पुलिस भर्ती में महिला आरक्षण की गफलत को लेकर हाईकोर्ट पहुंची याचिका

मध्‍य प्रदेश में पुलिस आरक्षक भर्ती पर संकट के बादल गहराने लगे हैं। कर्मचारी चयन मंडल द्वारा जारी की गई रूल बुक में महिला आरक्षण पर सवाल उठ रहे हैं।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL.  मध्य प्रदेश में पुलिस आरक्षक भर्ती पर संकट के बादल गहराने लगे हैं। कर्मचारी चयन मंडल द्वारा जारी की गई रूल बुक में महिला आरक्षण पर सवाल उठ रहे हैं। लाड़ली बहनों के साथ पुलिस महकमे के अधिकारियों ने रूल बुक तैयार करते समय बड़ा झोल कर दिया है।

ये गड़बड़ी किसी उद्देश्य को लेकर की गई है या गलती से हुई है अधिकारियों ने इस पर चुप्पी साध ली है। वहीं महिला वर्ग के 35 फीसदी आरक्षण में सेंधमारी की आशंका को लेकर इंदौर हाईकोर्ट बेंच में याचिका पहुंच गई है। सुनवाई के दौरान गृह विभाग के अधिकारी नोटिफिकेशन के झोल को स्पष्ट नहीं कर पाते तो आरक्षक भर्ती भी कानूनी पेंच में फंस सकती है। 

पुलिस आरक्षक भर्ती का प्रदेश के युवा बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। पुलिस मुख्यालय की भर्ती के लिए कर्मचारी चयन मंडल द्वारा 15 सितम्बर से ऑनलाइन आवेदन शुरू किए जा चुके हैं। जबकि आवेदन जमा करने की आखिरी तारीख 29 सितम्बर तय है।

गृह विभाग द्वारा इस भर्ती के लिए 7500 पदों की स्वीकृति दी है। इसमें महिला वर्ग के लिए 35 फीसदी यानी 2380 पद आरक्षित किए गए हैं। अभ्यर्थियों को पहले चरण में लिखित परीक्षा देनी होगी जबकि दूसरे चरण में शारीरिक दक्षता साबित करनी होगी। पहले चरण में होने वाली लिखित परीक्षा के लिए रूल बुक में जो नियम तय किए गए हैं वही महिला आरक्षण में सेंध लगने की आशंका को पुख्ता करते हैं। 

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अलग जारी नहीं होगा कट-ऑफ

रूल बुक के पेज नंबर 13 पर 9 वें बिंदु की कंडिका घ में लिखा है कि वर्टिकल श्रेणी के पदों के विरुद्ध सात गुना अभ्यर्थियों को कट-ऑफ अंकों के अनुसार आरक्षक पदों पर शारीरिक दक्षता यानी दूसरे चरण के लिए चुना जाएगा। इसी की कंडिका ड‍ में हॉरीजोन्टल श्रेणियों में अलग से कट-ऑफ अंक निर्धारित नहीं करने का उल्लेख किया गया है। इसी हॉरीजोन्टल श्रेणी में महिला आरक्षण भी समाहित है।

यानी लिखित परीक्षा में महिला उम्मीदवारों को पुरुषों से प्रतिस्पर्धा करनी होगी। इसमें चयन के बाद उन्हें शारीरिक दक्षता का अवसर दिया जाएगा और यहां पहुंचने के बाद ही मेरिट में उन्हें आरक्षण का लाभ मिल सकेगा। यानी  एससी, एसटी और ओबीसी सहित ईडब्ल्युएस कैटेगरी को तो लिखित परीक्षा में आरक्षण का  लाभ मिलेगा लेकिन महिला अभ्यर्थियों को नहीं। 

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रिटर्न टेस्ट में नहीं होगा लाभ

इसी रूल बुक के 10 वे बिंदु की कंडिका 3 भी सवाल खड़े करती है। इसमें उल्लेख है कि प्रथम चरण यानी लिखित परीक्षा के कट-ऑफ के आधार पर वर्टिकल श्रेणी के पदों के विरुद्ध सात गुना अभ्यर्थी दूसरे चरण में होने वाली शारीरिक दक्षता परीक्षा के लिए बुलाया जाएगा। यानी प्रथम चरण में वर्टिकल कट-ऑफ के अंकों के आधार पर शारीरिक दक्षता के लिए बुलाए जाने वाले अभ्यर्थियों का चयन होगा।

इस वजह से महिला वर्ग के हॉरीजोन्टल आरक्षित पदों पर सात गुना अभ्यर्थी नहीं बुलाए जाएंगे और वर्टिकल कट-ऑफ से कम अंक रहने पर पद खाली रह सकते हैं। ऐसी स्थिति में इन खाली पदों को वर्टिकल श्रेणी यानी पुरुष अभ्यर्थियों से भर दिया जाएगा। रूल बुक के बिंदु क्रमांक 14 की कंडिका ख इसे स्पष्ट कर रही है। 

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महिला आरक्षण के नियम अलग

पुलिस आरक्षक भर्ती की रूल बुक में ऐसे तमाम बिंदु और कंडिकाएं हैं जो सीधे तौर पर महिला आरक्षण में हेराफेरी की आशंका खड़ी कर रही हैं। इसी में रूल बुक के बिंदु क्रमांक 15 चयन की कंडिका 4 कहती है कि चयन सूची में आरक्षित श्रेणी यानी ओपन कैटेगरी में 35 प्रतिशत महिला अभ्यर्थी चयनित हो जाती हैं तो उनके लिए रिजर्व सीटों को दूसरे अनारक्षित चयनित अभ्यर्थियों से भरा जाएगा। जबकि एससी-एसटी या ओबीसी की सीटों के लिए आरक्षण में अलग ही प्रावधान हैं।

यानी इन कैटेगरी की सीटों पर योग्य अभ्यर्थी न होने पर अनारक्षित अभ्यर्थी भर्ती नहीं किए जा सकते और इन कैटेगरी के अभ्यर्थी मेरिट में आने पर उन्हें अनारक्षित सीट दी जा सकती है। यानी आरक्षण के मामले में महिला अभ्यर्थियों से यहां भी i  किया गया है।   

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इंदौर हाईकोर्ट बेंच पहुंची याचिका

आरक्षक भर्ती की रूल बुक में महिला आरक्षण की विसंगति का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। इंदौर हाईकोर्ट बेंच में महिला अभ्यर्थी ने याचिका लगाई है जिसमें बताया गया है की भर्ती प्रक्रिया के कितने ही चरण हो लेकिन आरक्षण का अनुपात नहीं बदला जा सकता।

याचिकाकर्ता के वकील दिनेश सिंह चौहान का कहना है पुलिस भर्ती की रूलबुक विसंगतियों से भरी है। इससे भर्ती में महिलाओं को निर्धारित प्रतिनिधित्व मिल पाना मुश्किल है। इसी वजह से याचिका लगाई गई है ताकि इस खामियां को सामने लाया जा सके।

याचिका में आरक्षण के संबंध में आए इंदिरा साहनी, अनिल कुमार गुप्ता, राजेश जेहरिया सहित कई अन्य जजमेंट का भी उल्लेख किया गया है। इसका भी उल्लेख है कि वर्टिकल के अंदर ही हॉरीजोन्टल कैटेगरी की गणना की जानी चाहिए। याचिका में मध्य प्रदेश सरकार और गृह विभाग के प्रमुख सचिव को पार्टी बनाया गया है। 

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