अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में ईरान को एक कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर ईरान न्यूक्लियर डील पर सहमति नहीं बनाता, तो अमेरिका उसे बमबारी से सजा देगा। साथ ही, ट्रंप ने यह भी कहा कि ईरान को कड़े आर्थिक प्रतिबंध (Economic Sanctions) का सामना करना पड़ेगा। यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति ने NBC न्यूज से टेलीफोन पर बात करते हुए दिया।
न्यूक्लियर डील पर ट्रंप की धमकी
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, "अगर ईरान न्यूक्लियर डील पर सहमति नहीं देता, तो हम उसे फिर से द्वितीयक प्रतिबंध (Secondary Tariffs) लगाएंगे।" यह बयान उन प्रतिबंधों का इशारा कर रहा था जो उन्होंने अपने पहले कार्यकाल के दौरान ईरान पर लागू किए थे। ट्रंप ने स्पष्ट किया कि वह ईरान को आर्थिक दबाव डालकर परमाणु समझौते पर फिर से लाने के लिए तैयार हैं।
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ट्रंप के पहले कार्यकाल में ईरान पर प्रतिबंध
ट्रंप के पहले कार्यकाल में, उन्होंने ईरान परमाणु समझौते (Iran Nuclear Deal) से अमेरिका को अलग कर लिया था, जिससे ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर सख्त प्रतिबंध लगाए गए थे। इसके बदले में, ईरान को आर्थिक राहत मिल रही थी। हालांकि, ट्रंप ने इस समझौते से बाहर निकलकर फिर से ईरान पर कड़े अमेरिकी प्रतिबंध लागू किए, जिससे ईरान की आर्थिक स्थिति और खराब हो गई।
ईरान की प्रतिक्रिया
ईरान ने ट्रंप की धमकी को खारिज कर दिया है। ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराकची ने कहा कि ईरान ने ट्रंप को ओमान के माध्यम से एक पत्र भेजा है, जिसमें उसने नए परमाणु समझौते की अपील की थी। अराकची के अनुसार, ईरान ने ट्रंप की धमकी को नकारते हुए कहा कि वह अपनी रणनीति पर अडिग है और परमाणु कार्यक्रम में तेजी ला रहा है।
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मिडिल ईस्ट में बढ़ता तनाव
2018 के बाद से अमेरिका और ईरान के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। ट्रंप की ताजा धमकी से यह तनाव और भी बढ़ सकता है। इस दौरान, इजरायल-हमास संघर्ष के दौरान ईरान समर्थित समूहों के नेताओं पर हमले भी हुए। वर्तमान में, अमेरिका यमन में हूती विद्रोहियों पर हवाई हमले कर रहा है, जो मिडिल ईस्ट में संघर्ष को और बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा, ईरान के परमाणु कार्यक्रम (Nuclear Program) को लेकर सैन्य कार्रवाई की आशंका अब भी बनी हुई है।
ईरान का परमाणु कार्यक्रम
ईरान का परमाणु कार्यक्रम अब और भी तेज हो गया है, जिससे पश्चिमी देशों के साथ उसका तनाव बढ़ गया है। माना जा रहा है कि अगर ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर कोई समाधान नहीं निकालता, तो अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों की प्रतिक्रिया और सख्त हो सकती है।