पाक पीएम शहबाज शरीब का चौंकाने वाला कबूलनामा, फजर की नमाज से पहले भारत ने किया हमला

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री द्वारा सार्वजनिक मंच पर सेना प्रमुख को 'खड़ा' कर परिचय देना गैर-पारंपरिक है। यह अंतरराष्ट्रीय राजनयिकों के सामने देश की कमजोरी दिखाता है।

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Sandeep Kumar
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देश दुनिया न्यूज: शहबाज शरीफ ने माना कि पाकिस्तान की सेना सुबह 4.30 बजे फजर की नमाज के बाद हमला करने वाली थी। इससे पहले भारत ने जवाबी हमला किया। शहबाज ने तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगॉन और अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलियेव के सामने बताया कि भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल से रावलपिंडी एयरपोर्ट समेत कई जगहों पर हमला किया। कार्यक्रम में मौजूद चीफ ऑफ स्टाफ आसिम मुनीर स्कूल बच्चे की तरह खड़े हो गए। इस पर सभी ने तालियां बजाईं। एर्दोगॉन और इल्हाम अलियेव भी तालियां बजाते नजर आए।

विदेशी नेताओं के सामने

अजरबैजान के लाचिन शहर में एक सम्मेलन के दौरान शहबाज शरीफ ने एक अजीब दृश्य पेश किया। मंच पर तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगॉन, अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव और अन्य देशों के प्रतिनिधि मौजूद थे। भाषण के दौरान शहबाज ने सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को खड़े होकर अपना परिचय देने को कहा। इस दृश्य ने पाकिस्तान के राजनीतिक ढांचे में सेना की भूमिका को फिर से उजागर कर दिया।

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‘हमने जवाब दिया’ की पुरानी रट

अपने संबोधन में शहबाज शरीफ ने कहा कि 9 और 10 मई की रात पाकिस्तान ने भारत को जवाब देने का फैसला किया। उन्होंने दावा किया कि यह हमला “फजर की नमाज” के बाद 4:30 बजे किया गया और इसकी अगुवाई जनरल आसिम मुनीर ने की। लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि भारत की कार्रवाई से पाकिस्तान को कितना नुकसान हुआ, विशेषकर जब उसके एयरबेस पर हमले की खबरें सार्वजनिक हो चुकी हैं।

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सेना प्रमुख की 'मीडिया मैनेजमेंट' कोशिश

शहबाज शरीफ जिस प्रकार अपने भाषणों में जनरल आसिम मुनीर की तारीफें कर रहे हैं, उससे यह संकेत मिलता है कि पाकिस्तान में सेना और सरकार के बीच सियासी समीकरण बेहद नाजुक हैं। शहबाज की यह रणनीति अपने देश की जनता और मीडिया को यह दिखाने की है कि पाकिस्तान की सेना सतर्क है और सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है।

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पाक सेना प्रमुख को खड़ा कर परिचय देना

एक संप्रभु देश के प्रधानमंत्री द्वारा सार्वजनिक मंच पर सेना प्रमुख को 'खड़ा' कर परिचय देना गैर-पारंपरिक है। यह अंतरराष्ट्रीय राजनयिकों के सामने देश की कमजोरी दिखाता है। इस तरह की कार्रवाई प्रोटोकॉल के लिहाज से अजीब और असहज मानी गई। कूटनीतिक हलकों में इसे गंभीरता से लिया गया।

 

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