महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद तीव्र हो गया है। बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने इसे जल्द हटाने की मांग की है, जबकि कुछ नेताओं का मानना है कि इसे हटाना राज्य की शांति और विकास के लिए हानिकारक हो सकता है। इस विवाद में राजनीतिक बयानबाजी भी हो रही है, और सुरक्षा इंतजाम भी बढ़ा दिए गए हैं।
औरंगजेब की कब्र और विवाद की शुरुआत
महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर (पूर्व में औरंगाबाद) में स्थित औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद ने राजनीतिक हलकों में तूल पकड़ लिया है। विश्व हिंदू परिषद के नेता गोविंद शेंडे ने इसे गुलामी का प्रतीक बताते हुए कहा कि औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी महाराज को मारने से पहले उन्हें 40 दिनों तक यातनाएं दी थीं, और ऐसे क्रूर शासक का निशान क्यों रहना चाहिए। इसके बाद, बजरंग दल और VHP ने सरकार से मांग की है कि इसे तुरंत हटाया जाए।
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फडणवीस का बयान और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि औरंगजेब के बर्बर विचारों का महिमामंडन करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उनके अनुसार, ऐसे विचारों को कुचल दिया जाएगा। वहीं, शिवसेना उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने इसे मराठाओं के शौर्य का प्रतीक बताया और कहा कि यह कब्र मराठा सैनिकों के संघर्ष को दर्शाती है, जिन्होंने आक्रांताओं के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
हिंदू संगठनों का विरोध प्रदर्शन
बजरंग दल और VHP ने महाराष्ट्र भर में औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। इन प्रदर्शनों में मुग़ल आक्रांताओं के पुतले भी जलाए जा रहे हैं। इसके अलावा, तेलंगाना से भाजपा विधायक टी राजा सिंह ने भी इस विवाद में अपनी भागीदारी जताई और कब्र हटाने की मांग की है।
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सुरक्षा बढ़ी, कब्र पर प्रतिबंध
इस विवाद के बीच, महाराष्ट्र पुलिस ने औरंगजेब की कब्र की सुरक्षा बढ़ा दी है। मुख्य द्वार को बंद कर दिया गया है और वहां जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। केवल एक व्यक्ति को प्रवेश की अनुमति दी जा रही है, और बैरिकेड्स लगा दिए गए हैं। इसके बावजूद, कब्र को बाहर से देखा जा सकता है, लेकिन अंदर जाना मना है।
कांग्रेस का बयान
कांग्रेस के विधायक विजय वडेट्टीवार ने इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कब्र हटाने से राज्य को कोई लाभ नहीं होगा। उनका कहना है कि इस मुद्दे पर समय बर्बाद करना और राज्य के विकास को धीमा करना भाजपा और हिंदू संगठनों का मुख्य उद्देश्य है।
इतिहास और महत्व
औरंगजेब की कब्र 1707 में बनाई गई थी, जब उनकी मृत्यु हुई थी। यह कब्र छत्रपति संभाजीनगर से लगभग 25 किमी दूर खुल्दाबाद में स्थित है। कब्र के ऊपर संगमरमर की परत ब्रिटिश वायसरॉय लॉर्ड कर्जन ने लगवाई थी। आज भी इसे एक ऐतिहासिक स्थल माना जाता है, जहां श्रद्धालु आते हैं और श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।