रतलाम के अब्दुल कादिर ने दुबई में रचा इतिहास, एशियन गेम्स में जीते चार मेडल

मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के दिव्यांग तैराक अब्दुल कादिर इंदौरी ने युवाओं को प्रेरित किया है। दुबई में आयोजित एशियन यूथ पैरा गेम्स में शानदार प्रदर्शन किया। अब्दुल ने तीन गोल्ड और एक ब्रांज पदक जीतकर रतलाम व प्रदेश का नाम रोशन किया।

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Manya Jain
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रतलाम से आमीन हुसैन की रिपोर्ट| मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के युवा ने मध्यप्रदेश के युवाओं के लिए मिसाल पेश की है। दरअसल दिव्यांग तैराक अब्दुल कादिर इंदौरी ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश को रीप्रिजेंट किया है। उन्होंने दुबई में आयोजित एशियन यूथ पैरा गेम्स में देश का नाम रोशन किया। अब्दुल ने इस प्रतियोगिता (Asian Games) में कुल चार मेडल जीते। इनमें तीन गोल्ड और एक ब्रांज मेडल शामिल हैं। यह उपलब्धि रतलाम के लिए ऐतिहासिक मानी जा रही है।

PARA ASIAN YOUTH GAMES

एशियन यूथ पैरा गेम्स का भव्य आयोजन

एशियन यूथ पैरा गेम्स दुबई (ASIAN YOUTH PARA GAMES ) में आयोजित किए गए थे। इस प्रतियोगिता में एशिया के 26 देशों ने भाग लिया था। इसमें करीब दो हजार युवा पैरा एथलीट (Ratlam News) शामिल हुए थे। कुल बारह गेम्स कॉम्पीटीशन ऑर्गनाइज किया गया था। भारत की ओर से 122 सदस्यीय दल ने हिस्सा लिया। इसी दल में अब्दुल कादिर इंदौरी भी शामिल थे।

स्विमिंग में अब्दुल का शानदार प्रदर्शन

अब्दुल ने स्विमिंग प्रतियोगिता में बेहतरीन प्रदर्शन किया। उनकी गति और तकनीक ने सभी को प्रभावित किया। हर रेस में उनका आत्मविश्वास साफ दिखाई दिया। उन्होंने इस प्रतियोगिता में तीन गोल्ड मेडल जीतना बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। एक ब्रॉन्ज मेडल भी उनके खाते में गया। 

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साई और पैरा कमेटी ने दी बधाई

इस उपलब्धि पर भारतीय खेल प्राधिकरण ने बधाई दी। साई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट शेयर किया। साई ने इसे दृढ़ संकल्प और खेल भावना का प्रतीक बताया है। पैरा कमेटी ऑफ इंडिया ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे भारतीय युवा पैरा खिलाड़ियों की बढ़ती ताकत कहा।

कोच बोले – मेहनत और अनुशासन बनी ताकत

अब्दुल के कोच राजा राठौड़ ने खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि अब्दुल ने कड़ी मेहनत की है। अनुशासन उनकी सबसे बड़ी ताकत है। वे रोजाना कठिन अभ्यास करते हैं। उन्होंने कभी हालात से समझौता नहीं किया।

 बचपन में कट गए थे दोनों हाथ

अब्दुल कादिर की जीवन कहानी बेहद प्रेरणादायक (MP News) है। बचपन में एक हादसे में उनके दोनों हाथ कट गए थे। यह हादसा किसी को तोड़ सकता था। लेकिन अब्दुल ने हार मानने से इनकार किया। उन्होंने तैराकी को अपना लक्ष्य बनाया।

बिना हाथों के भी मजबूत हौसला

बिना हाथों के तैराकी करना आसान नहीं होता। अब्दुल ने अपने पैरों को अपनी ताकत बनाया। उन्होंने हर चुनौती का डटकर सामना किया। आज वे भारत के मजबूत पैरा तैराकों में शामिल हैं।  

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