलतियां निकाल दीं। अब सुबह जो चिट्ठी वायरल हो रही थी, दोपहर होते- होते लाल रंग के गोले लगाकर वायरल होने लगी।
प्रधानमंत्री की चिट्ठी में गलतियां
Literature, national, international की वर्तनी यानी स्पेलिंग गलत हैं। World को पहले word लिखा गया था। Solution की शुरुआत पहले Si से की गई थी। अब इसे ही कहते हैं नुक्ताचीनी करना। साहित्यिक भाषा में छिद्रान्वेषण और आजकल की भाषा में जो कहा जाता है, उसे तो आप जानते ही हैं…
इसके अलावा एक यूजर ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करते हुए यह भी कह दिया की समय के साथ पीएम मोदी की हेंडराइटिंग में बहुत बदलाव हुआ है।
द सूत्र इस पोस्ट की पुष्टि नहीं करता है।
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क्या है प्रधानमंत्री की लिखी चिट्ठी
30 मई को चुनाव प्रचार थमने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कन्याकुमारी स्थित स्वामी विवेकानंद रॉक मेमोरियल में साधना करने पहुंचे। उनकी 45 घंटे की साधना 1 जून को खत्म हुई। इसके बाद पीएम आज सुबह तिरुवल्लुवर प्रतिमा पर पहुंचे थे। यहां से उनका पीएम मोदी का हस्तलिखित संदेश ( pm modi handwritten letter ) वायरल हो रहा है।
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चिट्ठी में क्या लिखा
इस चिट्ठी में पीएम ने लिखा- "महान संत तिरुवल्लुवर की प्रतिमा पर खड़ा होना एक अद्भुत अनुभव है। वह साहित्य और दर्शन के क्षेत्र से ऊपर उठ गया। जीवन, समाज, कर्तव्य और नैतिकता के बारे में तिरुक्कुरल की गहरी अंतर्दृष्टि ने दुनिया भर में लोगों का दिल जीत लिया है।
उन्होंने आगे लिखा- "मुझे विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर तिरुक्कुरल से उद्धरण देने और राष्ट्रीय भाषाओं में इसके अनुवाद जारी करने का सौभाग्य मिला है।विकसित भारत के निर्माण के हमारे मिशन को उनके कार्यों से बहुत प्रेरणा मिलती है। आज दुनिया वैश्विक समाधानों को स्पष्ट करने में भारत की बड़ी भूमिका की उम्मीद कर रही है। ऐसे समय में संत तिरुवल्लुवर की कालजयी शिक्षाओं का आधार बना। शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए वैश्विक आंदोलन विकसित करने में सार्वभौमिक मूल्य महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।"
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