राजस्थान में वंशवाद का बढ़ता प्रभाव: राजनीति में परिवारों की तीसरी पीढ़ी भी सक्रिय

राजस्थान में वंशवाद का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। राजनीतिक परिवारों की तीसरी पीढ़ी भी सक्रिय है, जहां हर पांचवां विधायक-सांसद वंशवाद से जुड़ा है। महिलाओं में यह संख्या और भी अधिक है।

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Gyan Chand Patni
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राजस्थान में राजनीति का एक बड़ा हिस्सा वंशवाद (Dynasty Politics) से जुड़ा हुआ है। इस लिहाज से देश में उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश के बाद राजस्थान दूसरा राज्य है। इस मरु प्रदेश में हर पांचवां विधायक या सांसद  किसी राजनीतिक परिवार से आता है। 

चुनाव सुधार संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान में 5 में से 1 विधायक या सांसद राजनीतिक परिवारों से आते हैं। यह आंकड़ा पुरुषों और महिलाओं के बीच में भी अलग-अलग रूप में सामने आता है। नेताओं में वंशवाद की समस्या राजस्थान तक सीमित नहीं है। राजस्थान की राजनीति में परिवारवाद हावी है।

राजस्थान में वंशवाद की रिपोर्ट 

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि राजस्थान की विधानसभा, लोकसभा और राज्यसभा के 234 सदस्यों में से 43 सदस्य वंशवादी हैं, जो कुल संख्या का 18 प्रतिशत हैं।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि भारत में वंशवाद का सबसे अधिक प्रभाव उत्तर प्रदेश में है, जहां 23 प्रतिशत सदस्य राजनीतिक परिवारों से आते हैं।

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Photograph: (thesootr)

पुरुष और महिला जनप्रतिनिधियों में वंशवाद 

राजस्थान में पुरुष जनप्रतिनिधियों की संख्या 210 है, जिनमें से 31 सदस्य राजनीतिक परिवारों से आते हैं, जो कि 15 प्रतिशत हैं। हालांकि, इस मामले में कई राज्यों ने राजस्थान को पीछे छोड़ दिया है, जैसे जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र  जैसे राज्य, जहां यह आंकड़ा अधिक है।

महिला जनप्रतिनिधियों में यह आंकड़ा और भी बड़ा है। राजस्थान में 24 महिला विधायक-सांसदों में से 12 महिला नेता राजनीतिक परिवारों से आती हैं, जो 50 प्रतिशत हैं। यह आंकड़ा गोवा, मेघालय  और अरुणाचल प्रदेश में और अधिक है।

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राजस्थान के प्रमुख राजनीतिक परिवार  

राजस्थान के राजनीतिक परिवारों का इतिहास काफी समृद्ध है। यहां तक कि राज्यसभा (Rajya Sabha) और लोकसभा (Lok Sabha) में भी इन परिवारों का दबदबा रहा है। कुछ प्रमुख राजनीतिक परिवारों में शामिल हैं:

झालावाड़-बारां सांसद दुष्यंत सिंह, जिनकी मां वसुंधरा राजे और नानी विजयराजे सिंधिया राजनीति में सक्रिय रही हैं।

झुंझुनूं सांसद बृजेंद्र सिंह ओला, जिनके पिता शीशराम ओला 5 बार सांसद और केंद्रीय मंत्री रहे हैं।

चूरू सांसद राहुल कस्वां, जिनके दादा दीपचंद कस्वां और पिता राम सिंह कस्वां (Ram Singh Kaswan) भी सांसद और विधायक रहे हैं।

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Photograph: (thesootr)

राजस्थान की महिला नेताओं का राजनीतिक परिवारों से जुड़ाव 

राजस्थान की महिला नेताओं ने भी राजनीतिक परिवारों से जुड़कर महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनमें से कुछ प्रमुख नाम हैं:

वसुंधरा राजे, जिनकी मां विजयराजे सिंधिया बीजेपी की को-फाउंडर रही हैं।

डॉ. प्रियंका चौधरी, जिनके दादा गंगाराम चौधरी भी मंत्री रहे थे।

रीटा चौधरी, जिनके पिता राम नारायण चौधरी 6 बार विधायक रहे।

राजनीतिक परिवारों की तीसरी पीढ़ी 

राजस्थान में कई ऐसे परिवार हैं जिनकी तीसरी पीढ़ी अब राजनीति में सक्रिय है। ये परिवार अपने राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। जैसे, सिंधिया परिवार, कस्वां परिवार और मिर्धा परिवार की तीसरी पीढ़ी भी चुनावी मैदान में है।

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वंशवाद के प्रभाव पर रिपोर्ट  

रिपोर्ट के अनुसार, वंशवाद की राजनीति में ऐसे परिवार शामिल हैं जो अपनी राजनीतिक ताकत, प्रभाव, और आर्थिक स्थिति का लाभ उठाते हैं। इससे योग्यता, मेहनत, और लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर सवाल खड़े होते हैं।

सिर्फ राजनीतिक दलों की संरचना ही नहीं, बल्कि चुनावी प्रक्रिया भी वंशवाद को बढ़ावा देती है, क्योंकि टिकट वितरण का कोई स्पष्ट मापदंड नहीं है।

 राजस्थान के प्रमुख वंशवादी विधायक 

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FAQ

1. राजस्थान में वंशवाद की राजनीति कितनी मजबूत है?
राजस्थान में वंशवाद की राजनीति का प्रभाव बहुत मजबूत है। पांच में से एक विधायक और सांसद राजनीतिक परिवारों से आते हैं और महिलाएं भी इसमें शामिल हैं।
2. वंशवाद का मुख्य कारण क्या है?
वंशवाद का मुख्य कारण राजनीतिक दलों के भीतर लोकतांत्रिक मान्यताओं की कमी और टिकट वितरण की प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव है।
3. राजस्थान में कितनी महिला विधायक वंशवादी परिवार से आती हैं?
राजस्थान में 24 महिला विधायक-सांसदों में से 12 महिला नेता वंशवादी परिवारों से आती हैं, जो कुल 50 प्रतिशत हैं।
4. वंशवाद की राजनीति के क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं?
वंशवाद की राजनीति से योग्यता, मेहनत, और समान प्रतिनिधित्व की राजनीति पर सवाल खड़े होते हैं। इससे लोकतांत्रिक संस्थाओं की विश्वसनीयता घट सकती है।
5. राजस्थान में वंशवाद के प्रभाव को किसने रिपोर्ट किया?
वंशवाद के प्रभाव पर रिपोर्ट एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने जारी की थी, जिसमें 234 जनप्रतिनिधियों के आंकड़ों का अध्ययन किया गया।

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