वीरता और संघर्ष से भरी थी रानी लक्ष्मीबाई की यात्रा, भारतीय इतिहास की एक महान वीरांगना

रानी लक्ष्मीबाई ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के खिलाफ वीरतापूर्वक संघर्ष किया और झांसी की रक्षा करते हुए शहीद हो गईं। उनकी वीरता और साहस आज भी भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

author-image
Kaushiki
New Update
Rani Laxmibai
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर 1835 को काशी में हुआ था। उनका जीवन साहस, संघर्ष और बलिदान से भरा हुआ था। बचपन में उनका नाम मणिकर्णिका था और वे मनु के नाम से जानी जाती थीं। 

रानी लक्ष्मीबाई का शौर्य भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रेरणादायक अध्यायों में से एक है। हालांकि, उनके जीवन के बारे में कुछ बातें अभी भी कम ही लोग जानते हैं। तो आइए जानें...

ये खबर भी पढ़ें... Fathers Day Special: दुनिया की सबसे बड़ी शिक्षा है पिता से मिली सीख, दिल से दिल का मजबूत कनेक्शन

रानी लक्ष्मीबाई की जीवनी: जन्म, परिवार, जीवन इतिहास और मृत्यु

रानी लक्ष्मीबाई का प्रारंभिक जीवन

रानी लक्ष्मीबाई के पिता मोरोपंत ताम्बे पेशवा के सेनानायक थे और उनकी मां का नाम भागीरथी बाई था। उनका बचपन का नाम मणिकर्णिका था और प्यार से उन्हें "मनु" पुकारा जाता था। उनका पालन-पोषण कठोर परिस्थितियों में हुआ और उन्होंने घुड़सवारी, तीरंदाजी और आत्मरक्षा की ट्रेनिंग ली।

1842 में उनका विवाह झांसी के राजा गंगाधर राव से हुआ, जिसके बाद उनका नाम लक्ष्मीबाई पड़ा। 1851 में उनके एक पुत्र का जन्म हुआ, लेकिन दुख की बात यह थी कि वह महज चार महीने में निधन हो गया। इसके बाद, 1853 में राजा गंगाधर राव का भी निधन हो गया और लक्ष्मीबाई पर झांसी की जिम्मेदारी आ गई।

ये खबर भी पढ़ें... World Blood Donor Day पर जानें कौन कर सकता है रक्तदान और कौन नहीं

रानी लक्ष्मीबाई : झांसी की वीरांगना रानी | द हेरिटेज लैब

विवाह और परिवार

14 साल की उम्र में 1842 में, उनका विवाह झांसी के शासक गंगाधर राव नेवलेकर से हुआ, जिसके बाद उनका नाम लक्ष्मीबाई पड़ा। शादी के बाद उन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया, लेकिन वह मात्र चार महीने ही जीवित रहा। इसके बाद उनके पति का भी निधन हो गया और रानी लक्ष्मीबाई ने खुद झांसी की जिम्मेदारी संभालने का फैसला किया।

अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष

अग्रेजों ने रानी लक्ष्मीबाई के साम्राज्य को अपना बनाने के लिए उन्हें दबाव डालना शुरू किया। वायसराय डलहौजी ने झांसी को अपने कब्जे में लेने के लिए यह उपयुक्त समय समझा। उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई से झांसी को अंग्रेजों को सौंपने की मांग की।

तो 1854 में जब अंग्रेजों ने झांसी पर कब्जा करने की योजना बनाई और रानी के दत्तक पुत्र दामोदर राव की गोद को अस्वीकार कर दिया तो रानी लक्ष्मीबाई ने उन्हें कड़ी चुनौती दी।

रानी ने यह घोषणा की, "मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी।" इसके बाद, 1857 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत हुई और रानी ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया।

ये खबर भी पढ़ें... देश की आधी आबादी फ्रोजन शोल्डर से परेशान, विश्व योग दिवस पर ये ट्रिक देंगे तुरंत आराम

झांसी की रानी लक्ष्मी बाई का जानें इतिहास, देश की स्वतंत्रता के लिए कई  लड़ाई लड़ी, अपनी विजयगाथा लिखी - Amrit Vichar

झांसी की लड़ाई

23 मार्च 1858 को झांसी पर अंग्रेजों ने आक्रमण किया। रानी लक्ष्मीबाई ने अपनी छोटी-सी सेना के साथ सात दिन तक वीरतापूर्वक झांसी की सुरक्षा की। वे खुले रूप से शत्रु का सामना करती रहीं और अपनी पीठ पर दामोदर राव को बांधकर युद्ध करती रहीं।

रानी ने काशी बाई और 14,000 बागियों की फौज तैयार की और अंग्रेजों का सामना किया। 30 मार्च 1858 को अंग्रेजों ने झांसी के किले पर बमबारी की, लेकिन रानी ने उनका मुकाबला किया।

17 जून 1858 को, रानी लक्ष्मीबाई ने अपनी आखिरी जंग के लिए किले से बाहर निकलकर युद्ध किया। पीठ पर दत्तक पुत्र बांधकर, तलवार हाथ में लेकर उन्होंने अंग्रेजों से लोहा लिया।

रानी की वीरता और संघर्ष ने अंग्रेजों को चौंका दिया, लेकिन अंततः 18 जून 1858 को ग्वालियर में हुए युद्ध में रानी लक्ष्मीबाई वीरगति को प्राप्त हुईं।

Rani Lakshmibai Death Anniversary 2024 Life Interesting Facts How Was The  Last Day Of Jhansi Ki Rani - Amar Ujala Hindi News Live - Rani Lakshmibai  Death Anniversary:कैसा था झांसी की रानी

रानी लक्ष्मीबाई की शहादत

लॉर्ड कैनिंग की रिपोर्ट के मुताबिक, रानी लक्ष्मीबाई को एक सैनिक ने पीछे से गोली मारी और फिर एक सैनिक ने तलवार से उनकी हत्या कर दी। उनके बलिदान ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण स्थान बनाया।

ग्वालियर के युद्ध में रानी लक्ष्मीबाई घायल हो गईं और अंततः उन्होंने वीरगति प्राप्त की। उनका बलिदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का अहम हिस्सा बना और उनकी वीरता ने उन्हें एक आदर्श वीरांगना बना दिया।

ये खबर भी पढ़ें... शादी की 181वीं सालगिरहः इस मंदिर में गंगाधर राव से विवाह कर मणिकर्णिका से बनीं थी महारानी लक्ष्मीबाई

अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃🤝💬

👩‍👦👨‍👩‍👧‍👧 

रानी लक्ष्मीबाई समाधि | वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई | Rani Laxmibai Samadhi | Rani Laxmibai | देश दुनिया न्यूज

देश दुनिया न्यूज वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई काशी रानी लक्ष्मीबाई समाधि Rani Laxmibai Samadhi रानी लक्ष्मीबाई Rani Laxmibai