New Update
/sootr/media/media_files/2025/06/05/l69ypLZQtJOitQsR7pGf.jpeg)
The sootr
00:00
/ 00:00
0
By clicking the button, I accept the Terms of Use of the service and its Privacy Policy, as well as consent to the processing of personal data.
Don’t have an account? Signup
The sootr
World Environment Day : भारत में जंगल तेजी से घट रहे हैं और जलस्रोत सूख रहे हैं, जिससे न सिर्फ़ पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी खतरे की घंटी बज रही है। पेड़ो की अंधाधुंध कटाई, आगजनी और बढ़ता शहरीकरण जंगलों के लिए बड़ी चुनौतियां बन गए हैं। इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन और जल प्रदूषण से पानी की कमी और भी बढ़ रही है, जो देश के लिए एक गंभीर समस्या बन चुकी है।
खबर यह भी : टाइगर रिजर्व में 6017 हेक्टेयर जंगल उजड़ने की आशंका, 8 साल में 23 लाख पेड़ काटे जाएंगे
मियावाक तकनीक में एक वर्ग मीटर में 4 से 5 स्थानीय पौधे लगाए जाते हैं, जो कम समय में घना जंगल बनाते हैं। यह पद्धति कम भूमि और समय में बेहतर परिणाम देती है। सरकार और समाज को मिलकर वृक्षारोपण अभियानों को गति देनी होगी।
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अनुसार-
एक औसत भारतीय परिवार प्रति व्यक्ति रोज 90 लीटर ग्रे वॉटर बर्बाद करता है। यह पानी शौचालय फ्लश, बगीचे की सिंचाई और फर्श धोने जैसे कामों में इस्तेमाल हो सकता है। इससे ताजे पानी की जरूरत में 10-20त्न की कमी संभव है। भारत हर साल 47.67 अरब घन मीटर गंदा पानी उत्पन्न करता है, जिसमें से बहुत कम हिस्सा रीयूज़ होता है।
खबर यह भी : एमपी की ये नदियां सूखी, पेयजल संकट गहराया, जल गंगा संवर्धन अभियान से जगी उम्मीदें !
ग्लोबल कमीशन ऑन इकोनॉमिक्स ऑफ वॉटर के अनुसार, अगर जंगलों की कटाई और जलवायु परिवर्तन ऐसे ही चलता रहा तो भारत की जीडीपी को 2050 तक बड़ा नुकसान हो सकता है। 25 करोड़ लोग जंगलों पर जीविका के लिए निर्भर हैं, जिनका जीवन खतरे में आ जाएगा।
खबर यह भी : एमपी में सात साल बाद भी नल-जल योजना अधूरी, 190 गांवों में गहराया जल संकट
भारत में जंगल और पानी दोनों की स्थिति चिंताजनक है। यदि हम आज ठोस कदम नहीं उठाते, तो भविष्य में यह संकट जीवन का अस्तित्व संकट बन जाएगा। लेकिन यदि हम सामूहिक प्रयास करें – नए तकनीकों से वृक्षारोपण करें, पानी का पुन: उपयोग बढ़ाएं और प्रकृति के साथ तालमेल बैठाएं तो आने वाली पीढिय़ों को एक सुरक्षित और समृद्ध भारत दिया जा सकता है।
गंभीर संकेत | पर्यावरण | पेड़ कटाई के लिए लड़ाई | एमपी में जल प्रदूषण