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Photograph: (THESOOTR)
NEW DELHI. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में क्रिश्चियन आर्मी अफसर सैमुअल कमलेसन की बर्खास्तगी का समर्थन किया। अफसर ने धार्मिक कारणों से गुरुद्वारे जाने से मना कर दिया था। इसके बाद सेना ने उन्हें सेवा से हटा दिया था।
यह मामला सेना में अनुशासन और धार्मिक विविधता के बीच संतुलन को लेकर उठे सवाल खड़े करता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में कहा कि सेना में अनुशासन सबसे महत्वपूर्ण है। साथ ही सैनिकों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना भी आवश्यक है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि सेना का आचरण धर्मनिरपेक्ष है और वहां अनुशासन सर्वोपरि होता है। अदालत ने कहा कि जो व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत आस्था के कारण रेजिमेंट के धर्मस्थल पर जाने से इंकार करता है, वह सेना में रहने के योग्य नहीं हो सकता।
इन शब्दों के साथ चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की बेंच ने एक आर्मी अफसर की याचिका को खारिज कर दिया, जो अपनी बर्खास्तगी के खिलाफ कोर्ट में गया था।
स्क्वाड्रन बी का ट्रूप लीडर थे सैमुअल
सैमुअल कमलेसन की भर्ती 2017 में थर्ड कैवेलरी रेजिमेंट में बतौर लेफ्टिनेंट हुई थी। इस रेजिमेंट में मुख्य रूप से सिख, जाट और राजपूत सैनिक शामिल थे। उन्हें स्क्वाड्रन बी का ट्रूप लीडर नियुक्त किया गया था, जिसमें कई सिख सैनिक थे।
रेजिमेंट की परंपरा के अनुसार, उन्हें हर सप्ताह धार्मिक परेड का नेतृत्व करना होता था, जिसमें सैनिक धर्मस्थल पर जाते हैं। सैमुअल ने इस परेड में हिस्सा लेने से मना कर दिया, क्योंकि रेजिमेंट में केवल मंदिर और गुरुद्वारा थे, और वह एक ईसाई होने के नाते इन स्थानों पर नहीं जा सकते थे।
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आर्मी अफसर सैमुअल कमलेसन बर्खास्त
सुप्रीम कोर्ट ने 25 नवंबर को क्रिश्चियन आर्मी अफसर सैमुअल कमलेसन को बर्खास्त करने के फैसले को सही ठहराया। अफसर ने धार्मिक कारणों से गुरुद्वारे जाने से मना कर दिया था, जिसके बाद सेना ने उन्हें सेवा से हटा दिया था। कोर्ट ने यह फैसला सुनाया कि सैमुअल का व्यवहार अनुशासनहीनता था और आर्मी में ऐसे व्यवहारों को सहन नहीं किया जा सकता।
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सुप्रीम कोर्ट की तीन प्रमुख टिप्पणियां
सुप्रीम कोर्ट ने अफसर की बर्खास्तगी का समर्थन करते हुए कहा कि सेना में अनुशासन सर्वोपरि है। सीजेआई सूर्यकांत ने यह भी कहा कि एक सैनिक का आचरण न केवल उसकी व्यक्तिगत आस्था को दर्शाता है, बल्कि उसको साथी सैनिकों की भावनाओं का भी सम्मान करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि सैमुअल के धार्मिक अहंकार ने उनकी कार्यक्षमता को प्रभावित किया और रेजिमेंट की एकजुटता को नुकसान पहुंचाया।
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दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला
दिल्ली हाईकोर्ट ने मई में इस मामले में सेना के फैसले को सही ठहराया था। कोर्ट ने माना था कि सैमुअल के धार्मिक व्यवहार ने सेना के अनुशासन और एकता को नुकसान पहुंचाया। हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि युद्ध स्थितियों में ऐसे व्यवहार से सेना के मनोबल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
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सैमुअल का तर्क: धार्मिक मान्यता का उल्लंघन
सैमुअल कमलेसन के वकील ने अदालत में कहा कि अफसर को बर्खास्त करने का कारण सिर्फ यह था कि उन्होंने मंदिर के अंदर पूजा करने से मना किया था। उनका कहना था कि उनकी ईसाई धार्मिक मान्यता के कारण उन्हें ऐसे अनुष्ठान में भाग लेने की अनुमति नहीं है। हालांकि, सेना ने कहा कि अफसर ने रेजिमेंटल परेड में हिस्सा नहीं लिया, जो कि साफ तौर पर अनुशासनहीनता थी।
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