राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने बेंगलुरु में आयोजित RSS की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई अहम मुद्दों पर अपनी राय दी। इस दौरान उन्होंने औरंगजेब को लेकर विवादित बयान दिया। होसबाले ने कहा कि "आक्रांता हमारे आइकॉन नहीं हो सकते।" उनका यह बयान देश में औरंगजेब की कब्र को लेकर चल रहे विवाद से संबंधित था, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि आक्रमणकारी सोच देश के लिए खतरा हो सकती है।
औरंगजेब को आइकॉन नहीं माना जा सकता
होसबाले का कहना था कि औरंगजेब को भारत के लोगों का आइकॉन नहीं माना जा सकता, क्योंकि उनका इतिहास हमलावर के रूप में है, न कि एक प्रेरणास्त्रोत के रूप में। इस बयान ने विभिन्न धर्म और समाज के लोगों में चर्चा का विषय बना दिया है। होसबाले ने यह भी कहा कि हमें ऐसे आक्रमणकारियों के बारे में सोचने की आवश्यकता है, जिन्होंने भारतीय संस्कृति और परंपराओं पर हमला किया।
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धर्म आधारित आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं
कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण को लेकर होसबाले ने सवाल उठाए। उनका कहना था कि डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा रचित संविधान में धर्म आधारित आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। कर्नाटक सरकार द्वारा हाल ही में पास किए गए बिल पर भी उन्होंने अपनी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि इस तरह के आरक्षण से समाज में और अधिक विभाजन हो सकता है।
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RSS का उद्देश्य समाज को एकजुट करना
RSS के शताब्दी वर्ष को लेकर होसबाले ने कहा कि यह कोई उत्सव नहीं है, बल्कि आत्मनिरीक्षण और समाज को संगठित करने का एक अवसर है। इस मौके पर उन्होंने संघ के आगामी कार्यक्रमों की घोषणा भी की। उनका मानना था कि यह समय समाज को एकजुट करने और राष्ट्र की सेवा में पुनः समर्पित होने का है।