MP का सबसे बड़ा फ्लाईओवर क्रेक, जांच में खानापूर्ति, दे दी क्लीन चिट

जबलपुर में बन रहे प्रदेश के सबसे बड़े फ्लाईओवर ब्रिज पर निर्माण कार्य के दौरान सामने आई तकनीकी खामी ने टेंशन बढ़ा दी है। 800 करोड़ की लागत वाले फ्लाईओवर में दरारें देखी गई हैं। अब PWD ने जांच के आदेश दिए।

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Neel Tiwari
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फ्लाईओवर निर्माण कार्य में बड़ी तकनीकी खामी। Photograph: (the sootr)

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जबलपुर में मदनमहल से दमोह नाका तक बन रहे प्रदेश के सबसे बड़े फ्लाईओवर ब्रिज पर निर्माण कार्य के दौरान बड़ी तकनीकी खामी सामने आई है। 800 करोड़ की लागत से बन रहे इस ब्रिज के ऊपरी हिस्से (एलिवेटेड पेवमेंट) में दरारें देखी गई हैं। इस मामले के उजागर होने के बाद लोक निर्माण विभाग (PWD) ने तुरंत सक्रियता दिखाते हुए जांच के आदेश दिए। पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह के निर्देश पर भोपाल से पांच सदस्यीय तकनीकी टीम जबलपुर पहुंची और फ्लाईओवर का निरीक्षण किया।

महानद्दा से LIC तक निरीक्षण

फ्लाईओवर के महानद्दा से LIC तक के हिस्से का निरीक्षण किया गया, जहां क्रैक की शिकायतें सामने आई थीं। लोक निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव (ACS) नीरज मंडलोई, प्रमुख अभियंता राणा, और मुख्य अभियंता एसके वर्मा समेत अन्य अधिकारियों ने निरीक्षण के दौरान निर्माण क्षेत्र का मुआयना किया। टीम ने दरार वाली जगहों की फोटोग्राफी की और ठेकेदारों से चर्चा कर विस्तृत जानकारी ली।

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ACS ने अभी से दे दी है क्लीन चिट

ACS नीरज मंडलोई ने मीडिया को बताया कि शुरुआती निरीक्षण में फ्लाईओवर के निर्माण और डिजाइन में किसी गंभीर खामी का संकेत नहीं मिला है। हालांकि, फ्लाईओवर के रोटरी के हिस्से में आई दरारों का कारण स्पष्ट करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की टीम जांच करेगी। मंडलोई ने कहा, "यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भविष्य में इस तरह की समस्या न आए और निर्माण कार्य पूरी गुणवत्ता के साथ हो।"

जांच कमेटी पर भी उठे थे सवाल

आपको बता दें की इस मामले में राज्य सरकार द्वारा गठित की गई जांच कमेटी पर भी सवाल खड़े हुए थे क्योंकि इस जांच समिति के इंचार्ज बनाए गए अधिकारी आरएल वर्मा को सौंप गई थी, जिन पर खुद भ्रष्टाचार के आरोप है। उन्हें 3 महीने पहले ही इंदौर में जिला अदालत के निर्माण में 83 करोड रुपए का ठेका अनुभवहीन ठेकेदार को देने के आरोपों में नोटिस जारी हुआ है। जबलपुर में ब्रिज की जांच के दौरान भी अधिकारियों का रुख यही नजर आ रहा था जैसे उन्होंने अभी से इस मामले में क्लीन चिट दे दी है।

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प्रदेश का सबसे बड़ा फ्लाईओवर

मदनमहल से दमोह नाका तक 7.50 किमी लंबा यह फ्लाईओवर यातायात को सुगम बनाने के लिए बनाया जा रहा है। निर्माण कार्य के चलते यहां वाहनों का दबाव कम करने और ट्रैफिक जाम से राहत मिलने की उम्मीद की जा रही है। इसका एक हिस्सा, महानद्दा से LIC तक, चालू हो चुका है। दरारों के सामने आने से न केवल निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठे हैं, बल्कि 800 करोड़ की लागत से बन रहे इस प्रोजेक्ट की विश्वसनीयता पर भी असर पड़ा है।

बीजेपी ही लगा चुकी है निर्माण को लेकर आरोप

बीते दिनों इस मामले में बीजेपी ही दो फाड़ होती हुई नजर आई थी। भारतीय जनता पार्टी के नगर अध्यक्ष, सांसद के साथ इस ब्रिज का निरीक्षण करने पहुंचे थे और उन्होंने ठेकेदारों पर गंभीर अनिमितताओं के आरोप लगाए थे। PWD मंत्री राकेश सिंह ने भी कहा था कि फ्लाईओवर निर्माण में किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने निर्देश दिया है कि जांच के बाद दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं, तकनीकी टीम के अनुसार यह दरारें निर्माण के कुछ महीनों बाद ही दिखाई दी हैं, जो गंभीर चिंता का विषय है।

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जनता की उम्मीदों पर पानी?

यह फ्लाईओवर जबलपुर शहर के यातायात के लिए एक बड़ी राहत माना जा रहा था, लेकिन दरारों की खबर से शहरवासियों में चिंता बढ़ गई है। क्या यह ब्रिज शहर की उम्मीदों पर खरा उतरेगा, या फिर इसमें तकनीकी खामियां भविष्य में और समस्याएं खड़ी करेंगी? अब सबकी नजरें जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं।

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