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सोमवार, 7 अप्रैल 2025 को भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स 31 सौ अंकों से अधिक गिरकर 72 हजार 2 सौ 59 के स्तर पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी एक हजार अंकों से अधिक लुढ़ककर 21 हजार 9 सौ 30 पर आ गया। इस गिरावट का मुख्य कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित व्यापक टैरिफ हैं, जिन्होंने वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंकाओं को बढ़ा दिया है।
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इस गिरावट में आईटी कंपनियों के शेयरों पर विशेष रूप से असर पड़ा, जो अमेरिकी राजस्व पर अत्यधिक निर्भर हैं। इसके अलावा, मिड-कैप और स्मॉल-कैप सूचकांकों में भी क्रमशः 4.6% और 6.2% की गिरावट देखी गई।
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इस बाजार गिरावट के परिणामस्वरूप, निवेशकों की संपत्ति में लगभग 19 लाख करोड़ रुपये की कमी आई है। सेंसेक्स की इस भारी गिरावट ने निवेशकों के बीच चिंता बढ़ा दी है और बाजार में अस्थिरता का माहौल बना दिया है।
19 अक्टूबर 1987 को 'ब्लैक मंडे' के रूप में जाना जाता है, जब डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में 22.6% की एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी। यह घटना वैश्विक वित्तीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी और आज के बाजार परिदृश्य में इसकी पुनरावृत्ति की आशंका जताई जा रही है।
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वर्तमान बाजार की अस्थिरता को देखते हुए, निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे घबराहट में आकर निर्णय न लें। लंबी अवधि के निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करनी चाहिए और अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करना चाहिए।
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