मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के जुनारदेव नगर परिषद के अधिकारियों के खिलाफ आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने एक महत्वपूर्ण मामला दर्ज किया है। आरोप है कि नगर परिषद के अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलकर प्रधानमंत्री आवास योजना में अनियमितताएं कीं और फर्जी लाभ दिलवाया। इसमें खास बात यह रही कि आरोपियों ने एक ऐसे व्यक्ति को योजना का लाभ दिलवाया, जिसका पहले से ही पक्का मकान था।
प्रधानमंत्री आवास योजना में अनियमितताएं
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाभार्थियों को उनके प्लॉट के फोटो सहित जीओ टेगिंग और समय-समय पर सत्यापन करना होता है। इसके बाद लाभार्थियों को तीन किस्तों में सहायता राशि प्रदान की जाती है। हालांकि, जांच में यह पाया गया कि अनिता पवार, जो पहले से ही एक पक्का मकान रखती थीं, उन्हें अवैध रूप से योजना का लाभ दिलवाया गया।
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फर्जी दस्तावेज का उपयोग
आरोपियों ने योजना का लाभ दिलवाने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किए और उनके आधार पर अनीता पवार को अवैध रूप से प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिलवाया। यह एक आपराधिक षड्यंत्र था, जिसमें अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग किया और शासन को नुकसान पहुंचाया।
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आरोपियों की पहचान
इस मामले में प्रमुख आरोपी जुनारदेव नगर परिषद के विभिन्न अधिकारी और कर्मचारी हैं। इनमें सत्येंद्र सालवार, शुभलता आर्य, सुरेंद्र उईके, डी.पी. खाण्डेलकर, उपयंत्री विनय कुमार शुक्ला, लेखापाल मुकेश चौरसिया, दामोदर सोनी, राजस्व निरीक्षक राधेश्याम मर्राफा और फील्ड इंजीनियर मृदुल गौतम शामिल हैं। इन आरोपियों ने मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया और शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाई।
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अपराध पंजीबद्ध और कार्रवाई
इस मामले में ईओडब्ल्यू ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। जांच टीम में कीर्ति शुक्ला, निरीक्षक आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ, जबलपुर की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
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