23 संस्थानों में रिसर्च, खान-पान से तय होंगे 11 ​बीमारियों की जांच के पैमाने

मध्यप्रदेश में जांच का जिम्मा एम्स भोपाल को सौंपा गया है। पांच साल तक शोध के बाद डायबिटीज, मेंटल हेल्थ और टीबी से लेकर एनीमिया सहित नौनिहालों की मौतें रोकने के लिए बीमारियों की पहचान के लिए जांचों के भारतीय तरीके और पैमाने तय किए जाएंगे।

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Pooja Kumari
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BHOPAL. देश में पहली बार हमारे खान-पान की बदलती आदतों के आधार पर बीपी-शुगर, हार्ट संबंधी समेत 11 बीमारियों की जांच के नए तरीके और पैमाने नए सिरे से तय हो रहे हैं। जल्द ही दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) राष्ट्रीय स्तर के 23 चिकित्सा संस्थानों में रिसर्च वर्क शुरू करेगी। संभावना है कि इस पर करीब 300 करोड़ रुपए खर्च होंगे।

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प्रत्येक अस्पताल को रिसर्च वर्क के लिए दिए जाएंगे 8 करोड़ रुपए

टीबी से लेकर एनीमिया सहित नौनिहालों की मौतें रोकने के लिए बीमारियों की पहचान के लिए जांचों के भारतीय तरीके और पैमाने तय किए जाएंगे। साथ ही हर बीमारी के शोध पर 25 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। जानकारी के मुताबिक एक अस्पताल को 8 करोड़ रुपए इस रिसर्च वर्क के लिए मिलेंगे। बताया जा रहा है कि इस रिसर्च में तीन से चार अस्पतालों को शामिल किया जाएगा।

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आईसीएमआर (ICMR) का अनुमान

आईसीएमआर (ICMR) का कहना है कि अनुमानत: आने वाले 2025 तक भारत में बीपी और डायबिटीज के 7 करोड़, हृदय, मानसिक रोग के 4 करोड़ और कैंसर के 15.7 लाख से अधिक मरीजस हो जाएंगे। साथ ही एंटी बायोटिक दवाओं के गलत इस्तेमाल से दुनिया में प्रत्येक वर्ष साल 1 करोड़ से ज्यादा मौतें होने का अनुमान है।

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इन बीमारियों पर रहेगा फोकस 

बताया जा रहा है कि रिसर्च के दौरान इन रोगों, जौसे टीबी, डेंगू, जापानी एन्सेफलाइटिस, मलेरिया, स्क्रब टाइफस और चित्तीदार बुखार (स्पॉटेड फीवर) पर भी फोकस रखा जाएगा। साथ ही गैर-संचारी रोग जैसे हृदय रोग, कैंसर, दमा व सांस संबंधी बीमारियां और डायबिटीज। मानसिक स्वास्थ्य आदि पर भी रिसर्च किया जाएगा। अभी तक जो जांच का तरीका उपलब्ध है वह या तो अमेरिकी है या यूरोपियन। मानक भी वहां के खान-पान व वातावरण के आधार पर ही तय हैं। ऐसे में भारत में जब शुगर की जांच की जाती है तो वह बढ़ी हुई आती है, क्योंकि वहां के लोगों की अपेक्षा हमारा खान-पान काफी अलग है।

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