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भारत की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने और देश की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार ने एक नई योजना बनाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस 2025 के अवसर पर सुदर्शन चक्र नामक एक नई स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली की घोषणा की। यह मिशन देश के हवाई हमलों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है। आइए जानते हैं इस मिशन के बारे में विस्तार से...
जानें क्या है सुदर्शन चक्र मिशन?
सुदर्शन चक्र मिशन एक स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली है। इसे भारत 2035 तक विकसित करने का लक्ष्य रखता है। इसका मुख्य उद्देश्य दुश्मन के हवाई हमलों को नाकाम करना और जवाबी हमले की क्षमता बढ़ाना है। यह प्रणाली भारतीय शहरों और अहम स्थलों की सुरक्षा के लिए बनाई जा रही है, ताकि इन्हें किसी भी संभावित हवाई खतरे से बचाया जा सके। सुदर्शन चक्र का नाम भगवान कृष्ण के दिव्य चक्र से प्रेरित है, जो हर तरह के हमले को विफल करने की क्षमता का प्रतीक माना जाता है।
भारत के मौजूदा वायु रक्षा प्रणालियां
भारत के पास पहले से S-400 जैसी अत्याधुनिक वायु रक्षा प्रणाली है, जो रूस से आयात की गई है। यह प्रणाली 400 किमी तक की दूरी से दुश्मन के विमानों और मिसाइलों का मुकाबला कर सकती है। मई 2025 में ऑपरेशन सिन्दूर के दौरान इस प्रणाली ने पाकिस्तान के जरिए दागे गए ड्रोन और मिसाइलों को नाकाम किया था। हालांकि, सुदर्शन चक्र मिशन के जरिए भारत एक और मजबूत और व्यापक रक्षा कवच तैयार कर रहा है।
सुदर्शन चक्र मिशन को एक नजर में समझें...👉 भारत ने 2035 तक स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली सुदर्शन चक्र विकसित करने का लक्ष्य रखा है, जिसका उद्देश्य हवाई हमलों से सुरक्षा और जवाबी हमले की क्षमता बढ़ाना है। 👉 भारत के पास रूस से आयातित S-400 प्रणाली है, जो 400 किमी तक दुश्मन के विमानों और मिसाइलों से निपट सकती है, लेकिन सुदर्शन चक्र मिशन इसे और मजबूत करेगा। 👉 सुदर्शन चक्र मिशन में प्रलय, निर्भय, और ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक और बैलिस्टिक मिसाइलों का समावेश हो सकता है, जो भारत की रणनीतिक सुरक्षा को और बेहतर बनाएंगे। 👉 भारत ने 2025-26 के लिए अपने रक्षा बजट को 6.81 लाख करोड़ रुपए किया है, जिससे देश की सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी। 👉 भारत के स्टार्टअप्स रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी तकनीकों का विकास करेंगे, जिससे "मेक इन इंडिया" के तहत इन प्रणालियों का निर्माण हो सकेगा और भारत आत्मनिर्भर बन सकेगा। |
सुदर्शन चक्र मिशन मिलेगी विकास की दिशा
सुदर्शन चक्र मिशन के तहत एक बहुस्तरीय सुरक्षा ढांचा तैयार किया जाएगा, जो उन्नत निगरानी, साइबर सुरक्षा और भौतिक सुरक्षा को एकीकृत करेगा। इसके साथ ही, भारतीय वायुसेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली (IACCS) के माध्यम से बेहतर सामंजस्य मिलेगा। इस प्रणाली का उद्देश्य न केवल दुश्मन के हमलों को विफल करना, बल्कि भारतीय नागरिकों और बुनियादी ढांचे की सुरक्षा सुनिश्चित करना भी है।
ये मिसाइल होंगे इस मिशन का हिस्सा
सुदर्शन चक्र मिशन में प्रलय (500 किमी रेंज), निर्भय (1000 किमी रेंज) और ब्रह्मोस मिसाइल (800 किमी रेंज) जैसी सुपरसोनिक मिसाइल और बैलिस्टिक मिसाइलों का समावेश हो सकता है। ये मिसाइलें भारत की रणनीतिक क्षमता को और मजबूत करेंगी। इससे भारत अपने सुरक्षा हितों को बेहतर तरीके से सुनिश्चित कर सकेगा।
दुनिया के अन्य देशों की कतार में होगा भारत
भारत के सुदर्शन चक्र मिशन के साथ ही, वह इजराइल, रूस और अमेरिका जैसे देशों की कतार में शामिल हो सकता है। इनके पास अत्याधुनिक वायु रक्षा प्रणालियां हैं। इजराइल की आयरन डोम, जो 4 किमी से 70 किमी तक की दूरी पर मिसाइलों को नाकाम करती है, एक प्रमुख उदाहरण है। इसके अलावा, रूस का A-135 और चीन की विभिन्न वायु रक्षा प्रणालियां भी इस क्षेत्र में अहम हैं।
भारत सरकार लगातार बढ़ा रही रक्षा बजट
भारत ने अपनी रक्षा शक्ति को मजबूत करने के लिए अपना रक्षा बजट लगातार बढ़ाया है। 2025-26 के लिए भारत का रक्षा बजट 6.81 लाख करोड़ रुपए रखा गया है, जो देश की बढ़ती सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जरूरी कदम है। यह बजट भारतीय रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी अहम योगदान देगा।
योजना को सफल बनाएगा स्टार्टअप्स
इस मिशन को सफल बनाने के लिए भारत में स्टार्टअप्स का भी अहम योगदान होगा। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर, ये स्टार्टअप्स स्वदेशी तकनीकों का विकास करेंगे। मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत इन प्रणालियों का निर्माण भारत में किया जाएगा। इससे भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो सकेगा।
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