भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह ने तेजस लड़ाकू विमानों के अधिग्रहण में हो रही देरी को लेकर गहरी चिंता जाहिर की है। उनका कहना था कि जबकि चीन छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का परीक्षण कर रहा है, भारत अभी भी अपनी पांचवीं पीढ़ी के तेजस विमानों के अधिग्रहण का इंतजार कर रहा है। उन्होंने बताया कि तकनीकी क्षेत्र में समय बहुत महत्वपूर्ण है, और यदि समय पर तकनीकी विकास नहीं होता तो उसका कोई महत्व नहीं रह जाता।
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तेजस के अधिग्रहण में हो रही देरी
वायुसेना प्रमुख ने 21वें सुब्रतो मुखर्जी सेमिनार में कहा कि तेजस विमानों को वायुसेना में शामिल करने की प्रक्रिया 2016 में शुरू हुई थी, जबकि इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 1984 में हुई थी। इसके बावजूद वायुसेना को अभी भी पहले 40 विमानों का इंतजार है। एयर मार्शल एपी सिंह ने कहा कि हमें प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और उत्पादन इकाइयों को आधुनिक बनाने की जरूरत है। उनका मानना था कि अगर कई स्त्रोत होंगे तो लोगों को यह डर रहेगा कि उनका ऑर्डर छिन सकता है, जिससे उत्पादन प्रक्रिया को गति मिलेगी।
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रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान और विकास
वायुसेना प्रमुख ने रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को प्राथमिकता देने की बात की। उनका कहना था कि हमें रक्षा बजट का पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत अनुसंधान और विकास पर खर्च करना चाहिए, ताकि तकनीकी विकास समय पर पूरा हो सके। चीन ने हाल ही में छठी पीढ़ी के स्टील्थ लड़ाकू विमानों जे-20 और जे-35 का परीक्षण शुरू किया है। एयर चीफ मार्शल ने कहा कि चीन न केवल संख्याबल में बल्कि तकनीक में भी तेजी से उन्नति कर रहा है, जो भारतीय सुरक्षा के लिए एक चुनौती बन सकता है।
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एयरफोर्स को मिले तेजस MK 1 के 2 स्क्वाड्रन
रिपोर्ट के मुताबिक, कमिटी को यह भी बताया गया है कि एयरफोर्स को तेजस MK 1 के 2 स्क्वाड्रन प्राप्त हुए हैं, इनका उपयोग शुरू हो गया है। इसने हाल ही में संपन्न अंतरराष्ट्रीय अभ्यास ‘तरंग शक्ति' में भाग लिया था। कमेटी ने यह भी पाया कि तेजस MK-1A प्रोग्राम में डिजाइन और विकास संबंधी मुद्दों के कारण देरी हुई है। रक्षा मंत्रालय ने कमिटी को यह भी बताया कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को तेजस का उत्पादन बढ़ाने के लिए कहा गया है। बता दें कि तेजस भारत का लेटेस्ट और हर मौसम में इस्तेमाल में आने वाला फाइटर जेट है, जिसे एयरफोर्स के लिए तैयार किया जा रहा है।
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