कतर से क्यों नहीं लौटा 8वां भारतीय पूर्व नौसैनिक, रिहाई फिर क्यों रोका

कतर ने 8 भारतीय पूर्व नौसैनिकों को रिहा कर दिया है। इनमें से 7 सोमवार सुबह भारत लौट आए हैं। ये कतर में जासूसी के आरोप में उम्रकैद की सजा काट रहे थे। पहले इन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी। एक पूर्व नौसैनिक को क्यों रोक लिया गया, यह सभी जानना चाहते हैं।

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BP shrivastava
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कतर से रिहा हुए भारतीय पूर्व नौसैनिक सोेमवार को स्वदेश लौटे।

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NEW DELHI. कतर ने 8 भारतीय  पूर्व नौसैनिकों को रिहा कर दिया है। इनमें से 7 सोमवार सुबह भारत लौट आए हैं। ये कतर में जासूसी के आरोप में उम्रकैद की सजा काट रहे थे। पहले इन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी। एक पूर्व नौसैनिक को क्यों रोक लिया गया, यह सभी जानना चाहते हैं।

कतर के फैसले को भारत ने सराहा

विदेश मंत्रालय ने सोमवार (12 फरवरी) को देर रात कहा- भारत सरकार कतर में गिरफ्तार किए गए दहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले 8 पूर्व नौसैनिकों भारतीयों की रिहाई का स्वागत करती है। हम इनकी घर वापसी के लिए कतर के फैसले की सराहना करते हैं।

कतर की इंटेलिजेंस एजेंसी के स्टेट सिक्योरिटी ब्यूरो ने 30 अगस्त 2022 को 8 पूर्व नौसैनिकों को गिरफ्तार किया था।

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पूर्व नौसैनिकों ने कहा- मोदी के बिना रिहाई संभव नहीं थी

Navymen

दिल्ली एयरपोर्ट पर लौटने के बाद कुछ पूर्व नौसैनिकों ने मीडिया से बात की। एक पूर्व नौसैनिक ने कहा- PM मोदी के हस्तक्षेप के बिना हमारे लिए भारत लौटना संभव नहीं होता। भारत सरकार के लगातार प्रयासों के बाद ही हम वापस आ सके हैं। एक अन्य पूर्व नौसैनिक ने कहा- हम 18 महीने बाद भारत आ सके हैं। हम PM मोदी और भारत सरकार को उनके प्रयासों के लिए धन्यवाद देते हैं। घर लौटकर अच्छा लग रहा है।

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45 दिन पहले मौत की सजा को उम्रकैद में बदला था

ये सभी अफसर कतर की नौसेना को ट्रेनिंग देने वाली एक निजी कंपनी दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी में काम करते थे।
दहरा ग्लोबल डिफेंस सर्विस प्रोवाइड करती है। ओमान एयरफोर्स के रिटायर्ड स्क्वाड्रन लीडर खमिस अल अजमी इसके प्रमुख हैं। उन्हें भी 8 भारतीय नागरिकों के साथ गिरफ्तार किया गया था, लेकिन नवंबर में उन्हें छोड़ दिया गया।

गिरफ्तारी से करीब 14 महीने बाद, 26 अक्टूबर 2023 को इन सभी पूर्व नेवी अफसरों को मौत की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद 28 दिसंबर 2023 को इनकी मौत की सजा कैद में बदली गई थी।

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रिहाई से जुड़ा एक पहलू यह भी...

एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक ये रिहाई ऐसे समय हुई है जब भारत और कतर के बीच गैस को लेकर एक अहम समझौता हुआ है। 6 फरवरी को हुए इस समझौते के तहत भारत कतर से साल 2048 तक लिक्विफाइड नैचुरल गैस (LNG) खरीदेगा।

कतर हर साल भारत को 7.5 मिलियन टन गैस एक्सपोर्ट करेगा

यह समझौता अगले 20 सालों के लिए हुआ है और इसकी कुल लागत 78 अरब डॉलर की है। भारत की सबसे बड़ी LNG आयात करने वाली कंपनी पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड (PLL) ने कतर की सरकारी कंपनी कतर एनर्जी के साथ ये समझौता किया है। इस समझौते के तहत कतर हर साल भारत को 7.5 मिलियन टन गैस एक्सपोर्ट करेगा। इस गैस का इस्तेमाल बिजली, फर्टिलाइजर बनाने और इसे CNG में बदलने के लिए किया जाता है।

30 अगस्त 2022 को गिरफ्तारी, भारत सरकार को देर से मिली जानकारी

भारतीय दूतावास को सितंबर 2022 के मध्य में पहली बार भारतीय नौसैनिकों की गिरफ्तारी के बारे में बताया गया था। इनकी पहचान कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश के रूप में की गई।

30 सितंबर 2023 को इन्हें अपने परिवार के सदस्यों के साथ थोड़ी देर के लिए टेलीफोन पर बात करने की मंजूरी दी गई थी। पहली बार काउंसलर एक्सेस 3 अक्टूबर 2023 को गिरफ्तारी के एक महीने बाद मिला। इस दौरान भारतीय दूतावास के एक अधिकारी को इनसे मिलने दिया गया था। 3 दिसंबर 2023 को कतर में मौजूद भारत के एंबेसडर निपुल ने आठों पूर्व नौसैनिकों से मुलाकात की थी।

नौसैनिकों पर जासूसी का आरोप

पूर्व भारतीय नौसेनिकों पर इजराइल के लिए जासूसी का आरोप
फाइनेंशियल टाइम्स के अनुसार, 8 भारतीयों पर इजराइल के लिए जासूसी करने का आरोप था। अल-जजीरा की एक रिपोर्ट के अनुसार, इन लोगों पर कतर के सबमरीन प्रोजेक्ट से जुड़ी इनफॉर्मेशन इजराइल को देने का आरोप था।

इस तरह हुए रिहाई के प्रयास

हालांकि, कतर ने कभी आरोप सार्वजनिक नहीं किए। 30 अक्टूबर 2023 को इन नौसैनिकों के परिवारों ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की थी। तब भारत ने कतर को मनाने के लिए तुर्किये की मदद लेने की कोशिश की।

तुर्किये के कतर के शाही परिवार के साथ अच्छे संबंध हैं, इसलिए भारत सरकार ने उसे मध्यस्थता के लिए अप्रोच किया। भारत सरकार ने अमेरिका से भी बात की, क्योंकि रणनीतिक तौर पर अमेरिका की कतर पर ज्यादा मजबूत पकड़ है।

ट्रैवल बैन की वजह से पूर्णेंदु तिवारी अभी नहीं आ सके

purnendu tiwari's sister.

नौसेना के रिटायर्ड कमांडर पूर्णेंदु तिवारी अभी कतर में ही हैं। ग्वालियर में रहने वाली उनकी बहन डॉक्टर मीतू भार्गव ने बताया कि पूर्णेंदु पर ट्रैवल बैन है। हम चाहते हैं कि मोदी सरकार उन्हें भी जल्द वापस लेकर आए।

रिहाई पर बता नहीं सकती कितनी खुशी...

पूर्व कमांडर पूर्णेंदु की छोटी बहन डॉ. मीतू भार्गव ग्वालियर के विंडसर हिल्स इलाके में रहती हैं। उन्होंने कहा, 'सभी की रिहाई पर बता नहीं सकती कि कितनी खुशी है। 7 पूर्व नौसैनिक सकुशल वापस आए। मेरे भाई भी जल्द आ जाएं, यही चाहती हूं।'

भाई से बात हुई, वे दिखने में अच्छे लग रहे

डॉ. भार्गव कहती हैं, 'हमारी खुशी कुछ अधूरी है। अभी भाई नहीं आ पाए हैं। मुझे रात (रविवार रात) में ही खबर मिली कि कतर ने उनके भाई समेत सभी पूर्व नौसैनिकों की सजा माफ कर रिहा कर दिया है। यह बड़ी खुशी की बात है।

हमारे परिवार की खुशी अधूरी

उन्होंने बताया, 'भाई से भी बात हुई है। वे कतर में अपने घर पर पहुंच गए हैं और दिखने में भी अच्छे लग रहे हैं। उन्हें इस स्थिति में देखकर बहुत खुशी हो रही है, लेकिन जब तक वे भारत लौटकर नहीं आ जाते हैं, तब तक हमारे परिवार की खुशी अधूरी है।'

जानें नेवी के उन 8 पूर्व अफसरों के बारे में, जो कतर से रिहा हुए...

  • 1. कैप्टन नवतेज सिंह गिल: कैप्टन नवतेज सिंह गिल चंडीगढ़ के रहने वाले हैं। उनके पिता आर्मी के रिटायर्ड अफसर हैं। वे देश के फेमस डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज वेलिंगटन, तमिलनाडु में इंस्ट्रक्टर रह चुके हैं। उन्हें बेस्ट कैडट रहने पर राष्ट्रपति अवॉर्ड दिया जा चुका है।
  • 2. कमांडर पूर्णेंदु तिवारी: नेवी के टॉप ऑफिसर रह चुके हैं। नेविगेशन के एक्सपर्ट हैं। युद्धपोत INS 'मगर' को कमांड करते थे। दहरा कंपनी में मैनेजिंग डायरेक्टर रिटायर्ड कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी को भारत और कतर के बीच द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने में उनकी सेवाओं के लिए साल 2019 में प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार मिला था। वह यह पुरस्कार पाने वाले आर्म्ड फोर्सेज के एक मात्र शख्स हैं।
  • 3. कमांडर सुगुनाकर पकाला: मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 54 साल के सुगुनाकर पकाला विशाखापट्‌टनम के रहने वाले हैं। नौसैनिक के तौर पर उनका कार्यकाल शानदार रहा है। उन्होंने 18 साल की उम्र में ही नेवी जॉइन की थी। वे नवंबर 2013 में इंडियन नेवी से रिटायर हुए थे। इसके बाद उन्होंने कतर की कंपनी अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी को जॉइन किया था।
  • 4. कमांडर संजीव गुप्ता को गनरी स्पेशलिस्ट के तौर जाना जाता है।
  • 5. कमांडर अमित नागपाल नौसेना में कम्युनिकेशन और इलेक्ट्रॉनिक वॉर सिस्टम के एक्सपर्ट हैं।
  • 6 .कैप्टन सौरभ वशिष्ठ की पहचान तेज-तर्रार टेक्निकल ऑफिसर के तौर पर होती है। उन्होंने कई मुश्किल ऑपरेशन को अंजाम दिया है।
  • 7. कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा को उनके नेविगेशनल एक्सपर्टीज के लिए पहचाना जाता है।
  • 8. नाविक रागेश नौसेना में मेंटेनेंस और हेल्पिंग हैंड के रूप में काम करते थे।
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