मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शनिवार को नई दिल्ली में विक्रमोत्सव के अंतर्गत सम्राट विक्रमादित्य के महानाट्य के महामंचन की घोषणा की। यह भव्य कार्यक्रम 12 से 14 अप्रैल तक दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले पर आयोजित किया जाएगा, जिसमें सम्राट विक्रमादित्य के शासन और उनके द्वारा स्थापित सुशासन के सिद्धांतों पर आधारित मंचन किया जाएगा।
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सम्राट विक्रमादित्य का महानाट्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य का शासन काल एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है और उनका व्यक्तित्व आज भी लोगों को प्रेरित करता है। इस महानाट्य में 250 से अधिक कलाकार अभिनय करेंगे, जिसमें हाथी, घोड़े और पालकी का भी प्रयोग होगा। यह प्रस्तुति सम्राट विक्रमादित्य के साम्राज्य और उनके योगदान को जन-जन तक पहुँचाने का एक प्रयास है। पहले हैदराबाद में भी विक्रमादित्य महानाट्य का मंचन किया जा चुका है, और अब दिल्ली में इसे और भी भव्य रूप में पेश किया जाएगा।
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विक्रम सम्वत और सम्राट विक्रमादित्य का योगदान
मुख्यमंत्री ने विक्रम सम्वत के 60 विभिन्न नामों का उल्लेख करते हुए कहा कि सम्राट विक्रमादित्य ने 57 ईस्वी पूर्व में विक्रम सम्वत की शुरुआत की थी, जिसे आज भी प्रचलित किया गया है। यह संवत भारत की गौरवमयी सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बन चुका है। सम्राट विक्रमादित्य का शासन, उनकी न्यायप्रियता, दानशीलता और प्रजा के प्रति संवेदनशीलता आज भी प्रेरणा का स्रोत है।
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विक्रमादित्य के नवरत्नों की भूमिका
मुख्यमंत्री ने विक्रमादित्य के शासन में नवरत्नों के समूह का उल्लेख किया, जो उनकी शासन व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे। ये नवरत्न विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ थे और उन्होंने सम्राट विक्रमादित्य के शासन को सुचारू रूप से चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य ने सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पड़ोसी देशों में भी अपनी महिमा का परचम लहराया था।
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सम्राट विक्रमादित्य का योगदान आज भी प्रासंगिक
सम्राट विक्रमादित्य के द्वारा किए गए कार्य, जैसे कि मथुरा और अयोध्या में मंदिरों का निर्माण, आज भी उनके योगदान को प्रासंगिक बनाते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार किसानों को कर्ज मुक्त करने की दिशा में लगातार काम कर रही है, साथ ही प्रदेश में सोलर पम्प योजना के तहत किसानों को बिजली बिल से राहत देने का प्रयास किया जा रहा है।
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सम्राट विक्रमादित्य के कार्यकाल की समानता
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुए कार्यों को सम्राट विक्रमादित्य के शासनकाल से जोड़ते हुए कहा कि विक्रमादित्य ने 2000 साल पहले गणतंत्र की स्थापना की थी और कभी खुद को राजा नहीं कहा। यह आधुनिक भारत की दिशा और प्रधानमंत्री मोदी की सोच के समान है, जो खुद को देश का प्रधान सेवक मानते हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश सरकार विक्रमादित्य के जीवन और उनके कार्यों को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है।