आरटीआई से खुलासा: वरिष्ठ नागरिकों की रियायत वापस लेकर रेलवे ने 8913 करोड़ रुपए कमाए

आरटीआई से खुलासा हुआ है कि रेलवे ने वरिष्ठ नागरिकों की टिकट रियायत वापस लेकर पांच साल में 8913 करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व कमाया। जानें पूरी जानकारी।

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Jitendra Shrivastava
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कोरोना महामारी के कारण भारतीय रेलवे ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए मिलने वाली टिकट रियायत ( concession ) को 20 मार्च, 2020 से वापस ले लिया था। इससे पहले, 60 वर्ष से अधिक आयु के पुरुष और ट्रांसजेंडर तथा 58 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को सभी वर्गों के लिए क्रमशः 40 प्रतिशत और 50 प्रतिशत की छूट मिलती थी। यह सुविधा कई वर्षों तक वरिष्ठ नागरिकों को मिल रही थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण यह रियायत अचानक वापस ले ली गई, और अब तक इसे फिर से बहाल नहीं किया गया है।

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रेलवे ने 5 वर्षों में अतिरिक्त 8913 करोड़ कमाए

सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत एक आवेदन पर प्राप्त जानकारी के अनुसार, रेलवे ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए इस रियायत को वापस लेकर पिछले पांच वर्षों में लगभग 8,913 करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व अर्जित किया है। रेलवे ने इन रियायतों के निलंबन से मिलने वाली अतिरिक्त राशि को अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिए उपयोग किया है। सीआरआईएस (रेल मंत्रालय के अधीन रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र) के आंकड़ों के मुताबिक, 20 मार्च 2020 से 28 फरवरी 2025 तक, 31.35 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों ने इस सुविधा के निलंबन के बाद यात्रा की और अतिरिक्त राशि का भुगतान किया।

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क्या था  concession का महत्व?

यह रियायत वरिष्ठ नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण थी, क्योंकि इससे उन्हें ट्रेन यात्रा में बड़ी राहत मिलती थी। 60 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों और ट्रांसजेंडरों को 40 प्रतिशत की छूट, जबकि 58 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को 50 प्रतिशत की छूट मिलती थी। इस छूट ने लाखों वरिष्ठ नागरिकों को यात्रा में आर्थिक रूप से सक्षम बनाया था, खासकर उन लोगों को जो सामाजिक और व्यक्तिगत कारणों से नियमित रूप से यात्रा करते हैं।

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रेलवे का तर्क: रियायतों का औसत पहले ही 46 प्रतिशत

रेल मंत्रालय ने संसद में इस मुद्दे पर उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि रेलवे पहले से ही प्रत्येक यात्री को औसतन 46 प्रतिशत रियायत प्रदान करता है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह भी बताया कि इस औसत रियायत में वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली रियायतें भी शामिल हैं, इसलिए उन्हें अन्य रियायतों की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, इस तर्क के बावजूद वरिष्ठ नागरिकों और उनके संगठनों ने बार-बार मांग की है कि रियायतें फिर से बहाल की जाएं।

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रियायत न मिलने से वरिष्ठ नागरिकों पर क्या असर पड़ा?

रेलवे की इस रियायत को वापस लेने के बाद, वरिष्ठ नागरिकों को न केवल अतिरिक्त खर्च का सामना करना पड़ा, बल्कि कई ने यात्रा करना भी छोड़ दिया, क्योंकि यह उनके लिए महंगा हो गया। विशेष रूप से, छोटे शहरों और कस्बों से बड़े शहरों तक यात्रा करने वाले वरिष्ठ नागरिकों पर यह निर्णय भारी पड़ा। यह निर्णय उनके सामाजिक और आर्थिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, क्योंकि यात्रा की सुविधा और रियायत उनके जीवन को आसान बनाती थी।

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आगामी योजनाएं और संसद में चर्चा

वरिष्ठ नागरिकों के लिए रियायत वापस लेने का मुद्दा संसद में कई बार उठाया गया है, लेकिन अब तक रेलवे ने इसे बहाल करने का कोई निर्णय नहीं लिया है। वरिष्ठ नागरिक संगठनों ने इस फैसले को विरोध किया है और सरकार से इसे फिर से लागू करने की मांग की है। 

 

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