मुस्लिम परिवार का हिंदू सरनेम दुबे बना चर्चा का विषय, दावत-ए-वलीमा का कार्ड हो रहा वायरल

जौनपुर में एक मुस्लिम परिवार की शादी का कार्ड 'दुबे' उपनाम के कारण चर्चा में बना हुआ है। परिवार ने अपने हिंदू पूर्वजों की पहचान बनाए रखी है। शादी का कार्ड सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

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Sanjay Dhiman
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Photograph: (the sootr)

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Jaunpur. उत्तरप्रदेश के जौनपुर जिले के देहरी गांव में एक मुस्लिम परिवार की शादी इन दिनों चर्चा का विषय बन गई है। इस शादी का जो कार्ड वायरल हो रहा है, उसमें परिवार का सरनेम 'दुबे' लिखा हुआ है। यह खास बात इसलिए है क्योंकि 'दुबे' एक हिंदू सरनेम है, जबकि शादी मुस्लिम परिवार में हो रही है।

इस परिवार का कहना है कि उनके पूर्वज हिंदू थे, जिन्होंने बाद में इस्लाम धर्म अपनाया था। लेकिन इस परिवार ने कभी धर्म परिवर्तन की कोई बात नहीं की और ना ही किसी धर्म का अनुसरण बदला।

इस परिवार के नौशाद अहमद दुबे ने बताया कि उनका परिवार मुस्लिम होते हुए भी अपने सरनेम में 'दुबे' का उपयोग करता है। यह सरनेम उन्हें उनके पूर्वजों से जुड़ा रखता है।

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दुबे उपनाम (सरनेम) का इतिहास

नौशाद ने बताया कि उनके पूर्वज लाल बहादुर दुबे थे। वे जौनपुर जिले केराकत तहसील के देहरी गांव के जमींदार थे। उनके पूर्वजों ने इस्लाम धर्म अपनाया था, लेकिन इसके बावजूद 'दुबे' उपनाम को बनाए रखा। नौशाद का कहना है कि यह उपनाम उन्हें अपने पूर्वजों से मिला है। वह इसे गर्व से इस्तेमाल करते हैं। 

नौशाद का कहना है कि उनका परिवार कभी भी धर्म परिवर्तन की बात नहीं करता। वह मानते हैं कि यह उपनाम सांप्रदायिक भेदभाव को कम करने में मददगार हो सकता है।

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मुस्लिम परिवार के हिंदू सरनेम के मामले को ऐसे समझें

  • जौनपुर जिले के मुस्लिम परिवार ने अपनी शादी के कार्ड में दुबे सरनेम का इस्तेमाल किया, जो एक हिंदू उपनाम है।
  • इस परिवार के सदस्य दावा करते हैं कि उनके पूर्वज हिंदू थे, जिन्होंने बाद में इस्लाम धर्म अपनाया, लेकिन उपनाम 'दुबे' बनाए रखा।
  • शादी का कार्ड सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, खासकर उपनाम 'दुबे' की वजह से, जो चर्चा का विषय बन गया है।
  • 14 दिसंबर 2025 को नौशाद अहमद दुबे के घर शादी है, और यह शादी मुस्लिम रीति-रिवाज से होगी।
  • नौशाद का मानना है कि हिंदू उपनाम का उपयोग सांप्रदायिक एकता को बढ़ावा दे सकता है और समाज में सौहार्द की भावना को मजबूत कर सकता है।

शादी का कार्ड हुआ वायरल

नौशाद ने बताया कि उनके घर में 14 दिसंबर 2025 को शादी का आयोजन है। शादी का कार्ड वायरल हो रहा है क्योंकि उसमें सरनेम 'दुबे' का उल्लेख किया गया है। कार्ड में लिखा है, "श्री लाल बहादुर दुबे 1669 ई. के जमींदार की आठवीं पीढ़ी के वंशज खालिद दुबे की शादी। बहू भोज(दावत-ए-वलीमा) के शुभ अवसर पर आप सभी आमंत्रित हैं।"

इस शादी का कार्ड चर्चा का विषय बन गया है क्योंकि इसमें उपनाम 'दुबे' को लिखा गया है। यह उपनाम न केवल एक परिवार की पहचान है, बल्कि समाज में संदेश भी दे रहा है। यह उपनाम परिवार के इतिहास और विरासत की पहचान है।

शेख बिरादरी में है शादी

नौशाद ने स्पष्ट किया कि यह शादी पूरी तरह से मुस्लिम रीति-रिवाजों से होगी। उनका परिवार शेख बिरादरी से है। उनके रिश्तेदारों ने मुस्लिम रीति-रिवाजों का पालन करते हुए शादी तय की है। नौशाद का कहना है कि वह शादी में धर्म के बजाय पारिवारिक परंपराओं को महत्व देते हैं।

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समाज में इस उपनाम का प्रभाव

इस पूरे मामले ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या उपनामों से समाज में समाजिक समरसता ला सकते हैं? कई लोग इसे एक सकारात्मक कदम मान रहे हैं। समाज में धार्मिक और सांप्रदायिक एकता को बढ़ावा दे सकते हैं।

नौशाद अहमद दुबे का कहना है कि उनके परिवार में गौ सेवा जैसे कार्य भी किए जाते हैं। उनकी शादी में संघ और सरकार के कई दिग्गज भी शामिल होने वाले हैं।

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