UP News: उत्तर प्रदेश सरकार ने विवाह पंजीकरण (Marriage Registration) को लेकर बड़ा फैसला लिया है। अब बिना परिवार की सहमति (Without Family Consent) और पंडित की मौखिक गवाही (Verbal Testimony of Priest) के विवाह का पंजीकरण नहीं हो सकेगा। यह आदेश इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्देश पर आईजी निबंधन विभाग (IG Registration Department) द्वारा लागू किया गया है। कोर्ट का आदेश शुक्रवार को आने के बाद शनिवार से राज्य में नया कानून लागू हो गया है।
पुराने नियमों में था बड़ा झोल
पहले विवाह स्थल (Marriage Venue) के आधार पर रजिस्ट्रेशन की अनुमति थी, जिससे कई बार जबरन विवाह (Forced Marriage) या फर्जी विवाह (Fake Marriage) की शिकायतें सामने आती थीं। नए नियम 8 जून 2025 से लागू हो गए हैं। एआईजी स्टांप पुष्पेंद्र कुमार के मुताबिक, यह नियम सामाजिक सुरक्षा के लिहाज़ से अहम साबित होंगे। इसके अलावा शादी का वीडियो भी बनाकर एक पेन ड्राइव में पंजीकरण कार्यालय में जमा करना होगा।
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विवाह प्रमाण पत्र में अब सिर्फ फोटो या कार्ड नहीं चलेगा
पहले जहां शादी का रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए ज्यादा कागजों की आवश्यकता नहीं होती थी, अब ऐसा नहीं है। अब केवल फोटो, निमंत्रण कार्ड या शपथ पत्र को पर्याप्त नहीं माना जाएगा। विवाह संपन्न कराने वाले पंडित की मौखिक गवाही और उपस्थिति अनिवार्य होगी। उन्हें निम्नलिखित दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे:
- आधार कार्ड की प्रति
- पासपोर्ट साइज फोटो
- मोबाइल नंबर
- स्थाई पता
- शपथ पत्र
डिजिटल रिकॉर्ड अनिवार्य
अब हर पंजीकरण कार्यालय में एक पंजिका (Register) रखी जाएगी, जिसमें हर विवाह की जानकारी दर्ज की जाएगी। यह रिकॉर्ड हर महीने अपडेट कर सहायक महानिरीक्षक द्वारा प्रमाणित किया जाएगा।
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नए नियमों का उद्देश्य
- परिवार की सहमति की अनिवार्यता
- नकली और जबरन विवाह पर रोक
- विवाह प्रक्रिया में पारदर्शिता
- बाल विवाह जैसी समस्याओं में कमी
इलाहाबाद हाई कोर्ट के शनिदेव बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के केस के अनुपालन में नए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विवाह पंजीकरण प्रक्रिया में लाए गए ये नए दिशा-निर्देश समाज में पारदर्शिता और सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। अब फर्जी, जबरन या बिना पारिवारिक सहमति से होने वाले विवाहों पर सख्ती से रोक लगेगी। इससे न सिर्फ विवाह संबंधों की प्रामाणिकता सुनिश्चित होगी, बल्कि बाल विवाह, विवाह में धोखाधड़ी और अन्य सामाजिक बुराइयों को भी नियंत्रित किया जा सकेगा। यह कदम न केवल महिलाओं और युवाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि विवाह संस्था की गरिमा को भी मजबूत करेगा।
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