जिंदा रहते रिटायर्ड जवान ने ओढ़ा कफन, खुद की उठवाई अर्थी, भोज का भी कराया आयोजन

अभी तक आपने इंसान के मरने के बाद अर्थी उठती हुई देखी होगी। लेकिन, बिहार के गया जिले के कोंची गांव में वायुसेना के रिटायर्ड जवान ने खुद की शव यात्रा निकाली। उनका कहना था कि मरने की खबर पर कितने लोग आते हैं, उन्हें यह देखना था।

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Sandeep Kumar
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PATNA. बिहार के गयाजी में वायुसेना के रिटायर्ड जवान ने जिंदा रहते खुद की अर्थी निकलवाई। इस बारे में उन्होंने बताया कि अर्थी निकलवाने का उनका मकसद सिर्फ इतना था मरने की खबर पर कितने लोग आते हैं। दरअसल ये पूरा वाक्या बिहार के गया जिले का है। यहां पर एक शख्स ने रिटायर्ड जवान ने कफन ओढ़ा और फिर अपनी शव यात्रा निकाली। यह अनोखी घटना गुरारू प्रखंड के कोंची गांव में हुई। 

मोहनलाल जानना चाहते थे कितना सम्मान मिलेगा

वायुसेना से रिटायर होकर मोहनलाल ने अपनी मौत की एक्टिंग की। उन्होंने परिवार से अंतिम यात्रा की तैयारी करने को कहा। वह यह देखना चाहते थे कि कितने लोग उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होंगे। वे जानना चाहते थे कि लोग उन्हें कितना सम्मान देंगे।

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अंतिम यात्रा में शामिल हुए लोग

मोहन लाल की अंतिम यात्रा में सैकड़ों लोग शामिल हुए। बैंड-बाजे के साथ "राम नाम सत्य है" के नारे गूंज रहे थे और साउंड सिस्टम पर "चल उड़ जा रे पंछी, अब देश हुआ बेगाना" की धुन बज रही थी। उनकी अर्थी को फूलों से सजा कर मुक्तिधाम तक ले जाया गया। श्मशान घाट में उनका प्रतीकात्मक पुतला जलाया गया, जिसके बाद वहां सामूहिक भोज का आयोजन भी किया गया।

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क्या बोले सेना के रिटायर जवान

सेना के रिटायर जवान मोहनलाल ने कहा कि मैं अपनी अंतिम यात्रा देखना चाहता था। साथ ही यह जानना चाहता था कि लोग उन्हें कैसे याद करते हैं। उन्होंने कहा कि लोग मरने के बाद अपनी अर्थी नहीं देख सकते हैं, लेकिन मैं यह दृश्य खुद देखना चाहता था। मोहनलाल के मुताबिक, वायुसेना से रिटायर होने के बाद उनकी इच्छा थी कि वह समाज की सेवा करें। उन्होंने गांव में मुक्तिधाम बनाने की योजना बनाई है। 

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समाज में चर्चा का विषय

मोहनलाल के दो बेटे हैं। एक डॉक्टर है, दूसरा शिक्षक है। उनकी एक बेटी धनबाद में रहती है। उनकी पत्नी का निधन हो चुका है। रिश्तेदार और गांववाले उन्हें सामाजिक व्यक्ति मानते हैं। रिश्तेदार अखिलेश ठाकुर और उपेंद्र यादव ने इस पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि मोहनलाल की शव यात्रा में शामिल होना सम्मान की बात है। इस तरह की पहल पहले कभी नहीं देखी। मोहनलाल की यह पहल पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गई है।

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