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भारत के राजमार्गों का नेटवर्क यहां की Transport System की रीढ़ है। ये सड़कें न केवल राज्यों और शहरों को आपस में जोड़ती हैं, बल्कि इंडस्ट्रियल और कमर्शियल एक्टिविटीज के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
इन राजमार्गों के सर्विसिंग के लिए सरकार देशभर में टोल वसूलती है, और यह प्रोसेस भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण यानि (NHAI) द्वारा नियंत्रित की जाती है। इस लेख में हम भारत में टोल प्लाजा की संख्या और उनके डिस्ट्रीब्यूशन पर चर्चा करेंगे।
भारत में कुल कितने टोल प्लाजा हैं?
2025 तक, भारत में National Highways (NHs) पर 1,087 टोल प्लाजा हैं। अगर हम स्टेट के हाईवेज, एक्सप्रेसवे और शहरों के टोल प्वाइंट्स को भी शामिल करें, तो भारत में 3,000 से ज्यादा टोल बूथ हो जाते हैं। इन टोल प्लाजा (Toll Plaza ) को यूजर-फी प्लाजा (User-fee Plazas) कहा जाता है।
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टोल प्लाजा की कुल संख्या कितनी है?
भारत के डिफरेंट स्टेट में टोल प्लाजा की संख्या अलग-अलग है। यह डिसाइड करता है कि वहां से कितने हाईवे गुजरते हैं और इन सड़कों का उपयोग कितना अधिक है। बड़े स्टेट और इंडस्ट्रियल सेंटर वाले स्टेट्स में आमतौर पर टोल प्लाजा की संख्या ज्यादा होती है।
राज्य | टोल प्लाजा की अनुमानित संख्या | मेन हाईवे |
राजस्थान | 156 | दिल्ली, गुजरात और मध्य प्रदेश को जोड़ने वाले मार्ग |
उत्तर प्रदेश | 97 | यमुना एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे |
मध्य प्रदेश | 90 | NH-44, NH-46 |
महाराष्ट्र | 89 | मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे, मुंबई-नासिक मार्ग |
तमिलनाडु | 78 | चेन्नई-बेंगलुरु, चेन्नई-त्रिची मार्ग |
आंध्र प्रदेश | 72 | विजयवाड़ा-हैदराबाद, तटीय गलियारे |
दिल्ली NCR क्षेत्र | 60 | दिल्ली-गुरुग्राम, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे |
गुजरात | 58 | दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का हिस्सा |
कर्नाटक | 55 | बेंगलुरु-मैसूर, NH-48, NH-75 |
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भारत में टोल प्लाजा के Impact and Necessity क्या है?
टोल प्लाजा का मुख्य उद्देश्य सड़क उपयोगकर्ताओं से फीस लेना है, ताकि इन सड़कों का मेंटेनेंस किया जा सके। यह शुल्क न केवल सड़क निर्माण और सुधार में मदद करता है, बल्कि ट्रैफिक के प्रवाह को नियंत्रित करने में भी सहायक होता है। इसके अलावा, यह राज्यों और केंद्र सरकार को रेवेन्यू देने का एक अहम तरीका है।
भविष्य में Toll Plazas में क्या बदलाव होंगे?
भारत में डिजिटल इंडिया के उद्देश्य से, टोल कलेक्शन को पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है। जैसे कि FASTag (इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन) का प्रचलन बढ़ रहा है, भविष्य में टोल बूथों के संचालन में भी डिजिटल तकनीकों का प्रभाव देखने को मिलेगा। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि ट्रांसपोटेशन की भी बढ़ती समस्याओं का समाधान किया जाएगा।