प्रमोशन में आरक्षण का विवाद हल न होने से मध्यप्रदेश में 90 हजार पद खाली, 12 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

मध्यप्रदेश सरकार ने प्रमोशन में रिजर्वेशन के नए नियमों के तहत प्रमोशन नहीं होने से हो रहे नुकसान पर डाटा तैयार किया है। इस पर कोर्ट में फिर सुनवाई 12 नवम्बर को होगी। सपाक्स विरोध में है, जबकि अजाक्स नए नियमों के समर्थन में है।

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Sanjay Dhiman
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Mp pramotion in resarvation

Photograph: (the sootr)

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BHOPAL. मध्यप्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण का मुद्दा एक दशक से कानूनी पेचीदगियों में उलझा हुआ है। लाखों सरकारी कर्मचारियों का भविष्य अधर में है। मामला अब फिर से सुर्खियों में है, क्योंकि राज्य सरकार ने पदोन्नति पर रोक के कारण हो रहे नुकसान का डाटा तैयार किया है।

आगामी 12 नवंबर को इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होनी है। सरकार अक्टूबर तक के अपडेट आंकड़ों के साथ अपना पक्ष मजबूत करने की तैयारी में है।

पदोन्नति न होने से खाली हुए 93 हजार पद 

सरकार के इस डाटा ने सरकारी विभागों के वर्तमान हालात उजागर कर दिए हैं। बीते दस साल से प्रमोशन नहीं होने से अलग-अलग विभागों में 93 हजार से अधिक पद खाली हैं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि कुल स्वीकृत पदों के मुकाबले लगभग 63% पद खाली पड़े हैं।

पद का वर्ग (Post Class)कुल स्वीकृत पद (Total Sanctioned Posts)वर्तमान में खाली पद (Currently Vacant Posts)
ग्रेड एक (Grade-I) [राजपत्रित अधिकारी]15,1598,410
ग्रेड दो (Grade-II) [उप संचालक, डिप्टी कलेक्टर, शिक्षक आदि]1,32,90185,049
कुल योग (Total)1,48,06093,459 (लगभग 90,000)

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नए नियम: पक्ष और विपक्ष की दलीलें 

मध्य प्रदेश सरकार ने पदोन्नति का रास्ता साफ करने के लिए नए नियम बनाए हैं। हालांकि इन्हें कोर्ट में चुनौती दी गई है। इन नए नियमों पर सरकारी कर्मचारियों के विभिन्न वर्गों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं।

अजाक्स ने किया नियमों का समर्थन

अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के संगठन अजाक्स (Ajjaks) ने सरकार के नए नियमों का समर्थन किया है। अजाक्स के संरक्षक और पूर्व आईएएस जेएन कंसोटिया का मानना है कि इन नियमों में अजा-अजजा वर्ग के हितों का पूरा ध्यान रखा गया है।

कंसोटिया ने कहा कि यदि कोई भी संगठन इन नियमों के विरोध में कोर्ट जाता है, तो अजाक्स कोर्ट से अपना पक्ष रखने की अनुमति मांगेगा। उनका तर्क है कि यह कदम पदोन्नति में आरक्षण के तहत उनके अधिकारों का बचाव करता है।

सपाक्स का विरोध: आरक्षण की अब जरूरत नहीं 

सामान्य, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण समाज संस्था नए नियमों की आवश्यकता पर सवाल उठा रही है। सपाक्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरालाल त्रिवेदी ने कहा कि उच्च पदों पर आरक्षित वर्ग का प्रतिनिधित्व तय कोटे (ST-20% और SC-16%, कुल 36%) से कहीं अधिक है। उनके अनुसार, यह वर्तमान में 46% से भी ज्यादा हो गया है।

सपाक्स की मुख्य दलील: जब प्रमोटी अधिकारियों में SC और ST वर्ग का हिस्सा पहले से ही तय कोटे से ज्यादा हो गया है, तो पदोन्नति में आरक्षण के लिए नए नियमों की आवश्यकता ही नहीं है। अब योग्यता के आधार पर पदोन्नति (Promotion) होनी चाहिए।

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कोर्ट के लिए डेटा तैयार: SC-ST कर्मचारियों की गिनती जारी

सरकार ने अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के कर्मचारियों का ब्यौरा (जिसे 'एक्स' और 'वाई' डेटा कहा जा रहा है) लगभग इकट्ठा कर लिया है। बस, जनजातीय मामलों (ST) से जुड़ा कुछ डेटा आना बाकी है।

मध्यप्रदेश सरकार के पास वर्तमान डाटा के अनुसार प्रमोशन में आरक्षण के न होने से कितने पद खाली हुए हैं, यह आंकड़ा अब अदालत में प्रस्तुत किया जाएगा। 12 नवंबर को अदालत में सुनवाई होगी। सरकार यहां यह बताने का प्रयास करेगी की प्रमोशन में आरक्षण न होने से सरकारी विभागों में कितना असर पड़ रहा है।

शुरुआती जांच में पता चला है कि:

  1. अलग-अलग विभागों में तो इन वर्गों का प्रतिनिधित्व ठीक-ठाक है।

  2. मगर जब सभी सरकारी पदों के कुल आंकड़ों को देखते हैं, तो शायद इनका प्रतिनिधित्व अभी भी कम है।

सपाक्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरालाल त्रिवेदी जेएन कंसोटिया सपाक्स अजाक्स मध्यप्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण प्रमोशन में आरक्षण मध्यप्रदेश सरकार
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