DEHRADUN. उत्तराखंड की धार्मिक नगरी जोशीमठ की दीवारें दरक रहीं हैं, घरों की दीवारों को चीरकर पानी बह रहा है। बदरीनाथ धाम से कुछ दूर जोशीमठ में हैरान करने वाला मंजर है। कई इलाकों में लैंडस्लाइड और दरकती दीवारों की वजह से लोग दहशत में जीने को मजबूर हैं, लोगों को पूरी रात नींद नहीं आ रही। जिनके घरों में दरारें आ चुकीं हैं या जमीन का हिस्सा धंस गया है, वो लोग अपना आशियाना छोड़कर पलायन कर चुके हैं।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बुलाई थी बैठक
इसको लेकर शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने उच्च स्तरीय बैठ बुलाई, जिसमें अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए। मिली जानकारी के अनुसार सीएम धामी ने कहा कि तत्काल सुरक्षित स्थान पर एक बड़ा अस्थायी पुनर्वास केंद्र बनाया जाए, जोशीमठ में सेक्टर और जोनल वार योजना बनाई जाए। तत्काल डेंजर जोन को खाली करवाया जाए और आपदा कंट्रोल रूम एक्टिवेट किया जाए, जिसके बाद अधिकारी कार्रवाई में जुट गए हैं।
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लोगों के रहने का 6 महीने तक किराया सरकार देगी
जोशीमठ क्षेत्र के प्रभावितों के लिए जिला प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया है, मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रशासन ने 6 महीने तक प्रभावित परिवारों को किराया देने का ऐलान किया है। जिन लोगों के घर खतरे की जद में हैं या रहने योग्य नहीं है, उन्हें अगले 6 महीने तक किराए के मकान में रहने के लिए ₹4000 प्रति परिवार सहायता दी जाएगी, ये सहायता मुख्यमंत्री राहत कोष से प्रदान की जाएगी। आपको बता दें कि अब तक 500 से ज्यादा घरों में दरार आ चुकी है, कई परिवारों को शिफ्ट किया गया है, वहीं कई लगो खुद ही घर छोड़ कर चले गए हैं। स्पेशल टीम पूरे मामले का जायजा ले रही है, और एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, पुलिस सुरक्षा बल को अलर्ट मोड पर रखा गया है। प्रभावित इलाकों का दौरा करने पहुंची भूगर्भीय टीम और आपदा प्रबंधन ने बताया कि लगातार प्रशासन की टीम मौके पर निरीक्षण कर रही है।
एनटीपीसी पावर प्रोजेक्ट का काम रोका गया
एनटीपीसी पावर प्रोजेक्ट के टनल के अंदर का काम भी पूरी तरह से रोक दिया गया है, समस्या को देखते हुए जिला प्रशासन ने बीआरओ के तहत निर्मित हेलंग बाईपास निर्माण कार्य, एनटीपीसी के तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना के अन्तर्गत निर्माण कार्य एवं नगरपालिका क्षेत्रान्तर्गत निर्माण कार्यो पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी है, साथ ही जोशीमठ-औली रोपवे का संचालन भी अगले आदेश तक रोक दिया गया है। जोशीमठ पर पैदा हुआ संकट मामूली नहीं है, भूगर्भीय रूप से ये शहर काफी संवेदनशील है और सिस्मिक जोन 5 के अंदर आता है। इस शहर में हो रहे धंसाव की आशंका पहले ही पैदा हो गई थी और सरकार की विशेषज्ञों की टीम ने एक रिपोर्ट भी तैयार की थी। उस रिपोर्ट में कहा गया था कि जोशीमठ में बेतरतीब निर्माण, पानी का रिसाव, ऊपरी मिट्टी का कटाव और दूसरे कई कारणों से जल धाराओं के प्राकृतिक प्रवाह में रुकावट पैदा हुई है।