संविधान लीडरशिप प्रोग्राम दलित, पिछड़े, EWS व अल्पसंख्यकों के लिए है, लेकिन सामान्य वर्ग क्यों बाहर है? जानिए राहुल गांधी की मंशा।
संविधान लीडरशिप प्रोग्राम (Samvidhan Leadership Program) कांग्रेस नेता राहुल गांधी की एक बड़ी पहल है, जिसका उद्देश्य समाज के वंचित तबकों- जैसे दलित (Dalit), पिछड़ा वर्ग (OBC), महादलित (Most Backward), पसमांदा (Pasmanda), EWS (Economically Weaker Section) और अल्पसंख्यक (Minorities) को राजनीतिक नेतृत्व में आगे लाना है।
इस पहल में सामान्य वर्ग (General Category) को लेकर कोई स्पष्ट स्थान नहीं दिया गया है। यह सवाल खड़ा करता है कि क्या सामान्य वर्ग की कोई भूमिका नहीं है? क्या वह समाज के निर्माण में अप्रासंगिक हो गया है?
सामान्य वर्ग क्यों नहीं?
सामान्य वर्ग को अब तक शिक्षा, नौकरियों और राजनीति में प्रमुख स्थान मिलता रहा है। इसलिए कांग्रेस की यह योजना "Positive Discrimination" या "सकारात्मक भेदभाव" के आधार पर बनाई गई है ताकि असंतुलन को सुधारा जा सके। राहुल गांधी का तर्क है कि जब तक वंचित वर्गों को बराबर भागीदारी नहीं दी जाएगी, तब तक "न्याय अधूरा रहेगा"। इसी सोच के तहत सामान्य वर्ग को इस कार्यक्रम से बाहर रखा गया है।
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इन वर्गों के लिए है संविधान लीडरशिप प्रोग्राम...
बड़ा सवाल: क्या सामान्य वर्ग में कोई वंचित नहीं?
वास्तविकता यह है कि सामान्य वर्ग के कई लोग भी आर्थिक रूप से कमजोर (EWS) हैं और अवसरों से वंचित हैं। हालांकि EWS को इस प्रोग्राम में शामिल किया गया है, लेकिन सामान्य वर्ग के अन्य लोगों की भागीदारी पर चुप्पी कई लोगों को असंतुष्ट कर सकती है।
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कांग्रेस की रणनीति
कांग्रेस का उद्देश्य स्पष्ट है- जिन्हें अब तक मुख्यधारा में प्रतिनिधित्व नहीं मिला, उन्हें नेतृत्व में लाना, लेकिन अगर यह नेतृत्व कार्यक्रम "समावेशी" (inclusive) होता तो इसका प्रभाव और भी व्यापक होता। यह जरूरी है कि कोई भी राजनीतिक पहल वर्ग, जाति या धर्म से ऊपर उठकर* समाज के हर हिस्से को साथ ले जाए।
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