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यदि आप कोलकाता, बेंगलुरु या पुणे में रहते हैं और घंटों ट्रैफिक जाम में फंसे रहते हैं तो आप अकेले नहीं हैं। डच लोकेशन टेक्नोलॉजी फर्म टॉमटॉम की ओर से जारी 2024 ट्रैफिक इंडेक्स के मुताबिक, ये तीनों शहर एशिया के सबसे ज्यादा ट्रैफिक प्रभावित शहरों में शामिल हैं। दुनिया के 62 देशों के 500 शहरों के आंकड़ों के आधार पर इस रिपोर्ट में बताया गया है कि ट्रैफिक जाम अब गंभीर समस्या बन चुका है।
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बेंगलुरु: दुनिया का तीसरा सबसे धीमा शहर
बेंगलुरु का ट्रैफिक फिर से सुर्खियों में है। रिपोर्ट के मुताबिक, बेंगलुरु दुनिया का तीसरा सबसे धीमा ट्रैफिक वाला शहर बन गया है। यहां 10 किलोमीटर की दूरी तय करने में औसतन 34 मिनट 10 सेकंड लगते हैं, जो 2023 के मुकाबले 50 सेकंड ज्यादा है।
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इंडेक्स में बाकी शहरों की स्थिति
- पहला स्थान: कोलंबिया का बैरेंक्विला (36 मिनट 6 सेकंड)
- दूसरा स्थान: कोलकाता (34 मिनट 33 सेकंड)
- तीसरा स्थान: बेंगलुरु (34 मिनट 10 सेकंड)
- चौथा स्थान: पुणे (33 मिनट 27 सेकंड)
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भारत के अन्य शहर भी सूची में शामिल
- हैदराबाद – 18वें स्थान पर (32 मिनट)
- चेन्नई – 31वें स्थान पर (30 मिनट)
- मुंबई – 39वें स्थान पर (29 मिनट)
- अहमदाबाद – 43वें स्थान पर (29 मिनट)
- एर्नाकुलम और जयपुर – 50वें स्थान पर (एर्नाकुलम: 29 मिनट, जयपुर: 28 मिनट)
- नई दिल्ली – 122वें स्थान पर (23 मिनट)
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बेंगलुरु में ट्रैफिक की विकराल समस्या
बेंगलुरु में ट्रैफिक जाम का मुख्य कारण निजी वाहनों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी है। शहर में 25 लाख से अधिक कारें सड़क पर दौड़ रही हैं। हर दिन 2 हजार नए वाहन रजिस्टर्ड हो रहे हैं। ट्रैफिक की औसत गति 18 किलोमीटर प्रति घंटा रह गई है।
कैसे तय होती है रैंकिंग?
टॉमटॉम ट्रैफिक इंडेक्स दुनियाभर के शहरों के ट्रैफिक पैटर्न का विश्लेषण करता है। यह रिपोर्ट 737 बिलियन किलोमीटर के डेटा पर आधारित होती है। इसमें शहरों की औसत यात्रा गति, जाम की गंभीरता और ट्रैफिक की बदलती स्थिति का अध्ययन किया जाता है।
बढ़ती गाड़ियों की वजह से ट्रैफिक में भारी इजाफा
एशियन डेवलपमेंट बैंक के अनुसार, हर छह साल में शहरों में गाड़ियों की संख्या दोगुनी हो रही है, जिससे ट्रैफिक की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। शहरों में ट्रैफिक की स्थिति सुधारने के लिए विशेषज्ञ सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करने, पार्किंग व्यवस्था सुधारने और ट्रैफिक मैनेजमेंट में आधुनिक टेक्नोलॉजी अपनाने की सलाह दे रहे हैं। बेंगलुरु और पुणे जैसे शहरों में मेट्रो, बस रैपिड ट्रांजिट और स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल जैसे उपायों को तेजी से लागू करने की जरूरत है।
क्या भारत का ट्रैफिक जाम कम होगा?
बेंगलुरु और पुणे जैसे शहरों का ट्रैफिक सिर्फ यात्रियों के लिए ही नहीं, बल्कि शहरों के आर्थिक विकास के लिए भी बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। सवाल यह है कि क्या सरकार और प्रशासन इस संकट को हल करने के लिए कोई ठोस कदम उठाएंगे या आने वाले सालों में ट्रैफिक की यह समस्या और विकराल हो जाएगी?
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