वक्फ संशोधन बिल पर सुप्रीम कोर्ट बोला- वक्फ बनाने के लिए 5 साल मुस्लिम धर्म का पालन जरूरी नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने Waqf Amendment Act, 2025 पर चल रही सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए के दो प्रावधानों पर रोक लगा दी है, इस एक्ट के बाकी प्रावधान लागू रहेंगे।

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Neel Tiwari
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Photograph: (THESOOTR)

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को Waqf Amendment Act, 2025 पर बेहद अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि अधिनियम के ज्यादातर प्रावधान लागू रहेंगे, लेकिन दो विवादित प्रावधानों पर रोक लगाई गई है।

चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मासिह की बेंच ने वक्फ संशोधन बिल ( Waqf Amendment Bill ) पर यह आदेश सुनाते हुए साफ किया कि यह केवल अंतरिम फैसला है और मामले की विस्तृत सुनवाई के बाद अंतिम निर्णय दिया जाएगा।

इस मामले में रिट याचिका क्रमांक 276/ 2025 के साथ ही कुल 19 याचिकाओं की सुनवाई चल रही है जिसमें याचिकाकर्ता और सरकार के अलावा लगभग आधा सैकड़ा से अधिक हस्तक्षेपकर्ता (Intervenor) है।

इन प्रावधानों पर SC ने लगाई रोक 

  1. पांच साल मुस्लिम धर्म पालन की शर्त (Section 3(1)(r)) नए कानून में यह प्रावधान किया गया था कि कोई भी व्यक्ति तभी वक्फ बना सकेगा जब वह कम से कम पांच साल से मुस्लिम धर्म का पालन कर रहा हो। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान को रोकते हुए कहा कि अभी तक सरकार ने इसके लिए कोई नियम नहीं बनाए हैं। किसी व्यक्ति ने 5 साल तक मुस्लिम धर्म का पालन किया है या नहीं यह सिद्ध करने के भी नियम नहीं है। जिससे यह शर्त अमल में लाना मनमाना हो जाएगा।
  2. कलेक्टर/राजस्व अधिकारी को वक्फ विवाद तय करने का अधिकार (Section 3C) कानून में कहा गया था कि वक्फ संपत्तियों पर विवाद होने पर कलेक्टर या राजस्व अधिकारी यह तय कर सकते हैं कि वह संपत्ति वक्फ है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने इसे संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ माना और रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि संपत्ति के मालिकाना हक का फैसला केवल अदालत या वक्फ ट्रिब्यूनल जैसे न्यायिक निकाय ही कर सकते हैं।

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 यह Waqf Amendment लागू रहेंगे...

‘Waqf by user’ हटाना: लंबे समय तक धार्मिक इस्तेमाल के आधार पर संपत्ति को वक्फ मानने की पुरानी व्यवस्था खत्म होगी। यह प्रावधान यथावत रहेगा।

ASI संरक्षित स्मारकों पर वक्फ का दावा खत्म (Section 3D): प्राचीन स्मारकों या संरक्षित स्थलों को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकेगा। इस प्रावधान को भी सुप्रीम कोर्ट ने सही माना है।

आदिवासी जमीन पर वक्फ रोक (Section 3E): अनुसूचित जनजातियों की जमीन को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकेगा।

गैर-मुस्लिमों द्वारा वक्फ बनाने का अधिकार हटाना (Section 104): अब केवल मुस्लिम ही वक्फ बना सकेंगे।

सभी वक्फ का पंजीकरण (Section 36): हर वक्फ को रजिस्टर करना अनिवार्य होगा।

वक्फ बोर्ड/परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों की सीमा: केंद्रीय वक्फ परिषद में अधिकतम 4 और राज्य स्तरीय वक्फ बोर्डों में अधिकतम 3 गैर-मुस्लिम सदस्य होंगे।

CEO की नियुक्ति: राज्य वक्फ बोर्ड का सीईओ जहां तक संभव हो, मुस्लिम समुदाय से होना चाहिए, लेकिन यह अनिवार्य शर्त नहीं है। कोर्ट के मत के अनुसार मुस्लिम व्यक्ति को वरीयता दी जानी चाहिए पर यह जरूरी नहीं होगा।

लिमिटेशन एक्ट लागू होना (Section 107): वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवाद अब समयसीमा कानून (limitation act) के दायरे में आएंगे।

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वक्फ संपत्ति विवाद हल करना अधिकारियों का काम नहीं

कोर्ट ने कहा कि संपत्ति से जुड़े विवाद तय करना न्यायपालिका का काम है, न कि प्रशासनिक अधिकारियों का। कोर्ट के अनुसार 5 साल मुस्लिम धर्म पालन जैसी शर्त तब तक लागू नहीं हो सकती जब तक इसके लिए स्पष्ट नियम न बनाए जाएं। इसके साथ ही कोर्ट ने कानून के बाकी प्रावधानों को प्रारंभिक दृष्टि से सही माना और उन्हें लागू रहने दिया गया है।

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