ROOM Rent Agreement : 11 महीने का ही क्यों होता है रेंट एग्रीमेंट, जानें आखिर क्यों बना है ऐसा कानून

जब भी आप किराए में मकान लेने जाते हैं तो मकान मालिक आपको रेंट एग्रीमेंट बनवाने के लिए जरूर कहता है। इसमें किराएदार और मकान मालिक का नाम और पता, किराए की रकम, किराए का टेन्योर समेत तमाम चीजें और अन्य शर्तें लिखी होती हैं। 

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Sandeep Kumar
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BHOPAL. दिल्ली-मुंबई हो या कोलकाता, देशभर से लोग काम की तलाश में बड़े शहरों का रुख करते हैं और यहां किराए ( Rent ) पर रहकर गुजर-बसर करते हैं। बाहर से आए लोग जब घर किराए पर लेते हैं, तो उस समय उन्हें रेंट एग्रीमेंट ( Rent Agreement ) बनवाना होता है। ये एक तरह का लीज एग्रीमेंट ही है, जो किरायेदार और मकान मालिक की सहमति से ही बनता है। ज्यादातर रेंट एग्रीमेंट 11 महीने के लिए बनाए जाते हैं। आपने भी रेंट पर रहने के लिए 11 महीने का एग्रीमेंट बनवाया होगा, लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि एग्रीमेंट 11 महीने का ही क्यों बनता है? आइए बताते हैं आखिर ऐसा नियम क्यों बनाया गया है।

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क्यों बनता है 11 महीने का रेंट एग्रीमेंट ?

भारतीय कानूनों में किराएदारों के लिए भी नियम तय किए गए हैं। इनमें से एक रेंट एग्रीमेंट से जुड़ा कानून भी शामिल है। साल में 12 महीने भले ही होते हैं, लेकिन भारतीय पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 17 (D) के तहत, एक साल से कम अवधि के लिए रेंट एग्रीमेंट या लीज एग्रीमेंट का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य नहीं होता है। इसका मतलब ये है कि मकान मालिक बिना किसी रजिस्ट्रेशन के 11 महीने का ही रेंट एग्रीमेंट बना सकते हैं। यानी किराए पर घर देते समय मकान मालिकों और किराएदारों को सब-रजिस्ट्रार कार्यालय जाकर दस्तावेज रजिस्टर कराने और रजिस्ट्रेशन चार्ज देने की जरूरत नहीं पड़ती है।

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किराएदार-मकान मालिक के बीच विवाद

एक्सपर्ट्स की मानें तो भारत में किराए को लेकर जो कानून बनाए गए हैं, उनमें से अधिकतर को किराएदारों के पक्ष में रखा गया है। ऐसे में अगर किसी किराएदार से संपत्ति के मालिक का विवाद हो जाता है और वो किराएदार से संपत्ति खाली कराना चाहता है तो उसके लिए ये बहुत ही मुश्किल भरा काम होता है। थोड़ी सी चूक की वजह से संपत्ति के मालिक को अपनी ही संपत्ति के लिए वर्षों कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ जाती है। ये बड़ा कारण है कि 11 महीने का ही नोटरी रेंट एग्रीमेंट बनाया जाता है और ये कानूनी तरीके से वैध है। अगर कोई विवाद की स्थिति बनती है, तो फिर एग्रीमेंट को सबूत के रूप में पेश किया जा सकता है।

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रजिस्ट्रार कार्यालय के चक्कर लगाने का झंझट नहीं

11 महीने रेंट एग्रीमेंट बनाए जाने के पीछे की एक और बड़ी वजह या कहें फायदा ये है कि इस अवधि के एग्रीमेंट के लिए स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस नहीं देनी होती है, अगर रेंट एग्रीमेंट एक साल से कम अवधि के लिए बना है तो उसपर देय स्टाम्प शुल्क अनिवार्य नहीं है। 11 महीने का रेंट एग्रीमेंट (Rent Agreement) मकान मालिक के पक्ष में होता है। रेंट एग्रीमेंट का शुल्क किराएदार को भुगतान करना होता है। आमतौर पर नोटरी रेंट एग्रीमेंट का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए 100 रुपए या 200 रुपए के स्टॉम्प पेपर का उपयोग किया जाता है।

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ऐसे बनवा सकते हैं 11 महीने से ज्यादा का एग्रीमेंट

हालांकि आप 11 महीने से ज्यादा और कम समय का भी एग्रीमेंट बनवा सकते हैं। जब भी कोई व्यक्ति रेंट एग्रीमेंट को रजिस्टर कराता है तो स्टाम्प ड्यूटी किराए की रकम और किराए की अवधि के आधार पर तय होती है। किराएदारी का समय जितना ज्यादा होगा, स्टाम्प ड्यूटी उतनी ही अधिक होगी। यानी आप जितने ज्यादा समय का एग्रीमेंट बनवाएंगे, आपको उतना ज्यादा पैसा देना होगा। 11 महीने से कम का एग्रीमेंट बनवाने पर कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं देना होता है।

 

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