लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक (Waqf Amendment Bill) के पारित होने के बाद दिल्ली की 20 हजार करोड़ की संपत्तियों पर विवाद और गहरा गया है। इन संपत्तियों में मस्जिदें, दरगाहें, और कब्रिस्तान शामिल हैं। waqf board ने 1,360 एकड़ में फैली 123 संपत्तियों पर दावा किया है, जबकि गौतमबुद्धनगर और फरीदाबाद जैसे एनसीआर के इलाकों में भी कई संपत्तियों पर विवाद चल रहा है।
वक्फ बोर्ड का दावा और विवाद
वक्फ बोर्ड का दावा है कि इन संपत्तियों पर कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं हो रही है, और ये संपत्तियां मुग़लकाल से उनके पास हैं। हालांकि, विरोधी पक्ष इससे सहमत नहीं हैं। दिल्ली में 1984 से ही इन संपत्तियों का विवाद चल रहा है, और इसमें कई राजनीतिक मोड़ आ चुके हैं।
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संपत्तियों का ऐतिहासिक महत्व
दिल्ली में वक्फ बोर्ड द्वारा दावा किए गए 123 संपत्तियों का मामला पिछले कई दशकों से अदालतों में लंबित है। विशेष रूप से 1984 में इंदिरा गांधी सरकार ने इन संपत्तियों को वक्फ बोर्ड को सौंपने का निर्णय लिया था, लेकिन बाद में हाईकोर्ट ने इसे पलट दिया। फिर 2014 में, जब लोकसभा चुनावों की घोषणा से कुछ घंटे पहले मनमोहन सिंह सरकार ने इन संपत्तियों को वक्फ बोर्ड को सौंपने का आदेश दिया। हालांकि, चुनाव आयोग ने इसे आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए इसे खारिज कर दिया।
वक्फ बोर्ड ने करीब 400 संपत्तियों पर किया दावा
गौतमबुद्धनगर और फरीदाबाद जैसे क्षेत्रों में भी वक्फ बोर्ड ने करीब 400 संपत्तियों पर दावा किया है। इनमें से कुछ संपत्तियों पर स्थानीय निवासियों ने पाकिस्तान से गए लोगों से जमीन खरीदी थी। इन क्षेत्रों में बढ़ती भूमि कीमतों के कारण वक्फ बोर्ड ने अब इन संपत्तियों पर अपना दावा बढ़ा दिया है।
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दादरी और फरीदाबाद में अतिक्रमण की समस्या
दिल्ली और एनसीआर के अन्य क्षेत्रों जैसे दादरी और फरीदाबाद में भी वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर अतिक्रमण की समस्या बढ़ रही है। कई जगह वक्फ की भूमि पर दुकानदारों ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया है, जिससे वक्फ बोर्ड के लिए किराया वसूल करना कठिन हो गया है।