महाकुंभ भगदड़ से ताजा हुई पुरानी यादें, 1954 कुंभ में लगा था लाशों का ढेर, नेहरू पर लगे थे गंभीर आरोप

प्रयागराज महाकुंभ 2025 की भगदड़ ने एक बार फिर पुरानी यादों को ताजा कर दिया है। कुंभ मेला के इतिहास में इस प्रकार की घटनाओं का सिलसिला नया नहीं है। इससे पहले भी कुंभ में भीड़ में लोगों की दबकर मौत हुई हैं।

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Vikram Jain
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Prayagraj Mahakumbh 2025 Mauni Amavasya Stampede
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प्रयागराज महाकुंभ 2025 में मौनी अमवस्या पर संगम तट पर मंगलवार देर रात को भगदड़ मच गई, जिसमें 20 से ज्यादा श्रद्धालुओं की मौत की खबर है। 50 से अधिक लोग घायल हैं। जिन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया है। हादसे के बाद पीएम मोदी ने दुख जताया है और वे पूरे मामले पर नजर बनाए हुए हैं। पीएम मोदी सीएम योगी आदित्यनाथ से संपर्क में हैं। साथ ही युद्धस्तर पर राहत और बचाव कार्य के निर्देश दिए हैं। कुंभ मेले के इतिहास में अफवाह और भारी भीड़ के कारण भगदड़ का इतिहास पुराना है। इसके बाद 1954, 1986, 2003 और 2010 में भी अलग-अलग कुंभ मेलों के दौरान भगदड़ की घटनाएं हुईं।

जानें कब-कब मची भगदड़

प्रयागराज महाकुंभ में हुई इस भगदड़ ने कुंभ मेला इतिहास में एक और काला अध्याय जोड़ दिया है। इससे पहले भी कुंभ मेला में इस प्रकार की घटनाएं घट चुकी हैं, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान गई। 1820 में ब्रिटिश शासन के दौरान कुंभ मेला में भगदड़ मचने से 450 लोगों की मौत हो गई थी। 2013 और 1954 के कुंभ के दौरान भगदड़ मची थी, जिसमें बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे, ये हादसे आज भी लोगों के ज़ेहन में ताज़ा है।

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2013: प्रयागराज जंक्शन पर भगदड़

2013 के कुंभ मेला के दौरान, 10 फरवरी को मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज जंक्शन (इलाहाबाद) पर बड़ा हादसा हुआ था। उस समय बड़ी संख्या में तीर्थयात्री वहां पहुंच चुके थे और प्लेटफार्मों पर भारी भीड़ थी। ओवरब्रिजों पर भी भारी भीड़ थी, और करीब शाम सात बजे प्लेटफार्म छह की ओर जाने वाले फुट ओवरब्रिज पर भगदड़ मच गई। धक्का-मुक्की के कारण कई लोग ओवरब्रिज से नीचे गिर गए, जबकि कई लोग भीड़ में कुचल गए। इस हादसे में 36 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए थे।

1954: आजाद भारत के पहले कुंभ में मची भगदड़

देश की आजादी के बाद साल 1954 के कुंभ मेला में भी भगदड़ हुई थी। उस मेला में मौनी अमावस्या के दिन त्रिवेणी बांध पर मची भगदड़ में 800 श्रद्धालुओं की जान गई थी। इस भगदड़ में कई लोगों की डूबकर मारे गए थे। मेले में खबर फैली कि प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू महाकुंभ में पहुंचे हैं। उन्हें देखने के लिए भीड़ बेकाबू हो गई। इसके बाद अपनी तरफ भीड़ आती देख साधु संन्यासी त्रिशूल लेकर लोगों के पीछे भागने लगे। इसके बाद भगदड़ मच गई। इस हादसे के लिए जवाहर लाल नेहरू पर गंभीर आरोप लगे थे।

1954 के संगम में मची भगदड़ के बाद शवों का ढेर लग गया था। मेला प्रशासन ने इस घटना को छुपाने का प्रयास किया था, लेकिन एक फोटोग्राफर द्वारा चुपके से खींची तस्वीर ने इस घटना को उजागर किया था और उसके बाद सचित्र समाचार प्रकाशित होने पर सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा था। उस समय प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत थे। 65 साल बाद साल 2019 में पीएम मोदी ने इस भयावह हादसे के लिए पंडित नेहरू को जिम्मेदार ठहराया था।

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1986: कुंभ मेला हरिद्वार में भगदड़

साल 1986 में भी हरिद्वार कुंभ मेला में भी भगदड़ मची थी। इस हादसे में भीड़ में दबकर सैकड़ों लोगों की मौत हुई थी। रिपोर्ट के अनुसार 14 अप्रैल 1986 को कुंभ मेले में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह, कई राज्यों के मुख्यमंत्री और सांसदों के साथ हरिद्वार पहुंचे थे। इसके बाद श्रद्धालुओं की भीड़ को तट पर पहुंचने से पहले रोक दिया गया। जिसके बाद लोगों की भीड़ बेकाबू हो गई और भगदड़ मच गई।

2003: नासिक कुंभ में फिर हादसा

1986 के हरिद्वार कुंभ मेला हादसे के बाद लंबे समय तक कुंभ मेले का आयोजन सफलता चलता रहा। इस दौरान भीड़ नियंत्रण में भी बहुत सुधार किया गया। लेकिन साल 2003 में नासिक कुंभ में फिर भीड़ बेकाबू हुईं और भगदड़ मच गई। नासिक कुंभ मेले में मची भयानक भगदड़ में 39 श्रद्धालुओं की मौत हुई थी। साथ ही 100 लोग जख्मी हो गए थे।

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2010: हरिद्वार कुंभ मेले में विवाद के बाद हादसा

साल में कुंभ मेले का आयोजन हरिद्वार में हुआ था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हरिद्वार कुंभ में 14 अप्रैल 2010 को शाही स्नान के दौरान साधुओं और श्रद्धालुओं के बीच विवाद के बाद भगदड़ मची थी। जिसमें 7 लोगों की मौत हुई थी, 15 लोग घायल हो गए थे। इस हादसे के चश्मदीदों का कहना है कि साधुओं और श्रद्धालुओं में कहासुनी हुई थी जिसके बाद भगदड़ मच गई थी, भीड़ बेकाबू हुई, लोग इधर-उधर भागने लगे थे।

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