Trump vs Harris Debate : अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव से पहले हुई प्रेसिडेंशियल डिबेट में गर्भपात (Abortion) के मुद्दे पर डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और कमला हैरिस (Kamala Harris) के बीच गरमागरम बहस छिड़ गई है। इस बहस में रिपब्लिकन उम्मीदवार ट्रंप ने अबॉर्शन को लेकर अपनी नीतियों का समर्थन करते हुए 6 सप्ताह की सीमा के भीतर गर्भपात पर बैन (Ban) का समर्थन किया। ट्रंप ने कहा कि डेमोक्रेट्स की नीतियां गर्भपात के मुद्दे पर वही पुरानी रही हैं और उन्हें इस पर अधिक बदलाव की आवश्यकता नहीं है।
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कमला हैरिस ने गर्भपात के अधिकारों की सुरक्षा पर जोर
दूसरी ओर डेमोक्रेट उम्मीदवार और मौजूदा उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने गर्भपात के अधिकारों की सुरक्षा पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ट्रंप या किसी सरकार को महिलाओं को यह बताने का अधिकार नहीं है कि उन्हें अपने शरीर (Body) के साथ क्या करना चाहिए। उन्होंने जोर देते हुए कहा, सरकार और डोनाल्ड ट्रंप महिलाओं को यह नहीं सिखा सकते कि उन्हें अपने शरीर के बारे में क्या निर्णय लेना चाहिए।
ट्रंप का विरोध
कमला हैरिस ने ट्रंप की नीतियों की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि यदि ट्रंप फिर से चुने जाते हैं तो वे गर्भपात पर रोक लगाने वाले कानून पर साइन कर देंगे। उनका मानना है कि ट्रंप की नीतियां महिलाओं के स्वास्थ्य और उनके अधिकारों पर गंभीर प्रभाव डालेंगी। कमला ने बताया कि अमेरिका के 20 से अधिक राज्यों में पहले से ही ट्रंप के गर्भपात बैन लागू हो चुके हैं। जिसमें रेप (Rape) और पारिवारिक व्यभिचार (Incest) जैसे मामलों में भी कोई अपवाद नहीं रखा गया है।
गर्भपात पर निर्णय का अधिकार सिर्फ महिलाओं का हो
कमला हैरिस ने कहा कि गर्भपात जैसे मुद्दों पर निर्णय लेने का अधिकार पूरी तरह से महिलाओं के पास होना चाहिए। ट्रंप ने इसका जवाब देते हुए कहा कि वे किसी भी गर्भपात कानून पर बैन (Ban) नहीं करेंगे और इस प्रकार का कोई बिल कांग्रेस (Congress) से पास नहीं हो पाएगा।
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रो बनाम वेड पर बहस
कमला ने अपनी नीतियों को स्पष्ट करते हुए कहा कि अगर वे चुनी जाती हैं तो वे रो बनाम वेड (Roe v. Wade) फैसले को बहाल करेंगी। बता दें कि 2022 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस फैसले को रद्द कर दिया था, जिससे पूरे अमेरिका में गर्भपात पर बहस तेज हो गई थी। 1973 में हुए इस फैसले ने गर्भपात को वैध करार दिया था, लेकिन इसके रद्द होने के बाद कई राज्यों ने गर्भपात पर सख्त कानून बना दिए हैं।
महिलाओं की आजादी छीनेंगे ट्रंप
हैरिस ने बताया कि ट्रंप के गर्भपात बैन के चलते कई राज्यों में डॉक्टरों (Doctors) और नर्सों (Nurses) के लिए अबॉर्शन कराने की अनुमति देना अपराध बन चुका है। कुछ राज्यों में तो इसके लिए आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा का प्रावधान भी रखा गया है।
कमला हैरिस ने गर्भपात के अधिकारों की पैरवी करते हुए कहा कि अगर ट्रंप की नीतियां लागू होती हैं, तो यह महिलाओं के लिए आजादी छीनने वाला कदम होगा। उनका कहना है कि महिलाओं के पास अपने शरीर से जुड़े फैसले लेने का पूरा अधिकार होना चाहिए और ट्रंप को ऐसे कानून बनाने से बचना चाहिए।
गर्भपात है बड़ा चुनावी मुद्दा
इस बहस के बाद ट्रंप और हैरिस के बीच मतभेद साफ तौर पर दिखे। जहां ट्रंप गर्भपात पर सख्त कानूनों का समर्थन करते हैं, वहीं हैरिस महिलाओं की स्वतंत्रता और अधिकारों की सुरक्षा पर जोर दे रही हैं। इस मुद्दे पर दोनों के रुख से यह स्पष्ट है कि गर्भपात अमेरिका में एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना रहेगा।
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