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Photograph: (THESOOTR)
मध्यप्रदेश के एक न्यूज चैनल पर 28 सितंबर को चल रही लद्दाख हिंसा पर बहस के दौरान भाजपा के पूर्व ABVP नेता (ABVP leader) प्रिंटू महादेव ने कहा कि "राहुल गांधी को सीने में गोली मारी जाएगी"। इस बयान ने पूरे राजनीतिक क्षेत्र में हलचल मचा दी।
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने गृह मंत्री अमित शाह को एक चिट्ठी लिखकर इस धमकी पर गहरी चिंता जताई है। वेणुगोपाल का कहना है कि यह बयान किसी छोटे स्तर के पदाधिकारी की लापरवाही नहीं है, बल्कि यह एक जानबूझकर फैलाया गया नफरत का परिणाम है, जो विपक्षी नेताओं के लिए असुरक्षा का कारण बन सकता है।
कांग्रेस ने अमित शाह को लिखा पत्र
कांग्रेस ने इस बयान को गंभीरता से लेते हुए गृह मंत्री अमित शाह से तुरंत कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने पत्र में लिखा कि अगर इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की जाती, तो यह राहुल गांधी के खिलाफ हिंसा को वैध बनाने जैसा होगा।
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि यह बयान किसी बड़े राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा हो सकता है, जो भारतीय राजनीति में जहर घोलने का प्रयास कर रहा है।
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विदेश यात्रा को लेकर CRPF ने लिखा पत्र
हाल ही में राहुल गांधी ( Rahul Gandh ) की सुरक्षा को लेकर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) ने चिंता जताई थी। CRPF ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर बताया कि राहुल गांधी पिछले नौ महीने में छह बार बिना सुरक्षा एजेंसियों को सूचित किए विदेश यात्रा पर गए हैं।
यह सुरक्षा प्रोटोकॉल की गंभीर चूक है, जिससे उनकी Z+ सुरक्षा कमजोर हो सकती है। CRPF ने इस मुद्दे को पहले भी उठाया था, लेकिन अब उनकी चिंताएं और बढ़ गई हैं, क्योंकि इससे राहुल गांधी को खतरे का सामना हो सकता है।
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Z+ सुरक्षा कवर और 'यलो बुक प्रोटोकॉल'
राहुल गांधी को Z+ सुरक्षा ( Rahul Z+ security ) कवर प्राप्त है, जो भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले उच्चतम सुरक्षा स्तर में से एक है। यह सुरक्षा उन्हें प्रमुख राजनीतिक व्यक्ति के रूप में दी जाती है।
इस सुरक्षा श्रेणी में आने वाले लोगों को अपनी सभी गतिविधियों और विदेश यात्राओं की जानकारी पहले से सुरक्षा एजेंसियों को देनी होती है। इस प्रोटोकॉल को 'यलो बुक प्रोटोकॉल' कहा जाता है। इस नियम के तहत सुरक्षा एजेंसियां सुनिश्चित करती हैं कि सुरक्षा इंतजाम सही तरीके से किए जाएं और संभावित खतरों से बचाव हो सके।
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राहुल गांधी की SPG सुरक्षा ली थी वापस
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को पूर्व में विशेष सुरक्षा समूह (SPG) द्वारा सुरक्षा प्रदान की जाती थी, जो 2019 में वापस ले ली गई। इसके बाद, CRPF ने उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी ली।
कांग्रेस ने हमेशा राहुल गांधी की सुरक्षा पर गंभीरता से ध्यान दिया है, खासकर जब उनके परिवार के दो सदस्य (राजीव गांधी और संजय गांधी) को राजनीतिक हिंसा का शिकार होना पड़ा। राहुल गांधी की सुरक्षा को लेकर लगातार सवाल उठाए जाते रहे हैं, लेकिन उनकी विदेश यात्राओं के कारण इस मुद्दे ने और तूल पकड़ा है।
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राजनीति में सार्वजनिक जीवन असुरक्षित
भारत में राजनीति में हिंसा और धमकियों का स्तर लगातार बढ़ रहा है। राहुल गांधी को जान से मारने की धमकी के मामले ने इस स्थिति को और उजागर किया है।
राजनीतिक दलों के नेता अब खुलकर एक-दूसरे को धमकी देने लगे हैं, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में असंतुलन आ सकता है। ऐसे बयान समाज में नफरत और हिंसा को बढ़ावा देते हैं, जिससे सार्वजनिक जीवन असुरक्षित हो जाता है। कांग्रेस ने इसे गंभीरता से लिया है और सरकार से कार्रवाई की मांग की है।
राहुल गांधी की सुरक्षा और उनके खिलाफ हिंसा की धमकी को लेकर राजनीति में एक नया मोड़ आया है। कांग्रेस और BJP के बीच यह विवाद एक गंभीर मुद्दे की ओर इशारा कर रहा है, जो भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था और विपक्षी नेताओं की सुरक्षा से संबंधित है। अब यह देखना होगा कि सरकार इस मुद्दे पर कैसे प्रतिक्रिया देती है और क्या जल्द ही कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे।