शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के समर्थन में आए प्रेमानंद महाराज
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के समर्थन में प्रेमानंद महाराज ने सनातन धर्म की महिमा को बताया। वे शंकराचार्यों के ज्ञान और शास्त्र की अडिग मान्यता पर जोर देते हैं।
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के समर्थन में परम् पूज्य श्री प्रेमानंद महाराज ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य हमारे धर्म के राजा हैं। वे कभी भी सनातन धर्म (Sanatan Dharma) और शास्त्रों (Scriptures) के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोलेंगे। शंकराचार्य हमेशा शास्त्रों के अनुसार सत्य बोलते शंकराचार्य हमेशा शास्त्रों के अनुसार सत्य बोलहैं।
प्रेमानंद महाराज ने यह भी कहा कि जो शंकराचार्य चारों मठों (Peeths) में विराजमान हैं, वे अद्भुत विद्वान हैं। उनके पास शास्त्रों का गहरा ज्ञान है। वे केवल प्रमाणित और शास्त्रों के अनुसार ही बात करेंगे। उनका यह भी मानना था कि जो आचार्य पीठ पर बैठे हैं, वे संसार की निंदा या आलोचना से अप्रभावित रहते हैं। वे अपने ज्ञान और धर्म के प्रति अडिग रहते हैं। उन्हें दुनिया की आलोचनाओं से कोई फर्क नहीं पड़ता। यह बयान शंकराचार्यों और उनके योगदान को सम्मानित करने के उद्देश्य से था। प्रेमानंद महाराज ने शंकराचार्यों के आचार्यत्व को सशक्त किया और उनकी शिक्षा के महत्व को बताया। शंकराचार्य अपने ज्ञान और साधना के माध्यम से समाज को सशक्त बनाते हैं।
प्रेमानंद महाराज के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि शंकराचार्य हमारे समाज के मार्गदर्शक हैं। उनका ज्ञान और उनके विचारों को नकारा नहीं जा सकता। उनका काम सनातन धर्म को बचाए रखना है, और वे हर हाल में शास्त्रों के मार्ग पर चलते हैं। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और श्री प्रेमानंद महाराज का यह समर्थन धर्म, समाज और संस्कृति के प्रति सम्मान और विश्वास को दर्शाता है।
शंकराचार्य एक प्रमुख हिन्दू धार्मिक नेता होते हैं, जो सनातन धर्म (Sanatan Dharma) के शिक्षक और प्रचारक होते हैं।
प्रेमानंद महाराज का शंकराचार्यों के बारे में क्या कहना है?
प्रेमानंद महाराज का मानना है कि शंकराचार्य सनातन धर्म के रक्षक हैं। वे शास्त्रों के विपरीत कभी भी कोई बात नहीं बोलते और शास्त्रों के ज्ञान के आधार पर ही अपना मार्गदर्शन देते हैं।
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का क्या योगदान है?
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने हिन्दू धर्म के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वे शास्त्रों के मर्मज्ञ हैं और समाज में धर्म के सिद्धांतों को स्थापित करने का काम करते हैं।
शंकराचार्य के मठों की भूमिका क्या है?
शंकराचार्य के मठ (Peeths) का कार्य धर्म, शिक्षा और संस्कृति को फैलाना है। ये मठ धार्मिक और शास्त्रीय ज्ञान के केंद्र होते हैं, जहां लोग सही मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं।