World Parkinsons Day: आपके हाथ कांपते हैं, सावधान हो सकती है ये बीमारी

हर साल 11 अप्रैल को वर्ल्ड पार्किंसंस डे मनाया जाता है। पार्किंसंस एक दिमागी बीमारी है जिसमें मरीज के ब्रेन फंक्शन सही तरीके से काम नहीं करते हैं। पहले ये बीमारी बुजुर्गों को होती थी, लेकिन अब कम उम्र में ही लोग इसके शिकार हो रहे हैं। 

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Sandeep Kumar
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वर्ल्ड पार्किंसंस डे आज

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BHOPAL. पार्किंसंस रोग ( Parkinsons disease ) दिमाग से जुड़ी एक बीमारी है, जो धीरे-धीरे बढ़ती है। हर साल 11 अप्रैल को दुनिया भर में वर्ल्ड पार्किंसन डे ( World Parkinsons Day ) मनाया जाता है। आज के इस खास मौके पर आइए जानते हैं कि किस उम्र के लोगों पर असर करती है? इसके क्या लक्षण होते हैं ? साथ ही ये भी जानेंगे कि इस बीमारी से परेशान लोग अपनी लाइफ क्वालिटी को कैसे सुधार सकते हैं? 

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बुजुर्गों के साथ यूथ में फैल रही बीमारी

कुछ दशकों पहले तक पार्किंसंस की बीमारी बुजुर्गों को होती थी, लेकिन अब युवाओं को भी ये बीमारी हो रही है।  पार्किंसंस नर्वस सिस्टम और ब्रेन से जुड़ी एक क्रोनिक बीमारी है।  इस बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 11 अप्रैल को वर्ल्ड पार्किंसंस दिवस मनाया जाता है।  हालांकि फिर भी बहुत कम लोगों को ही इस डिजीज के बारे में जानकारी है।  

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क्या कहते हैं डॉक्टर्स ?

डॉक्टर बताते हैं कि पार्किंसंस की बीमारी एक दिमागी समस्या है, जिसमें इंसान अपना मानसिक संतुलन खोने लगता है।  डॉक्टर्स की माने तो  पार्किंसंस रोग भारत में प्रत्येक 1 लाख लोगों में से 67 लोगों को होता है।  इस बीमारी की वजह से चलने फिरने की गति धीमी हो जाती है और मरीज के शरीर में कंपन रहने लगती है।  साथ ही याददाश्त संबंधी विकार भी होने लगते हैं। आज तक इस बीमारी का कोई संपूर्ण इलाज नहीं है, हालांकि सही समय पर बीमारी की जानकारी मिलने से इसको कंट्रोल किया जा सकता है। 

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पार्किंसंस के शुरुआती लक्षण

शुरुआत में बहुत ही मामूली तरह से मूवमेंट में परिवर्तन होने लगता है। इसमें हाथ या पैर कप-कपाने लगता है और उंगलियों में कंपन होने लगती है। इसके साथ ही व्यक्ति की चाल बदलने लगती है। वह थोड़ा आगे की ओर झुककर चलता है। व्यक्ति को हाथ पर समन्वय नहीं रहता है जिससे वह किसी चीज को गिरा सकता है।

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ये लक्षण भी हो सकते है पार्किंसंस के

मूड में परिवर्तन, डिप्रेशन।

खाना खाने में और चबाने में दिक्कत।

थकान।

कब्ज।

स्किन प्रॉब्लम।

डायरिया, मतिभ्रम आदि।

लिखने में हो सकती है दिक्कत

शुरुआत में जब कोई कुछ लिखता है तो पेन पकड़ने में दिक्कत होने लगती है। यही से पार्किंसन की भी शुरुआत हो जाती है। अंगूठे और तर्जनी उंगली एक दूसरे से रगड़ने शुरू हो जाती हैं। स्थिति जब बिगड़ने लगती है तो स्थिर अवस्था में भी हाथ हिलने लगते हैं।

आवाज में बदलाव होना

हालांकि यह लक्षण सबमें नहीं दिखता लेकिन कुछ लोगों की आवाज या उच्चारण में जब बदलाव शुरू हो जाता है तो इसका मतलब है कि पार्किंसंस की बीमारी होने वाली है। कुछ लोगों की आवाज बहुत ज्यादा बिगड़ जाती है। यहां तक कि आवाज में कंपन शुरू हो जाता है।

शरीर की पोजीशन में बदलाव

कुछ लोगों में पार्किंसंस के साथ ही शरीर के पोजिशन में बदलाव होने शुरू हो जाते हैं। कुछ व्यक्तियों का शरीर इस स्थिति में झुक जाता है और शरीर पर नियंत्रण करने में दिक्कत हो जाती है। आंखों का मूवमेंट भी बदल जाता है।  शुरुआत में ये सभी लक्षण एक तरफ दिखता । धीरे-धीरे दोनों तरफ शुरू हो जाता है।

पार्किंसंस से क्या है कारण 

दिमाग के अंदर जब तंत्रिका कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होने लगती है तो पार्किंसंस की बीमारी होती है। यही तंत्रिका कोशिका डोपामाइन हार्मोन को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। डोपामाइन हार्मोन के कारण ही हमें खुशी मिलती है। हालांकि पर्यावरण की विषाक्तता भी इसकी एक और वजह हो सकती है।

क्या है इलाज और बचाव ?

1. जैसे ही मरीज के लक्षण दिखाई दें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

2. डीबीएस तकनीक, इंजेक्शन और दवाओं के माध्यम से बीमारी कंट्रोल हो सकती है।

3. बचाव के लिए अपनी डाइट में विटामिन, कैल्शियम, मिनरल शामिल करें।

4. अधिक नमक और चीनी से दूरी बनाएं ।

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