जबलपुर नगर निगम अधिकारियों के खिलाफ EOW ने दर्ज किया भ्रष्टाचार का मामला

जबलपुर नगर निगम के अधिकारियों के खिलाफ EOW ने एक महत्वपूर्ण मामला दर्ज किया है। आरोप है कि नगर निगम के अधिकारियों ने कचरा परिवहन के लिए प्रस्तुत बिल में फर्जी नोटशीट तैयार कर लाखों रुपए का गबन कर लिया है...

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Sandeep Kumar
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मध्य प्रदेश के जबलपुर नगर निगम के अधिकारियों के खिलाफ आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने एक गंभीर मामला पंजीबद्ध किया है। यह मामला तब सामने आया जब नगर निगम के अधिकारियों द्वारा कचरा परिवहन के दौरान वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत प्राप्त हुई। अधिकारियों ने फर्जी नोटशीट तैयार करके लाखों रुपए का भुगतान किया, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा।

कचरा परिवहन का बिल और फर्जी नोटशीट

नगर निगम ने वार्ड नंबर 08 में कचरा परिवहन के लिए 14,70,228 रुपए का बिल प्रस्तुत किया था, जिसमें 6.04 लाख रुपए का भुगतान करने की अनुशंसा की गई थी। लेकिन, अधिकारियों ने एक कूटरचित नोटशीट तैयार कर 13.17 लाख रुपए का भुगतान नेताजी सुभाष चंद्र बोस सफाई कामगार सहकारी समिति रानीताल को कर दिया। यह फर्जी नोटशीट के के दुबे के हस्ताक्षरों के साथ तैयार की गई थी, जिसमें धोखाधड़ी पाई गई थी।

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जांच में सामने आया फर्जी सिग्नेचर का मामला

ईओडब्ल्यू की जांच के दौरान यह भी सामने आया कि नोटशीट पर किए गए हस्ताक्षर फर्जी थे, जो पुलिस मुख्यालय भोपाल द्वारा जांच के बाद स्पष्ट हुए। जांच में यह पाया गया कि आरोपीगण ने धोखाधड़ी कर फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से 8.20 लाख रुपए का अतिरिक्त भुगतान प्राप्त किया।

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सरकारी खजाने को इन्होंने पहुंचाया नुकसान

इस मामले में तीन प्रमुख आरोपियों के नाम सामने आए हैं जिसमें विनोद श्रीवास्तव, अनिल जैन, और हेमंत करसा है। इन तीनों पर फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से अतिरिक्त भुगतान प्राप्त करने और सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने का आरोप है।

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ईओडब्ल्यू ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। इस मामले की जांच में उप पुलिस अधीक्षक मंजीत सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही। यह कार्रवाई प्रशासन की भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त नीति को दर्शाती है, और यह सुनिश्चित करती है कि किसी भी प्रकार की वित्तीय अनियमितताएं बर्दाश्त नहीं की जाएंगी।

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EOW ने तेजी से की कार्रवाई

ईओडब्ल्यू ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी कार्रवाई को तेज किया है। अधिकारियों के खिलाफ यह कार्रवाई एक स्पष्ट संदेश भेजती है कि सरकारी योजनाओं और वित्तीय प्रक्रियाओं में किसी भी प्रकार की अनियमितताएं या भ्रष्टाचार सहन नहीं किया जाएगा। इससे अन्य सरकारी अधिकारियों के लिए भी एक चेतावनी है कि यदि वे इस प्रकार की गतिविधियों में शामिल होते हैं तो उन्हें कड़ी सजा का सामना करना पड़ेगा।

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