BHOPAL. पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ( former-prime-minister-imran-khan )को गैरकानूनी तरीके से शादी पर 7 साल की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने इमरान और उनकी पत्नी बुशरा के खिलाफ इद्दत ( Iddat )मैरिज केस में फैसला सुनाया है। कोर्ट का कहना है कि उनकी ये शादी गैर-इस्लामिक है। हाल ही में कोर्ट ने 2018 में इमरान खान की बुशरा बीबी के साथ हुई शादी को अवैध करार दिया। अदालत ने दोनों की शादी को कानून का उल्लंघन बताते हुए सात-सात साल की जेल और जुर्माने की सजा सुनाई है। बता दें, इमरान पर आरोप था कि उन्होंने इस्लामी कानून के खिलाफ जाकर बुशरा बीबी के साथ निकाह किया है।
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इद्दत क्या है?
इद्दत ( what is Iddat )एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ है "प्रतीक्षा अवधि"। यह शब्द इस्लामी कानून में एक महिला के लिए एक निश्चित अवधि को दर्शाता है, जिसके दौरान वह विवाह नहीं कर सकती है। यह अवधि तलाक या पति की मृत्यु के बाद शुरू होती है। इद्दत एक इस्लामी कानून है यानी ये एक तरीके से वेटिंग पीरियड है। इद्दत संयम की वह अवधि है, जिसका पालन एक महिला को अपने शौहर के इंतकाल या तलाक के बाद करना होता है। इद्दत के दौरान वह महिला किसी अन्य पुरुष से निकाह नहीं कर सकती है।
इद्दत का उद्देश्य:
इद्दत का उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- यह सुनिश्चित करना कि महिला गर्भवती नहीं है, ताकि बच्चे के पिता की पहचान में कोई संदेह न हो।
महिला को अपने पति की मृत्यु का शोक मनाने का समय देना।
महिला को अपने जीवन के बारे में सोचने और भविष्य के लिए योजना बनाने का समय देना।
इद्दत की अवधि:
इद्दत की अवधि महिला की स्थिति पर निर्भर करती है:
तलाकशुदा महिला के लिए:
- यदि महिला गर्भवती नहीं है, तो इद्दत की अवधि तीन मासिक धर्म चक्र या तीन महीने (जो भी अधिक हो) होती है।
यदि महिला गर्भवती है, तो इद्दत की अवधि बच्चे के जन्म तक होती है।
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विधवा महिला के लिए:
- इद्दत की अवधि चार महीने और दस दिन होती है।
यदि महिला गर्भवती है, तो इद्दत की अवधि बच्चे के जन्म तक होती है।
इद्दत के दौरान महिला को क्या करना चाहिए:
- वह किसी अन्य पुरुष से विवाह नहीं कर सकती है।
उसे अपने पति के घर से बाहर नहीं रहना चाहिए।
उसे शोक मनाने के लिए सादे कपड़े पहनने चाहिए।
उसे गहने और मेकअप का उपयोग नहीं करना चाहिए।
इद्दत के दौरान महिला को क्या नहीं करना चाहिए:
- किसी अन्य पुरुष से बातचीत करना।
किसी अन्य पुरुष के साथ बाहर जाना।
किसी अन्य पुरुष से शादी की योजना बनाना।
इद्दत के बाद महिला:
इद्दत की अवधि पूरी होने के बाद महिला स्वतंत्र है और वह अपनी मर्जी से विवाह कर सकती है।
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इद्दत के दौरान किया गया निकाह अवैध
इद्दत के दौरान महिला किसी पुरुष से निकाह नहीं कर सकती क्योंकि इद्दत के दौरान किया गया निकाह अवैध माना जाता है। यह प्रतिबंध इद्दत की अवधि बीत जाने के बाद ही खत्म होता है।
इद्दत में महिला के अधिकार
इद्दत के दौरान महिला के कई अधिकार होते हैं, जिनमें शामिल हैं:
1. भरण-पोषण:
तलाकशुदा महिला को इद्दत की अवधि के दौरान अपने पति से भरण-पोषण प्राप्त करने का अधिकार है।
भरण-पोषण की राशि महिला की जरूरतों और पति की क्षमता के आधार पर निर्धारित की जाती है।
2. मेहर:
यदि तलाक रज्जी (पति द्वारा तलाक) के कारण होता है, तो महिला को मेहर प्राप्त करने का अधिकार है।
मेहर एक निश्चित राशि या संपत्ति होती है जो पति द्वारा विवाह के समय महिला को प्रदान की जाती है।
3. आवास:
इद्दत की अवधि के दौरान महिला को अपने पति के घर में रहने का अधिकार है।
यदि महिला अपने पति के घर में रहना नहीं चाहती है, तो वह अपने माता-पिता या किसी अन्य रिश्तेदार के घर रह सकती है।
4. शिक्षा और रोजगार:
महिला को इद्दत की अवधि के दौरान शिक्षा प्राप्त करने और रोजगार करने का अधिकार है।
5. यात्रा:
महिला को इद्दत की अवधि के दौरान यात्रा करने का अधिकार है।
यदि महिला यात्रा करना चाहती है, तो उसे अपने पति या किसी अन्य रिश्तेदार से अनुमति लेनी होगी।
6. विवाह:
इद्दत की अवधि पूरी होने के बाद महिला स्वतंत्र है और वह अपनी मर्जी से विवाह कर सकती है।
इद्दत के प्रकार....
इद्दत के मुख्य रूप से तीन प्रकार होते हैं:
1. इद्दत-ए-तलाक:
यह इद्दत तलाक के बाद महिला के लिए होती है। इद्दत-ए-तलाक की अवधि महिला की स्थिति पर निर्भर करती है:
यदि महिला गर्भवती नहीं है:
इद्दत की अवधि तीन मासिक धर्म चक्र या तीन महीने (जो भी अधिक हो) होती है।
यदि महिला गर्भवती है:
इद्दत की अवधि बच्चे के जन्म तक होती है।
2. इद्दत-ए-वफात:
यह इद्दत पति की मृत्यु के बाद महिला के लिए होती है। इद्दत-ए-वफात की अवधि सभी महिलाओं के लिए समान होती है, जो चार महीने और दस दिन होती है।
यदि महिला गर्भवती है:
इद्दत की अवधि बच्चे के जन्म तक होती है।
3. इद्दत-ए-रज्अत:
यह इद्दत रज्अत (पति द्वारा तलाक के बाद महिला को वापस लेने) के बाद महिला के लिए होती है। इद्दत-ए-रज्अत की अवधि तलाक के बाद की गई इद्दत के समान होती है।