फैसला सुनते ही छलकी साध्वी प्रज्ञा की आंखें, बोलीं 17 साल सहा दर्द और अपमान

प्रज्ञा ठाकुर ने मालेगांव बम धमाके मामले में बरी होने के बाद कोर्ट में अपने 17 साल की दर्दनाक यात्रा को साझा किया और भावुक हो गईं। वे रोती हुई कह रही थी मेरे जीवन के 17 साल बर्बाद हो गए। उन्होंने इस निर्णय के लिए कोर्ट का धन्यवाद भी किया।

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Sanjay Dhiman
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मालेगांव बम धमाके के आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को मुंबई की विशेष एनआईए कोर्ट ने बरी कर दिया है। यह धमाका 29 सितंबर 2008 को मालेगांव, महाराष्ट्र में हुआ था, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। यह मामला भारतीय आतंकवाद से संबंधित था, जिसमें भगवा आतंकवाद का नाम भी देने की कोशिश की गई थी।

अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। यह फैसला आतंकवाद के किसी धर्म से जुड़े होने के आरोपों को नकारता है, क्योंकि अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है। 

कोर्ट का फैसला: आरोपियों को मिली राहत

कोर्ट ने मालेगांव धमाके के सात आरोपियों को बरी किया, जिनमें पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय और अन्य शामिल हैं। अदालत का कहना था कि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं थे, जिससे उन्हें दोषी ठहराया जा सके। साथ ही, अदालत ने मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये का मुआवजा देने का आदेश भी दिया।

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जीवन के 17 साल बर्बाद हो गए

फैसले के बाद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर कोर्ट में भावुक हो गईं और उन्होंने कहा कि उनके जीवन के 17 साल बर्बाद हो गए हैं। कोर्ट के बाहर उन्होंने कहा, "आज भगवा की जीत हुई है, हिंदुत्व की जीत हुई है। 'भगवा आतंकवाद' का झूठा आरोप अब झूठा साबित हो गया है।" प्रज्ञा ने यह भी कहा कि उन्होंने बहुत अपमान सहा और उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया गया था। 

साध्वी प्रज्ञा भारती ये जुड़े इस चर्चित मामले को ऐसे समझें 

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Photograph: (the sootr)

मालेगांव बम धमाका केस: मुंबई की विशेष एनआईए कोर्ट में सुनवाई की लंबी प्रक्रिया के बाद मालेगांव बम धमाका(Malegaon blast) के सात आरोपियों को बरी कर दिया, जिसमें साध्वी प्रज्ञा ठाकुर शामिल हैं।

कोर्ट का फैसला: अदालत ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, और आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस प्रमाण नहीं थे, जिससे उन्हें दोषी ठहराया जा सके।

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का बयान: प्रज्ञा ठाकुर ने कहा, "मेरे जीवन के 17 साल बर्बाद हो गए," और इस फैसले को भगवा और हिंदुत्व की जीत के रूप में बताया।

मुआवजा आदेश: कोर्ट ने मारे गए लोगों के परिवारों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया। 

अन्य आरोपियों के बयान: कर्नल पुरोहित ने कहा कि उन्हें मानसिक रूप से बीमार लोगों का शिकार बना दिया गया था, और समीर कुलकर्णी ने 17 साल की पीड़ा के बाद सिर्फ धन्यवाद कहा।

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मुझे झूठे आरोपों में फंसाया गया

साध्वी प्रज्ञा ने यह भी बताया कि कैसे उन्हें जांच के दौरान बिना किसी कारण के गिरफ्तार किया गया और टॉर्चर किया गया। उन्होंने कहा, "मुझे सन्यासिनी का जीवन जीने की उम्मीद थी, लेकिन मुझे झूठे आरोपों में फंसाया गया। आज मैं जिंदा हूं, क्योंकि मैं एक सन्यासी हूं। मैं हर दिन मरते हुए अपना जीवन जी रही हूं।"

कर्नल पुरोहित और समीर कुलकर्णी का बयान

कर्नल प्रसाद पुरोहित ने कहा कि उन्हें मानसिक रूप से बीमार लोगों ने शिकार बना लिया गया था। उन्होंने कहा कि देश की सेवा के लिए उन्होंने अपनी ताकत का सही इस्तेमाल किया था। समीर कुलकर्णी ने कहा, "पिछले 17 वर्षों से मैं पीड़ा सह रहा हूं, लेकिन अब मैं केवल धन्यवाद करता भारतीय न्याय व्यवस्था का।"

FAQ

मालेगांव बम धमाका केस में आरोपी कौन थे?
मालेगांव बम धमाके में सात आरोपियों को बरी किया गया, जिनमें साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल प्रसाद पुरोहित, और अन्य शामिल थे। इन पर 'भगवा आतंकवाद' का आरोप था।
क्या साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को न्याय मिला?
हां, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को एनआईए कोर्ट ने बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं थे और उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया गया था।
क्या अदालत ने मुआवजा देने का आदेश दिया?
हां, अदालत ने मालेगांव धमाके में मारे गए लोगों के परिवारों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है।


 

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