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Dharmendra Maheshwar Attachment: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र के दिल में मध्यप्रदेश के शांत और सौम्य नगर महेश्वर के लिए गहरा लगाव था। दुनियाभर में लाखों दिलों पर राज करने वाले धरम पाजी को महेश्वर की प्राकृतिक सुंदरता और सुकूनभरी लय ने हमेशा छुआ। धर्मेंद्र अपने बेटों सनी और बॉबी देओल के साथ फिल्म 'यमला पगला दीवाना' सीरीज की दो फिल्मों की शूटिंग महेश्वर में कर चुके थे।
कम ही लोग जानते हैं कि यह जगह उन्हें कितनी आत्मिक शांति देती थी। ऐसे ही उन्हें भोपाल की गजक भी खूब पसंद थी। उनके हर जन्मदिन पर उन्हें भोपाल से गजक तोहफे के रूप में जाती थी। बरसों तक यह सिलसिला जारी रहा था। एसीएस शिव शेखर शुक्ला धरम पाजी को याद करते हुए कहते हैं, शूटिंग के दौरान देओल परिवार महेश्वर में रुका था।
वे नर्मदा के घाटों, किलों और गलियों में घूमते रहते थे। बाद में मध्यप्रदेश टूरिज्म के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि धर्मेंद्र जी ने उनसे कहा था कि उन्हें मुंबई की भागदौड़ से कहीं ज्यादा शांति महेश्वर में मिलती है। महेश्वर उन्हें मुंबई से ज्यादा प्रिय है।
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एमपी ने किशोर अलंकरण दिया
यह भाव धर्मेंद्र पाजी के उस कोमल पक्ष को दिखाती है, जिसे दुनिया कम जानती थी। ही-मैन के भीतर का वह व्यक्ति, जो शांति और सुकून की तलाश में भटकता था।
मध्यप्रदेश सरकार ने भी इस लगाव का सम्मान किया। वर्ष 2022 में प्रदेश सरकार ने उन्हें ‘राष्ट्रीय किशोर कुमार सम्मान’ से सम्मानित किया। मुंबई स्थित उनके निवास पर अफसरों ने उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया था।
तब धर्मेंद्र ने कहा था, मैं बेहद भावुक हूं… मध्यप्रदेश का आभारी हूं। इस सम्मान को पाने वाले कई महान कलाकार मेरे गुरु, वरिष्ठ और साथी रहे हैं। उनके बीच अपना नाम देखना मेरे लिए अवर्णनीय खुशी है।
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स्नेह से बुना यह रिश्ता
वहीं, अब बात रिश्तों की करें तो यह भी धर्मेंद्र का कोमल पक्ष था। ऐसा ही स्नेहभरा रिश्ता था अभिनेता धर्मेंद्र और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी सुनील मिश्रा के बीच। मिश्रा का वर्ष 2021 में कोविड की दूसरी लहर में निधन हो गया था।
कई वर्षों तक सुनील मिश्रा ने एक परंपरा निभाई, जो किसी भी औपचारिक सम्मान से कहीं आगे थी। वे हर साल धर्मेंद्र के जन्मदिन पर उनसे मिलने जाते थे। चाहे वह देश के किसी भी हिस्से में हों। यह रिश्ता सच्चे स्नेह से बुना था।
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धरम पाजी भेजते थे मिठाइयां
सुनील मिश्रा के पुत्र सुमुख के लिए यह याद इम्पोर्टेन्ट चैप्टर्स है। वह कहते हैं, पापा धर्मेंद्र जी को ‘पापाजी’ कहकर बुलाते थे। दोनों के बीच गहरा लगाव था।
करीब 22 साल पहले जब पापा उनके बारे में एक लेख लिख रहे थे, तभी दोनों की मुलाकात हुई और कुछ समय बाद वे परिवार जैसे हो गए।
धर्मेंद्र देओल अक्सर हमारे लिए मिठाइयां और छोटे-छोटे उपहार भेजते थे। पापा हर साल भोपाल की गजक उनके लिए ले जाते थे, क्योंकि धर्मेंद्र जी उसी को पसंद करते थे और जन्मदिन पर वही खाते थे।
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यह रिश्ता सुनील मिश्रा के जाने के बाद भी बरकरार रहा। सुमुख बताते हैं, पापा का निधन कोविड की दूसरी लहर में हो गया, लेकिन फिर भी हमें धरम जी से एक जुड़ाव महसूस होता रहा। उनके निधन की खबर सुनकर ऐसा लग रहा है जैसे दादाजी चले गए हों।
धरम जी के लिए भी सुनील मिश्रा सिर्फ एक प्रशंसक नहीं थे। वे एक ऐसा अपनापन थे, जो दिल को गर्माहट देता था। दोनों की यह कहानी याद दिलाती है कि शोहरत भले दूर हो, लेकिन सच्चा स्नेह समय या परिस्थितियों की सीमाओं में नहीं बंधता।
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