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मध्य प्रदेश सरकार की लाड़ली लक्ष्मी योजना का उद्देश्य बालिकाओं के शैक्षणिक स्तर और स्वास्थ्य में सुधार लाना है। यह योजना विशेष रूप से गरीब और जरूरतमंद परिवारों की बालिकाओं के लिए शुरू की गई थी, ताकि उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार हो सके। इसके तहत, योग्य बालिकाओं के खाते में प्रतिवर्ष छह हजार रुपये जमा किए जाते हैं, जो पांच वर्षों तक जारी रहते हैं।
कई जिलों में योजना का बजट ही नहीं
हालांकि, कई जिलों में इस योजना के तहत पिछले वित्तीय वर्ष की किश्तें अब तक नहीं दी जा सकी हैं। इन जिलों में ग्वालियर, बालाघाट, छिंदवाड़ा, और झाबुआ प्रमुख हैं। बताया जा रहा है कि इन जिलों में बजट की कमी के कारण पैसे जारी नहीं हो पाए हैं। विशेषकर ग्वालियर में 36 हजार से अधिक बालिकाओं को इस योजना का लाभ नहीं मिल सका है, और यहां के जिला कार्यक्रम अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की है कि शासन स्तर से जल्द ही राशि जारी करने का आश्वासन दिया गया है।
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यह था लाड़ली लक्ष्मी योजना का उद्देश्य
लाड़ली लक्ष्मी योजना की शुरुआत वर्ष 2007 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य बालिकाओं के जन्म को लेकर समाज में सकारात्मक सोच बढ़ाना, लिंग अनुपात में सुधार करना, और उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य को बेहतर बनाना था। इस योजना के तहत, प्रत्येक पात्र बालिका के खाते में प्रतिवर्ष छह हजार रुपये जमा किए जाते हैं। 21 वर्ष की आयु में, इस राशि में ब्याज जुड़कर बालिका को कुल एक लाख 43 हजार रुपये मिलते हैं।
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नहीं मिल पा रहा योजना का लाभ
लाड़ली लक्ष्मी योजना के बजट का एक अलग पूल है, और प्रत्येक वर्ष शासन स्तर से यह राशि जिलों को आवंटित की जाती है। आमतौर पर यह बजट 20 से 31 मार्च के बीच जारी किया जाता है, लेकिन इस वर्ष अप्रैल के पहले सप्ताह तक कई जिलों में यह राशि जारी नहीं की जा सकी है। इससे कई बालिकाओं को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
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संबल योजना और लाड़ली लक्ष्मी योजना का संबंध
मध्य प्रदेश में संबल योजना के तहत भी लाड़ली लक्ष्मी योजना के मद से राशि ली गई थी, जो बाद में वापस नहीं की गई। अधिकारियों का कहना है कि यह राशि इसलिए ली जा सकी, क्योंकि लाड़ली लक्ष्मी योजना के पूल में बड़ी राशि मौजूद है, और शासन के पास पर्याप्त धनराशि उपलब्ध थी।
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