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Photograph: (the sootr)
सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण से जुडे़ एक महत्वपूर्ण मुद्दे को लेकर याचिका दायर की गई है। इस याचिका में एससी-एसटी और ओबीसी में क्रीमी लेयर को आरक्षण का लाभ न देने की मांग की गई है। याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि आरक्षण में पहले उन्हें लाभ दिया जाए तो अपनी जाति में सबसे ज्यादा गरीब और पिछडे़ हुए है। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में दस अक्टूबर को सुनवाई की जाएगी।
यह याचिका रामाशंकर प्रजापति द्वारा दायर की गई है, जिन्होंने अपने तर्क में कहा कि SC/ST के बीच अमीर और संपन्न वर्ग को आरक्षण का फायदा मिल रहा है, जबकि गरीब वर्ग इससे वंचित रह जाता है। उनके अनुसार, SC/ST आरक्षण में एक विभाजन होना चाहिए, जिसमें पहले आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को प्राथमिकता मिले, और फिर अन्य को अवसर मिले। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए 10 अक्टूबर 2025 की तारीख तय की है।
केंद्र सरकार से मांगा जवाब
एससी-एसटी वर्ग में आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू करने की मांग की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जाॅयमाल्या बागची की बेंच ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी जवाब मांगा है। इस याचिका पर अगली सुनवाई 10 अक्टूबर को की जाएगी।
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SC/ST आरक्षण में क्रीमी लेयर का सवाल
क्रीमी लेयर (Creamy Layer) वह वर्ग होता है, जो सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से संपन्न होता है। हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर अपना महत्वपूर्ण स्टेटमेंट दिया था। इस स्टेटमेंट में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि SC/ST में क्रीमी लेयर को पहचानने और उन्हें आरक्षण से बाहर रखने पर विचार किया जा सकता है। इसका मुख्य उद्देश्य वास्तविक समानता को प्राप्त करना है।
याचिकाकर्ता रामाशंकर प्रजापति ने 2024 में हुए देविंदर सिंह केस का हवाला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने क्रीमी लेयर की अवधारणा को स्वीकार किया था।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका और इसके दूरगामी परिणामों को ऐसे समझेंसुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार की याचिका: SC/ST आरक्षण में ‘क्रीमी लेयर’ लागू करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई है, और इस पर 10 अक्टूबर 2025 को सुनवाई होगी। याचिकाकर्ता का तर्क: रामाशंकर प्रजापति ने कहा कि SC/ST के अमीर वर्ग को आरक्षण का फायदा मिल रहा है, जबकि गरीब वर्ग इससे वंचित रह जाता है। केंद्र सरकार का विरोध: केंद्र सरकार ने 9 अगस्त 2024 को कहा था कि SC/ST आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू नहीं किया जाएगा, क्योंकि यह भारतीय संविधान के विपरीत है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त 2024 को यह फैसला लिया था कि राज्य सरकारें SC/ST आरक्षण में क्रीमी लेयर की पहचान कर सकती हैं। समाज में असली समानता की ओर कदम: क्रीमी लेयर को पहचानने का उद्देश्य असल समानता सुनिश्चित करना है, ताकि केवल आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आरक्षण का लाभ मिल सके। |
केंद्र का रुख SC/ST आरक्षण में क्रीमी लेयर नहीं होगा लागू
9 अगस्त 2024 को केंद्र सरकार ने साफ किया था कि SC/ST आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू नहीं होगा। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस विषय पर स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार भारतीय संविधान के अनुशासन में बंधी है और इसमें SC/ST आरक्षण में क्रीमी लेयर का कोई प्रावधान नहीं है। उनके अनुसार, बीआर अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान में SC/ST के लिए क्रीमी लेयर का कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए इस तरह का कदम नहीं उठाया जाएगा।
इसके बावजूद, सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त 2024 को अपने पुराने फैसले को पलटते हुए राज्य सरकारों को SC और ST आरक्षण में क्रीमी लेयर की पहचान करने और लागू करने का अधिकार दिया है। जस्टिस बीआर गवई ने यह भी कहा था कि राज्य सरकारों को अपनी नीति बनाने का अधिकार है, जिससे वे SC/ST के बीच क्रीमी लेयर की पहचान कर सकें।
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SC/ST आरक्षण में क्रीमी लेयर की मांग क्यों
एससी-एसटी आरक्षण का मुख्य उददेश्य भारतीय समाज में इस वर्ग के बीच आर्थिक समानता व समान रूप से विकास करना है। लेकिन समय के साथ इस व्यवस्था में भी बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही थी। यदि इस वर्ग में भी क्रीमी लेयर व्यवस्था लागू होती है तो केवल आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग ही आरक्षण का लाभ ले सकेंगे। जबकि आर्थिक रूप से सक्षम लोग स्वतः आरक्षण के दायरे से बाहर होंगे।
क्रीमी लेयर का लागू होना SC/ST के लिए आरक्षण नीति में एक बड़ा बदलाव हो सकता है, जिससे उस वर्ग को लाभ मिलेगा जो वास्तव में समाज में पिछड़ा हुआ है। इससे समाज में असल समानता स्थापित करने में मदद मिल सकती है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 10 अक्टूबर को
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की तिथि 10 अक्टूबर 2025 निर्धारित की है। यह सुनवाई न केवल SC/ST समुदाय के लिए बल्कि पूरे देश के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। इससे आरक्षण नीति में होने वाले संभावित बदलावों के बारे में स्पष्टता प्राप्त हो सकेगी। इससे एससी-एससी आरक्षण नीति में बदलावों के बारे में ठोस जानकारी मिल सकेगी।
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