Pune Porsche accident : नाबालिग को बेल, पिता को जेल, वयस्क की तरह ट्रायल की मांग, जाने मामले में अब तक क्या हुआ

पुणे में पोर्श कार एक्सिडेंट के मामले में नाबालिग के पिता को हिरासत में लिया गया है। नाबालिग लड़के पर वयस्क की तरह केस चलाने की मांग की जा रही है। जाने केस की पूरी अपडेट...

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Shreya Nakade
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पुणे पोर्श एक्सिडेंट
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पुणे में 17 साल के नाबालिग ने तीन दिन पहले शराब के नशे में अपनी पोर्श कार से बाइक सवार दो इंजीनियर्य को रौंद दिया था ( Pune Porsche accident )। हादसे में मध्यप्रदेश के अनीश अवधिया (24 साल) और अश्विनी कोष्टा (24 साल) की मौत हो गई थी। दोनों पुणे में काम करते थे। आरोपी अपने दोस्तों के साथ क्लब मे पार्टी करने गया था। वहां से बाहर निकलते समय लड़का नशे में था। इस मामले में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने कुछ शर्तों के साथ आरोपी नाबालिग को रिहा कर दिया। बाद में पुलिस ने आरोपी नाबालिग के पिता विशाल अग्रवाल को छत्रपति संभाजी नगर से गिरफ्तार किया है। 

दुर्घटना के मामले में कोर्ट ने तीन आरोपियों को पुलिस कस्टडी में भेज दिया है। इनमें जिस क्लब में लड़का गया था वहां से जितेश शेवनी, जयेश बोनकर और नाबालिग आरोपी के पिता  विशाल अग्रवाल शामिल हैं। अब तक इस मामले में 6 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। 

नाबालिग पर वयस्क की तरह केस चलाने की मांग

पुणे पोर्श एक्सिडेंट मामले में पुलिस ने नाबालिग पर धारा 185 motor vehicle act के तहत मामला दर्ज किया है। इसके साथ ही उसे फिर से जुवेनाइल कोर्ट में पेश किया। नाबालिग आरोपी पर वयस्क की तरह मामला चलाया जाए या नहीं इसे लेकर कोर्ट फैसला देगा। पुलिस ने शराब पीने की धारा इस केस में जोड़ी है, जिसके सीसीटीवी फुटेज और पब को दिए बिल भी कोर्ट में पेश किए। पुलिस का कहना है कि नाबालिग का केस निर्भया केस की तरह चलाया जाए। आरोपी की उम्र 16 वर्ष के ऊपर है। उसकी आयु अभी 17 वर्ष 8 महीने है। 

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इन धाराओं के तहत केस दर्ज 

पुणे पुलिस के अनुसार किशोर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा-304 (गैर इरादतन हत्या) और मोटर वाहन अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। पुलिस ने किशोर के पिता के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 और 77 के तहत प्राथमिकी दर्ज की है। बार के मालिक के खिलाफ भी तय आयु से कम उम्र के व्यक्ति को शराब परोसने का मामला दर्ज किया गया है।

जमानत खारिज करते हुए 24 मई तक न्यायिक हिरासत में भेजा

मामले में तीन आरोपियों को 24 मई तक पुलिस कस्टडी में भेजा गया है। आज अन्य तीन लोगों को भी 24 मई तक पुलिस कस्टडी में भेजा जाएगा। मामले में वकील असीम सरोदे ने कहा, हस्तक्षेप कर्ता की ओर से, हमने आरोपी के पिता को जमानत देने के खिलाफ तर्क दिया है। जिस आधार पर वह जमानत मांग रहा था, उसे अदालत ने खारिज कर दिया। साथ ही उसे 24 मई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। उन्होंने यह तर्क पेश करने की कोशिश की कि उन्होंने अपने आरोपी बेटे के साथ एक ड्राइवर भेजा था। ऐसे में सवाल उठता है कि फिर ड्राइवर कार क्यों नहीं चला रहा था और बिना लाइसेंस वाला व्यक्ति कार क्यों चला रहा था।

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नाबालिग के दादा ने दिया आश्वासन 

आरोपी को किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश किया गया था। यहां से कुछ समय बाद उसे जमानत दे दी गई। पुलिस के अनुसार, शनिवार और रविवार की मध्य रात्रि किशोर अपने दोस्तों के साथ रात साढ़े नौ से एक बजे के बीच दो होटलों में गया था और वहां उसने कथित तौर पर शराब पी थी। रविवार को किशोर न्याय बोर्ड के पारित आदेश में कहा गया, 'आरोपी किशोर के दादा ने आश्वासन दिया है कि वह बच्चे को किसी भी बुरी संगत से दूर रखेंगे तथा उसकी पढ़ाई पर या कोई ऐसा व्यावसायिक पाठ्यक्रम कराने पर ध्यान देंगे जो उसके करियर के लिए उपयोगी हो। वह उस पर लगाई गई शर्त का पालन करने के लिए तैयार हैं इसलिए किशोर को जमानत पर रिहा करना उचित है।'

जुवेनाइन जस्टिस बोर्ड के सदस्य डॉ. एल. एन. दानवड़े और श्रीमति के टी थोरट ने आदेश पारित करते हुए कहा कि किशोर को 7,500 रुपये के निजी मुचलके पर जमानत पर रिहा किया जाता है और यह शर्त है कि उसके माता-पिता उसकी देखभाल करेंगे। कोर्ट ने कहा था कि यह सुनिश्चित करें भविष्य में कभी भी किसी अपराध में वह शामिल ना हो। कोर्ट ने उसे क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय जाकर यातायात नियमों का अध्ययन करने और 15 दिनों के भीतर बोर्ड के समक्ष एक प्रस्तुतिकरण देने का भी निर्देश दिया। हालांकि बेल ऑर्डर ( bail order ) की कॉपी में मजिस्ट्रेट का नाम नहीं है।

नाबालिग को दी गई बेल ऑर्डर की कॉपी - 
 

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पुलिस ने माना अति निंदनीय अपराध

देश में कहा- 'किशोर सड़क दुर्घटनाओं और उनके समाधान विषय पर 300 शब्दों का निबंध लिखेगा।' पुणे पुलिस ने जमानत आदेश को चुनौती देते हुए सेशन कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और लड़के के साथ एक वयस्क के रूप में व्यवहार करने की अनुमति मांगी है। पुलिस के मुताबिक उसने जो अपराध किया है वह ‘जघन्य’ है। हालांकि अदालत ने पुलिस से कहा कि वह आदेश की समीक्षा के लिए किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष याचिका दायर करे। 

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राजनीतिक संरक्षण की हो रही बात

पुणे पोर्श एक्सीडेंट केस में आरोप है कि स्थानीय एनसीपी विधायक सुनील टिंगरे ने इस मामले में पुलिस पर दबाव बनाने की कोशिश की थी। कहा जा रहा है कि एनसीपी विधायक सुनील टिंगरे आधी रात पुलिस स्टेशन गए थे। इसपर सवाल उठाए जा रहे हैं। इसके अलावा शिवसेना यूबीटी के नेता अंबादास दानवे ने बुधवार को पूछा कि महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने घटना के बाद पुणे का दौरा क्या जांच एजेंसियों को बचाने के लिए किया था?

अब तक कोर्ट ने सुनाए ये फैसला 

  • पुणे के पोर्श एक्सीडेंट केस में नाबालिग आरोपी की जमानत रद्द हो गई है।
  • जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को बाल सुधार गृह भेजा ।
  • 5 जून तक आरोपी को ऑब्जर्वेशन में रखा जाएगा।
  • आरोपी को बालिग की तरह ट्रीट किया जाए या नहीं इसपर अभी तक कोर्ट की तरफ से कोई फैसला नहीं हो पाया है।
  • इसपर 5 जून तक फैसला हो सकता है।
  • नाबालिग आरोपी पर बालिग मानकर केस चलाने की मांग की गई थी।
     

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