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भोपाल. मध्य प्रदेश सरकार ने बीते माह प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी 2.0 में दस लाख आवासों को मंजूरी दी। उम्मीद यही थी,कि केंद्र सरकार मौजूदा साल में ही कम से कम एक लाख आवास तो मंजूर करेगी,लेकिन ऐसा नहीं हो सका। केंद्रीय आवासन और शहरी मामलों के मंत्रालय ने दो दिन पहले आवास आवंटन की जो सूची जारी की,उसमें मध्य प्रदेश को शामिल नहीं किया गया। यानी शहरी क्षेत्र में पक्की छत की उम्मीद लगाए लोगों को अभी और इंतजार करना होगा।
केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने गत 20 मार्च को नए वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 3.53 लाख से अधिक घरों के निर्माण के प्रस्तावों को मंजूरी दी,लेकिन इसमें मध्य प्रदेश के खाते में एक भी आवास नहीं आया। केंद्रीय मंजूरी और निगरानी समिति यानी सीएसएमसी की बैठक में सिर्फ 10 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को लेकर चर्चा हुई। इनमें आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, ओडिशा, पुडुचेरी, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश शामिल हैं,लेकिन मध्य प्रदेश का कोई जिक्र नहीं है।
'लेटलतीफी' पड़ी मप्र को महंगी
बताया जाता है कि मध्य प्रदेश की ओर से नए साल के लिए आवास प्रस्ताव केंद्र को समय रहते भेजे ही नहीं गए। इसके चलते सीएसएमसी की बैठक में सिर्फ उन राज्यों पर विचार हुआ,जिनके प्रस्ताव तय अवधि में मिल गए थे। यह स्थिति तब है जबकि राज्य मंत्रिपरिषद ने बीते माह 10फरवरी को ही शहरी क्षेत्रों के लिए दस लाख आवासों की मंजूरी दे दी थी। यह आवास अगले पांच साल में बनाए जाने हैं।
सूत्रों के मुताबिक,कैबिनेट से पीएम आवास मंजूरी के बाद ही नगरीय विकास एवं आवास विभाग सचेत हुआ और उसने जिलों से प्रस्ताव मांगे। आलम यह, माह भर से अधिक वक्त गुजर चुका है,लेकिन अब तक कई नगरीय निकायों से विभाग मुख्यालय को नए आवास के प्रस्ताव ही नहीं मिले। जाहिर है,इसका खामियाजा उन लोगों को भुगतना होगा,जो लंबे समय से केंद्रीय योजना अंतर्गत पक्की छत पाने की आस लगाए हुए हैं।
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शहरी-2.0 का बढ़ाया दायरा
शहरी साल 2015 में शुरू की गई थी। इसके तहत देश में अब तक 118.64 लाख घरों को मंजूरी दी जा चुकी है। वहीं,92 लाख आवास लाभार्थियों को सौंपे जा चुके हैं। दूसरे चरण की योजना में इसका दायरा बढ़ाते हुए एक करोड़ लोगों को आवास देने का निर्णय लिया गया।
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इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते साल 17 सितंबर को अपने जन्मदिन पर की।दूसरे चरण की योजना में अति गरीब यानी बीपीएल ही नहीं,बल्कि विधवा,सिंगल वुमन, दिव्यांग, वरिष्ठ नागरिक,ट्रांसजेंडर,एसटी,एससी,
इनके अलावा सफाई कर्मियों,पीएम स्वधिन योजना अंतर्गत चिन्हित स्ट्रीट वेंडर्स, पीएम विश्वकर्मा योजना के विभिन्न कारीगरों,आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं,भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिकों तथा मलिन बस्ती,चॉल के निवासियों पर विशेष ध्यान दिया जाने का प्रावधान है।
योजना में यहां तक प्रावधान किया गया कि जो पक्का आवास पाने के पात्र नहीं हैं,लेकिन वे मजदूरी करने या शिक्षा के लिए शहरों में आते हैं तो नगरीय निकाय मकान तैयार कर उन्हें किराए पर मुहैया कराए।
लाड़ली बहना आवास योजना भी मर्ज
बता दें कि मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना आवास योजना को भी उक्त योजना में मर्ज कर दिया गया है। लाड़ली आवास योजना में हितग्राहियों को मकान बनाने के लिए 1 लाख 20 हजार की वित्तीय सहायता देने का प्रावधान था जो पीएम आवास 2.0 में ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के लिए 2.5 लाख रु. है।
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मप्र में अब आगे क्या ?
नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय शुक्ला ने कहा कि विभाग ने नगरीय निकायों से अपने शहर,कस्बों में आवास निर्माण के प्रस्ताव मांगे हैं।
सभी निकायों से प्रस्ताव मिलने पर इन्हें एकजाई कर केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय को भेजा जाएगा। संभव है,सीएसएमसी की अगली बैठक में इस पर विचार हो।
शुक्ला ने कहा कि मध्य प्रदेश में पांच साल में 10 लाख नए पीएम आवास शहरी तैयार किए जाने है। राज्य मंत्रिपरिषद पहले ही इसकी मंजूरी दे चुकी है।
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