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बीते दिनों, जब बुलडोजर के खौफ में यूपी के अंबेडकर नगर के गांव में एक मासूम बच्ची अपनी किताबों को सीने से लगाए सरपट दौड़ती दिखी, तब वह तस्वीर सिर्फ एक संघर्ष की नहीं, बल्कि एक जज़्बे की कहानी बन गई। यह बच्ची, अनन्या यादव, आज हर जगह चर्चा में है। उसकी मासूमियत और उसकी शिक्षा की ललक ने सियासत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक हर जगह अपनी छाप छोड़ी है। अब, समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने इस बहादुर बच्ची की मदद करने की घोषणा की है, ताकि उसका आईएएस बनने का सपना साकार हो सके।
कौन है अनन्या यादव?
अनन्या यादव, जिसकी उम्र महज़ 6 साल है, जलालपुर तहसील के एक छोटे से गांव अजईपुर की निवासी है। जब अतिक्रमण हटाने के लिए गांव में बुलडोजर का उपयोग किया गया, तब अनन्या ने बिना किसी डर के अपनी किताबों से भरा बैग अपने सीने से लगाए, जलते छप्पर से बाहर निकलते हुए उसे बाहर निकाला। अनन्या का यह साहस एक प्रेरणा बन गया, और उसकी यह छवि सोशल मीडिया और खबरों में वायरल हो गई।
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अनन्या कक्षा 1 की छात्रा है और उसकी परिवार की स्थिति काफी कमजोर है। उसके पिता मजदूरी करते हैं, जबकि उसकी मां गृहणी हैं। अनन्या का परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है, और वह सरकारी स्कूल में पढ़ाई कर रही है। फिर भी, अनन्या के सपने बड़े हैं, और उसका विश्वास मजबूत है।
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अखिलेश यादव ने बढ़ाया मदद का हाथ
अनन्या की बहादुरी और शिक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को देखते हुए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उसकी पढ़ाई का खर्च उठाने का संकल्प लिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर यह स्पष्ट किया कि "जो बच्चों का भविष्य उजाड़ते हैं, वे खुद भविष्य से विहीन होते हैं। हम इस बच्ची की पढ़ाई का संकल्प उठाते हैं। पढ़ाई का मोल वही समझ सकते हैं जिन्होंने शिक्षा का असली महत्व जाना है।"
अखिलेश यादव ने बुलडोजर को "विध्वंसक का प्रतीक" बताते हुए कहा कि "बुलडोजर अहंकार और दंभ के प्रतीक के रूप में चलता है, लेकिन शिक्षा किसी भी विध्वंस से कहीं अधिक शक्तिशाली है।"
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सपने कभी नहीं रुकते
अनन्या की कहानी हमें यह सिखाती है कि मुश्किलें और बाधाएं जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन जब दिल में विश्वास और संघर्ष का जज़्बा हो, तो कोई भी मुश्किल हमें अपने सपनों को पूरा करने से रोक नहीं सकती। अनन्या जैसे बच्चों का भविष्य, समाज की जिम्मेदारी है, और अखिलेश यादव का यह कदम एक मिसाल है कि शिक्षा किसी भी परिस्थिति में नहीं रुकनी चाहिए।
अनन्या के आईएएस बनने का सपना अब एक कदम और करीब है, और उसकी मासूमियत, संघर्ष और शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता हमें यह याद दिलाती है कि किसी भी बच्चे का भविष्य उसे अपनी मेहनत और संकल्प से साकार करना होता है।
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