BHOPAL. मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह के विवादित बयान की जांच कर रही स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) के काम पर सवाल उठ रहे हैं। पता चला है कि SIT ने वीडियो को जांच के लिए उस फॉरेंसिक लैब में भेजा था, जहां वीडियो की जांच की कोई सुविधा ही नहीं है।
SIT की रिपोर्ट में खुद यह स्वीकार किया गया है कि तकनीकी कारणों से वीडियो की जांच नहीं हो सकी। दरअसल, यह वीडियो भोपाल की एमपी फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) में भेजा गया था, लेकिन वहां केवल वॉयस एनालिसिस की सुविधा है, फुटेज की फॉरेंसिक जांच वहां हो ही नहीं सकती। इस चूक के चलते जांच की प्रक्रिया फिर टल गई और सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई अब जुलाई में तय की है।
जानबूझकर लापरवाही या अज्ञानता?
इस घटनाक्रम ने SIT की नीयत और निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस नेता जया ठाकुर के वकील वरुण ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने पूछा, क्या SIT ने जानबूझकर जांच को लटकाने की कोशिश की है या फिर उसे यह तक नहीं पता कि राज्य की FSL लैब में वीडियो फुटेज की जांच होती भी है या नहीं?”
FSL डायरेक्टर बोले - हमने लौटा दिया था वीडियो
भोपाल स्थित एमपी FSL के डायरेक्टर शशिकांत शुक्ला ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उनके पास वीडियो फुटेज की जांच की सुविधा नहीं है। उन्होंने कहा, हमें जब वीडियो मिला तो SIT को लौटा दिया था। बता दें कि मध्य प्रदेश में सभी लैब एफएसएल की ही इकाइयां हैं और उनमें वीडियो जांच की कोई तकनीकी सुविधा नहीं।
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तीन बार माफी मांग चुके विजय शाह
बता दें कि मंत्री विजय शाह पहले ही तीन बार सार्वजनिक रूप से माफी मांग चुके हैं। यानी वे स्वीकार कर चुके हैं कि जो वीडियो वायरल हुआ वह सही है। बावजूद इसके SIT उस वीडियो की ‘सत्यता’ की पुष्टि के नाम पर अब भी प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ा पा रही है।
सुप्रीम कोर्ट कर चुका सख्त टिप्पणी
19 मई को हुई पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री के माफीनामे को खारिज करते हुए सख्त टिप्पणी की थी। शीर्ष अदालत ने कहा था, आप एक पब्लिक फिगर हैं, आपको अपने शब्दों की मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए। आप लोगों के सामने पूरी तरह बेनकाब हो चुके हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने विशेष जांच टीम (SIT) गठित कर 28 मई तक स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी।
SIT की स्टेटस रिपोर्ट के तीन मुख्य बिंदु
- SIT ने 21 मई को घटना स्थल का दौरा किया और वहां से मोबाइल व अन्य साक्ष्य जुटाए।
- उस कार्यक्रम में मौजूद लोगों से बयान लिए गए, जहां मंत्री ने विवादित बयान दिया था।
- वीडियो को ऐसी लैब में भेजा गया जहां जांच संभव ही नहीं थी। तकनीकी कारणों से जांच अटकी।
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अब अगली सुनवाई जुलाई में
सुप्रीम कोर्ट ने SIT को जांच पूरी करने के लिए और समय दिया है। अगली सुनवाई जुलाई में होगी। बता दें, मंत्री विजय शाह ने 11 मई को इंदौर के महू के रायकुंडा गांव में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बयान दिया था। इसमें उन्होंने कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर टिप्पणी की थी।
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