सुप्रीम कोर्ट ने फूड मामले को लेकर बुधवार को एक अहम निर्णय देते हुए केंद्र सरकार को निर्देश दिए है। कोर्ट ने सरकार को पैकेज्ड फूड पर वार्निंग लेबल लगाने के लिए FSSAI के नियमों में संशोधन करने के आदेश दिए है। यह कदम उपभोक्ताओं को शुगर, साल्ट, सैचुरेटेड फैट जैसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तत्वों के बारे में सूचित करने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है।
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केंद्र सरकार को दिए निर्देश
जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने केंद्र सरकार से कहा कि वह पैकेज्ड फूड पर वार्निंग लेबल लगाने की सिफारिशों को तीन महीने के भीतर लागू करे। कोर्ट ने एफएसएसएआई के 2020 के लेबलिंग और डिस्प्ले रेगुलेशन में संशोधन करने का भी निर्देश दिया। यह आदेश उस जनहित याचिका के बाद आया है जिसमें पैकेज्ड फूड के पैकेट पर शुगर, सैचुरेटेड फैट और अन्य हानिकारक तत्वों की मात्रा को स्पष्ट रूप से दर्शाने के लिए चेतावनी लेबल लगाने की मांग की गई थी।
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केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एफएसएसएआई ने इस मामले में एक ड्राफ्ट तैयार कर लिया है और लोगों से राय ली जा रही है। इस ड्राफ्ट में सुधार के लिए लगभग 14,000 सुझाव प्राप्त हुए हैं। इन सुझावों पर विचार करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है।
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कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने केंद्र से कहा कि इस ड्राफ्ट पर विचार करने के बाद एक रिपोर्ट तीन महीने के भीतर तैयार की जाए, ताकि पैकेज्ड फूड पर सही और स्पष्ट वार्निंग लेबल लागू किया जा सके। जस्टिस पारदीवाला ने सुनवाई के दौरान केंद्र से यह सवाल भी किया कि क्या सरकार के अधिकारी अपने बच्चों को यह फूड आइटम्स खिलाने के बारे में सोचते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पैकेज्ड फूड पर सही सूचना उपलब्ध हो।
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पैकेज्ड फूड पर वार्निंग लेबल की आवश्यकता
इस याचिका में यह भी कहा गया था कि पैकेज्ड फूड्स जैसे कि मैगी, कुरकुरे और अन्य स्नैक्स पर शुगर, साल्ट और सैचुरेटेड फैट की मात्रा की जानकारी दी जाए। इन खाद्य पदार्थों के सेवन से संबंधित बीमारियों जैसे कि डाइबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और अन्य जीवनशैली से जुड़ी समस्याओं को देखते हुए यह चेतावनी लेबल अनिवार्य करना जरूरी है।
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