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हर साल 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है जो हमें याद दिलाता है कि बच्चों का सही स्थान स्कूल है, न कि कामकाजी स्थलों पर। यह दिन बाल श्रम के खिलाफ संघर्ष की ओर एक कदम और बढ़ाता है।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के तहत 2002 में शुरू किया गया यह दिवस बाल मजदूरी की गंभीरता को उजागर करता है। ये हमें प्रेरित करता है कि हम हर बच्चे को शिक्षा, सुरक्षा और बेहतर जीवन देने के लिए मिलकर काम करें। आइए, हम सभी मिलकर एक ऐसा समाज बनाएं जहां हर बच्चा खुशहाल जीवन जी सके।
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विश्व बाल श्रम निषेध दिवस कब शुरू हुआ
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस (World Day Against Child Labour) हर साल 12 जून को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य बच्चों को बाल श्रम के काले जाल से मुक्त कर उन्हें शिक्षा और बेहतर जीवन देने के लिए जागरूकता फैलाना है।
यह दिवस 2002 में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने शुरू किया था। इसका मुख्य लक्ष्य बाल श्रम के खिलाफ ग्लोबल मूवमेंट को बढ़ावा देना है।
साथ ही, देशों को यह प्रेरित करना है कि अपने यहां बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाएं। यह दिन बाल श्रम के उन्मूलन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम के रूप में मनाया जाता है।
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की थीम
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) हर साल बाल श्रम को खत्म करने के उद्देश्य से विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाता है। साल 2025 की थीम है, "प्रगति स्पष्ट है, लेकिन अभी और काम बाकी है, आइए प्रयासों को तेज करें" (Progress is clear, but more work remains, let's intensify efforts)।
इसका मतलब है कि बाल श्रम को खत्म करने के लिए अब तक कुछ सफलता मिली है, लेकिन इसे पूरी तरह समाप्त करने के लिए और अधिक मेहनत और समर्पण की आवश्यकता है। यह हमें प्रेरित करता है कि हम अपनी कोशिशों को और तेज करें, ताकि हर बच्चा सुरक्षित और खुशहाल जीवन जी सके।
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सबसे ज्यादा बाल मजदूरी किस देश में
रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में लगभग 160 मिलियन बच्चे बाल मजदूरी करते हैं, जिनमें से अधिकांश बच्चे अफ्रीका में रहते हैं। अफ्रीका में लगभग हर चार में से एक बच्चा बाल मजदूरी करता है, जबकि इस आंकड़े की तुलना में अमेरिका और मध्य-पूर्व क्षेत्र में यह दर केवल 5 प्रतिशत के आसपास है। अफ्रीका में कुल 7.21 करोड़ बच्चे बाल मजदूरी में लगे हुए हैं।
भारत की स्थिति में सुधार
आपको बता दें कि, भारत में 2001 के बाद से बाल मजदूरी में सुधार हुआ है। 2001 में भारत में 1.26 करोड़ बाल मजदूर थे, जो कि कुल बाल जनसंख्या का 5 प्रतिशत थे।
2011 तक यह संख्या घटकर 43.53 लाख रह गई। इसके बावजूद, भारत का रैंक 198 देशों के बाल श्रम इंडेक्स में 47वां है, जो बताता है कि भारत में बाल श्रम अब भी एक गंभीर मुद्दा है।
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लॉकडाउन के बाद बढ़ी बाल मजदूरी
भारत में 2019 में कोविड-19 के लॉकडाउन के बाद बाल मजदूरी की संख्या में वृद्धि देखी गई। लॉकडाउन के कारण कई परिवारों की आर्थिक स्थिति बिगड़ी, जिसके कारण बच्चों को काम पर भेजने की मजबूरी पैदा हुई।
Child Labor Act क्या है
Child Labor Act (बाल श्रम कानून) भारत में बच्चों के काम करने को नियंत्रित करता है। इसके अंतर्गत 14 वर्ष तक के बच्चों को किसी भी प्रकार के श्रमिक कार्य से प्रतिबंधित किया गया है, खासकर खतरनाक कार्यों से। बाल श्रम से संबंधित विभिन्न अधिनियमों के तहत बच्चों को शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं देने की जिम्मेदारी सरकार की होती है।
ILO क्या है
ILO (International Labour Organization) एक संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी है, जो 1919 में स्थापित हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करना और कामकाजी परिस्थितियों को सुधारना है। ILO का हेडक्वार्टर्स जिनेवा, स्विट्जरलैंड में स्थित है।
यह संगठन श्रमिकों के लिए बेहतर कामकाजी परिस्थितियां, समान वेतन, सामाजिक सुरक्षा और रोजगार के अवसर सुनिश्चित करने के लिए काम करता है। ILO अंतरराष्ट्रीय श्रम मानकों का विकास करता है और उन्हें लागू करने के लिए देशों को मार्गदर्शन प्रदान करता है। यह संगठन वैश्विक स्तर पर श्रमिकों और नियोक्ताओं के बीच बेहतर संबंधों को बढ़ावा देता है।
तो बाल श्रम को खत्म करने के लिए अबतक कुछ प्रगति हुई है, लेकिन इसे पूरी तरह समाप्त करने के लिए और अधिक प्रयासों की जरूरत है। हमें मिलकर काम करना होगा ताकि हर बच्चा सुरक्षित शिक्षा प्राप्त कर सके और एक स्वस्थ, खुशहाल जीवन जी सके।
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