दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में राष्ट्रपति को प्रथम नागरिक कहा जाता है। उनका सरकारी आवास राष्ट्रपति भवन भारत की शक्ति, लोकतांत्रिक परंपराओं और पंथनिरपेक्ष स्वरूप का प्रतीक माना जाता है। राष्ट्रपति भवन के दो हॉल अशोक हॉल और दरबार हॉल अपने आप में एक कहानी हैं। दोनों हॉल काफी बेशकीमती भी हैं, आइए जानते हैं राष्ट्रपति भवन के दोनों हॉल में क्या है खास........
कहानी दरबार हॉल की
राष्ट्रपति भवन में दरबार हॉल वो जगह है, जहां राष्ट्रीय पुरस्कार दिए जाते हैं और भारत में हुए कई ऐतिहासिक बदलावों का गवाह भी यह हॉल रहा है। दरबार हॉल का पहले नाम थ्रोन रूम हुआ करता था। ये हॉल गवाह है आजाद होने के बाद 15 अगस्त 1947 को पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में स्वतंत्र भारत की पहली सरकार की शपथ का।
श्रद्धांजलि स्थल भी बन गया है हॉल
जब 1977 में राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद का निधन हुआ तो इसे भारत के पांचवे राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि के लिए प्रयोग में लिया गया था। 17 साल में बने राष्ट्रपति भवन को वायसराय के लिए बनाया गया था और ब्रिटिश शासन काल के दौरान दरबार हॉल में वायसराय का दरबार लगता था।
कितना भव्य है हॉल
दरबार हॉल को राष्ट्रपति भवन का सबसे भव्य हॉल कहा जाता है। ये हॉल राष्ट्रपति भवन के सेंट्रल डोम के ठीक नीचे है और इसमें तीन तरफ से एंट्री है। इसकी दीवारें 42 फुट ऊंची हैं, जिन पर सफेद मार्बल लगा हैं। इस हॉल में लगा एक झूमर इसकी सुंदरता को और भी खास कर देता है, क्योंकि यह बेल्जियम कांच से बना हुआ है और काफी बेशकीमती है। हॉल में काफी मार्बल लगा हुआ है, जिसमें सफेद मार्बल मकराना और अलवर से, ग्रे मार्बल मारवाड़ से, हरा मार्बल बड़ौदा और अजमेर से, गुलाबी मार्बल अलवर, मकराना और हरिबाग से लाया गया था इसके अलावा एक चॉकलेट कलर का मार्बल भी है, जो इटली से लाया गया था।
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दरबार हॉल में एंट्री करेंगे या फिर तस्वीर देखेंगे तो आपको एक भगवान बुद्ध की मूर्ति दिखाई देगी, जो पांचवी सदी की है। इस मूर्ति के सामने ही राष्ट्रपति की कुर्सी है। पहले यहां वायसराय और उनकी वाइफ के लिए कुर्सी रखी गई थी, इसके अलावा हॉल में कई पेटिंग लगी हैं, जो देश के राजनेताओं की है।
काफी भव्य है अशोक हॉल
राष्ट्रपति भवन का अशोक हॉल कुछ विशेष आयोजनों के लिए इस्तेमाल होता है, लेकिन पहले यह जगह स्टेट बॉल रूम के रुप में इस्तेमाल की जाती थी। इसका फर्श लकड़ी से बना हुआ है। अशोक हॉल का उपयोग विदेशी देशों के मिशन प्रमुखों द्वारा परिचय पत्र प्रस्तुत करने और राष्ट्रपति द्वारा आयोजित राजकीय भोज के लिए भी होता है।
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छत और फर्श का अलग आकर्षण
अशोक हाल की छत और फर्श दोनों का अपना अलग आकर्षण है। फर्श पूरी तरह से लकड़ी का बना हुआ है। इसकी सतह के नीचे स्प्रिंग लगे हैं। अशोक हॉल की छतें तेल चित्रों से सजी हैं।
फारस के शासक की बड़ी सी पेंटिंग
छत के बीच में चमड़े की एक पेंटिंग है, जिसमें फतह अली शाह का घुड़सवार चित्र है, जो फारस के सात कजर शासकों में दूसरे थे, अपने बाइस बेटों के साथ एक बाघ का शिकार कर रहे हैं। यह पेंटिंग, जिसकी लंबाई 5.20 मीटर और चौड़ाई 3.56 मीटर है. हालांकि लेडी विलिंगटन को ये पेंटिंग पसंद नहीं आई।
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अशोक हॉल में कई उल्लेखनीय कलाकृतियां हैं. जो बहुमूल्य हैं, कहा जाता है अशोक हाल में जो कालीन बिछा है, उसको बनाने में दो साल तक 500 लोगों ने बुनकर बनाया था। ये कालीन गहरे लाल रंग की है, फूल और पेड़ों की आकृतियां हैं।
बदले गए नाम
राष्ट्रपति भवन में बने दरबार हॉल और अशोक हॉल का नाम बदल दिया गया है। गुरुवार 25 जुलाई को राष्ट्रपति भवन की तरफ से इनके नाम बदलने की आधिकारिक घोषणा की गई। अब दरबार हॉल को गणतंत्र मंडप और अशोक हॉल को अशोक मंडप के नाम से जाना जाएगा।
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