/sootr/media/media_files/2025/11/10/political-women-reservation-2025-11-10-17-51-19.jpg)
New Delhi/Jabalpur. सुप्रीम कोर्ट ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 पर भारत सरकार को नोटिस जारी किया है। यह अधिनियम महिलाओं को राजनीति में 33% आरक्षण प्रदान करता है। याचिका में इसे तत्काल प्रभाव से लागू करने की मांग की गई है। याचिका में संसद से पारित कानून को परिसीमन के बाद भी लागू नहीं करने को असंवैधानिक बताया गया है।
अधिनियम को लागू करने में देरी पर सवाल
दमोह निवासी जया ठाकुर ने जनहित याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि संसद या विधानसभा द्वारा पारित कोई भी कानून तत्काल प्रभाव से लागू होता है। भारत सरकार ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 को परिसीमन प्रक्रिया के बाद लागू करने का प्रावधान जोड़ा है। इससे महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों में देरी हुई है।
याचिका की प्रारंभिक सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस महादेवन की डिविजनल बेंच ने की। खंडपीठ ने केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय और विधि मंत्रालय दोनों को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है।
/sootr/media/post_attachments/18421bec-052.jpg)
ये भी पढ़ें...पुलिस भर्ती में महिला आरक्षण की गफलत को लेकर हाईकोर्ट पहुंची याचिका
उठाए गए कई सवाल
याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, शोभा गुप्ता और वरुण ठाकुर ने पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि संसद से पारित अधिनियम को भविष्य के परिसीमन के बाद लागू करने का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है।
देश में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अब भी बेहद कम
भारत सरकार के विधि मंत्रालय के 2022 के आंकड़ों के अनुसार, देश में महिलाओं का राजनीतिक प्रतिनिधित्व औसतन 4% है। जबकि देश की 50% जनसंख्या महिलाएं हैं।
भारत सरकार के विधि मंत्रालय के 2022 के डाटा के अनुसार, विभिन्न राज्यों में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी औसतन 4% है।
| महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी | प्रतिशत में |
|---|---|
| आंध्र प्रदेश | 8.00 |
| अरुणाचल प्रदेश | 5.00 |
| असम | 4.76 |
| बिहार | 10.70 |
| छत्तीसगढ़ | 14.44 |
| गोवा | 7.50 |
| गुजरात | 7.14 |
| हरियाणा | 10.00 |
| हिमाचल प्रदेश | 5.88 |
| जम्मू-कश्मीर | 2.30 |
| झारखंड | 12.35 |
| कर्नाटक | 3.14 |
| केरल | 7.86 |
| मध्य प्रदेश | 9.13 |
| महाराष्ट्र | 8.33 |
| मणिपुर | 8.33 |
| मेघालय | 5.08 |
| मिजोरम | 0.00 |
| नागालैंड | 0.00 |
| उड़ीसा | 8.90 |
| पंजाब | 11.11 |
| राजस्थान | 12.00 |
| सिक्किम | 9.38 |
| तमिलनाडु | 5.13 |
| तेलंगाना | 5.04 |
| त्रिपुरा | 5.00 |
| उत्तराखंड | 11.43 |
| उत्तर प्रदेश | 11.66 |
| पश्चिम बंगाल | 13.70 |
| एनसीटी ऑफ दिल्ली | 11.43 |
| पुदुचेरी | 3.33 |
आधी आबादी का राजनीतिक प्रतिनिधित्व जरूरी
खंडपीठ ने कहा कि देश की आधी आबादी का राजनीति में प्रतिनिधित्व बहुत कम है। ऐसे कानूनों का तत्काल लागू होना सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। अदालत ने भारत सरकार को नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 की देरी पर विस्तृत जवाब देने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 5 जनवरी को होगी।
ये भी पढ़ें...जनगणना, जातीय गिनती, परिसीमन और महिला आरक्षण: 2026 से शुरू होगी ऐतिहासिक कवायद
ये भी पढ़ें...मध्यप्रदेश में खाली है 90 हजार पद, प्रमोशन में आरक्षण का विवाद है कारण, 12 को मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
राजनीति में महिला आरक्षण
यह मामला महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण से जुड़ा है। यह सवाल भी उठता है कि क्या संवैधानिक संशोधन में देरी करना संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। अगली सुनवाई 5 जनवरी को होगी। सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 को तत्काल लागू किया जा सकता है या नहीं।
/sootr/media/agency_attachments/dJb27ZM6lvzNPboAXq48.png)
Follow Us